उल्लेखनीय है कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की गुजरात स्थित प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। यह गुजरात के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है।
फ़िल्म में सरदार वल्लभ भाई पटेल का किरदार निभा रहे तेज सप्रू ने कहा कि लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को पर्दे पर निभाना बहुत चुनौतीपूर्ण था। आज मैं स्टैचू ऑफ यूनिटी में आया हूँ तो यह मेरे लिए बहुत ही गर्व का क्षण रहा। यहां से सन्देश पूरे देश को जाएगा कि यह फ़िल्म सभी को देखनी चाहिए।”
निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी ने कहा कि रज़ाकार को दक्षिण भारत की भाषाओं के साथ अब हिंदी में भी बिग स्क्रीन पर रिलीज किया जा रहा है ताकि यह कहानी देश के कोने कोने तक पहुंचे। हमे लगता है कि स्टैचू ऑफ यूनिटी में इस कार्यक्रम के द्वारा हम लोगों को यह सन्देश दे सकते हैं कि कितने संघर्षों के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश को एक किया। उनके इस कारनामे को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।”
फ़िल्म ‘‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’’ एक ऐसी ऐतिहासिक घटना से बारे में बताएगी जिसे देश को पिछले ७५ वर्षों से दूर रखा गया था।
ट्रेलर में औरतों, बच्चों और बुजुर्गों पर अत्याचार के साथ हैदराबाद के निज़ाम का आदेश जारी किया जाता हैं कि ‘ओमकार सुनाई नहीं देना चाहिये और भगवा दिखाई नहीं देना चाहिए’ दूसरी तरफ सरदार पटेल का संदेश निज़ाम तक आता है कि हैदराबाद को हिंदुस्तान में विलय नहीं किया तो हालात बिगड़ जाएँगे। अत्याचार और नरसंहार के बीच आज़ादी के वीर संकल्प लेते है कि युद्ध करना ही पड़ेगा। भारतीय सेना और आज़ादी के वीर एक साथ मिलकर निज़ाम के रज़ाकार के साथ खूनी लड़ाई शुरू कर देते हैं। सरदार पटेल का संवाद “ना संधि ना समर्पण अब बस युद्ध होगा” जोश भर देता है।
फ़िल्म के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी कहते हैं कि हम चाहते हैं कि दर्शक एक बड़े स्तर पर इस क्रूर नरसंहार की घटना और आज़ादी के वीरों की इस कहानी को फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ के माध्यम से देखें।
समरवीर क्रिएशन एलएलपी के बैनर तले निर्मित फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी हैं।