विदेश मंत्री डा. जय शंकर ने क्या कहा- विश्व एक बहुत ही गंभीर दौर से गुजर रहा है। भारत को कमजोर करने की कोशिशें निरंतर चल रही हैं। आने वाले दिनों में ये कोशिशें और षड्यंत्र और तेज होगें। देश को एक बहुत ही समर्थ नेतृत्व व शक्तिशाली सरकार की आवश्यकता है जो इन भारत विरोधी शक्तियों से प्रभावशाली ढंग से लड़ सके। पिछले १० वर्षों में मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने विश्व में एक ऐसा स्थान बना लिया है कि वो अग्रणी राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा दिखाई देता है। वह विश्व कि पांचवी अर्थ व्यवस्था से चौथी बनने के कगार पर है।
२०% की एक जिहादी, खालिस्तानी, और वामी देशतोड़कों की आबादी है जो तय कर के बैठी है कि हिंदु भारत को नीचा दिखाना है। कुछ अन्य भी स्वार्थी तत्व हैं जो भारत को तहस नहस करना चाहते हैं सत्ता में अाने के लिये। ये हिंदु परिवारों को तोड़ देना चाहते हैं और पूरे समाज को अमीर-गरीब, जात-पांत, भाषा, क्षेत्र, वर्ग, आदि के नाम पर बांट कर सत्तानशीन होना चाहते हैं इनके षडयंत्र अब ढके छुपे भी नहीं है। देश के बाहरी शत्रु इन तत्वों को अब खुला समर्थन दे रहे हैं।
आप सब जानते हैं और साफ देख सकते हैं कि पिछले दस वर्षों में देश कितनी तीव्र गति से आगे बढ़ा है। मैने अपने जीवन काल में विकास की ऐसी रफ्तार नहीं देखी। पिछले दस वर्षों में हमने किसानों की आत्महत्या या भूखमरी की खबरें नहीं पढ़ीं । सड़कों पर भिखारी नहीं मिलते। घर के काम के लिये किसी बढ़ई, कारीगर, प्लंबर, पेंटर, इलेक्ट्रिशियन। आदि को खोजने जाइये तो कोई नहीं मिलता। सब्ज़ी भाजी और फलों के रंग बिरंगी ठेले भरे पड़े हैं। सब संपन्न हो रहे हैं। गरीबी घटी है, मिटने की कगार पर है। भ्रष्टाचार कम होता जा रहा है। सरकारी योजनायों का लाभ आम जन तक पहुंच रहा है।
दिल्ली में हिंदू सरकार बनानी है। प्रत्याशी से वैसे भी हमारा काम कम ही पड़ता है। उसे देखने से बस आँख को सुकून भर ही मिलता है। वह प्रत्याशी जीत कर देश के नेतृत्व के साथ खड़ा रहे यही आवश्यक है। आप की बात ऊपर तक पहुंचाता रहे। देश की रीतियों और नीतियों को देखना है। उन्हीं के कारण देश का सम्मान बढ़ा है और सही अर्थों में विकास की बहार दिखने लगी है। चाहे वो मुंबई हो या बनारस, आमूल चूल परिवर्तन हो रहे हैं। इसीलिये पूरे उत्साह के साथ बाहर निकलिये। EVM पर कमल या राजग के दलों के चुनाव चिन्ह देखिये और बटन दबा दीजिये।
बहुत सिद्धांतवादी मत बनिये। यदि प्रभु राम और कृष्ण बहुत सिद्धांतवादी बनते तो अधर्म पर धर्म की जीत नहीं होती, न रामायण में न महाभारत में। व्यक्तिगत नहीं वृहत्तर सामाजिक और राष्ट्रीय स्वार्थ के लिये मतदान किजिये। हरदम मुझे ये नहीं मिला, वो नहीं मिला करने में कोई सुख नहीं है। प्रत्याशी की मीन मेख निकालने निकलेगें तो सब में कमी निकलेगी। वो हमारे समाज से ही आते हैं। उनका दूध का धुला होना संभव नहीं है। वो किन नीतियों के साथ खड़े होंगे आगामी लोकसभा में वह महत्वपूर्ण है।
सोचने की बात ये भी है कि क्या कट्टर मुसलमान और कुटिल ईसाईयों का एक बड़ा वर्ग प्रत्याशी देख कर या विकास के नाम पर मतदान कर रहा है? नहीं न। वो मोदी को अपदस्थ करने के लिये मतदान केंद्र पर लंबी कतार में खड़ा दिखता है। वो माफिया सरगनाओं और भ्रष्टाचारी मक्कारों तक को बेहिचक वोट देता है।
उसे बस यही लगता है कि मोदी राज में हिंदुओं का वर्चस्व है और उसे अभ्यास नहीं है हिंदु राज में रहने का। यथार्थ है कि मोदी ने उनका कोई बुरा नहीं किया। फिर भी वो मोदी विरोध में खड़े हैं, अपने मुल्ला मौलवियों और पादरियों की पुकार पर।
हिंदुओं में तो ऐसी कोई संस्था नहीं है जो ऐसी पुकार लगाये। इसीलिये हिंदुओं को स्वप्रेरणा से ऐसा करना होगा। जब ईसाई और मुसलमानों का एक बड़ा तबका १००% मतदान कर सकता है केवल मोदी को हटाने के लिये तो हम हिंदू और राष्ट्रवादी कौन से गये गुजरे हैं कि १००% मतदान नहीं कर सकते मोदी को जिताने के लिये? तो टूट पड़िये मतदान केंद्रों पर, धर्म और अधर्म की लड़ाई के इस कुरुक्षेत्र में धर्म की पताका फहरानी है।
ईमान (इस्लाम) के लिये हिंदुस्तान को भी बर्बाद कर देगें ये। ऐसे ही मुल्ला मौलवी हिंदु नेताओं का सिर तन से जुदा करने का षड़यंत्र रच रहे हैं। ये ज़ोर शोर से हिम्मत कर के बोल रहे हैं। इनका नंगा नाच तब दिखेगा जिस दिन मोदी और योगी जैसे नहीं रहेगें। ये स्वयं ऐसा कहते चलते हैं।
फिर हम देख रहे हैं कर्नाटक, बंगाल, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु में ऐसा होता हुआ। गरीब हिंदुओं को ये मुस्टंडे भैंसानुमा मौलाना डरा कर रखते रहे हैं अपने डील डौल से। अब जा कर उनका आत्म सम्मान लौटने लगा है, ये दुखी और विचलित हैं।
जहाँ भी मूलत: इनके वोटों से चुनी हुई सरकारें हैं वहां ये किसी कानून को नहीं मानते। वो सरकारें इनके अतिवादियों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। मुख्यमंत्री स्तर के जातिवादी नेता भी इनके सामने नतमस्तक रहते हैं। चाहे वो मुलायम या अखिलेश हों, लालू या तेजस्वी हों, ममता बनर्जी हों, या सोनिया-राहुल हों, सब नतमस्तक रहते रहे हैं अतीक, मुख्तार, शहाबुद्दीन, बुखारी, और शाहजहां जैसों के आगे। सारा यदुवंशी, बंगाली, और नेहरु खानदानी आत्मसम्मान इस जिहादी माफिया के आगे दंडवत् लेट जाता है।
इनका विकास से कुछ नहीं लेना देना। ये सपना देखते हैं गजवा-ए-हिंद का। एक फ़तवे पर ये टिड्डी दलों की तरह मतदान की पंक्ति में जा खड़े होते हैं। ये प्रत्याशियों के जीवन चरित्र नहीं पढ़ते मतदान करने से पहले। इनके मतदान का बस एक ही आधार है, मोदी और योगी को हराना और हिंदुओं का मान-मर्दन। हिंदु इनके इलाकों से सिर उठा कर न निकल पाये यही चाहते हैं ये। इन्हें यही दुख सालता है कि मोदी और योगी राज में हिंदु सिर उठा कर घूमने लगा है।
तो जात पाँत भूल जाइये, और मंहगाई-बेरोज़गारी के झूठे रोने धोने के नाटक में मत फँसिये। राम घर घर और कण कण में हैं, राम मंदिर तो व्यापार है ये क़िस्सा भी सुनाया जायेगा आप को लेकिन ये कोई नहीं बतायेगा कि ख़ुदा की इबादत के लिये बाबरी मस्जिद ही क्यों चाहिये।
ध्यान रखिये जिद दिन आप अपने आराध्य का सम्मान करना और ऊनके लिये लड़ना छोड़ देगें, ये जिहादी आप के सीने पर मूंग दलेगें; आप की माता, बहन, और बेटियों का सम्मान और उनका शील क्षत् विक्षत् होगा। ये हो चुका है, और हो रहा है। जब पप्पू, अखिलेश, तेजस्वी राज में लव जिहादियों के झूंड निकलेगें आप सहन नहीं कर पायेगें और ना ही उनको रोक पाएँगें।
मतदान कीजिये जिससे कि आप अपने आराध्य की निर्बाध पूजा कर सकें, अपना अत्म सम्मान बचा सकें। आत्म सम्मान के आगे सब कुछ नगण्य है।
हिंदुओं और राष्ट्र प्रेमियों, निकलो बाहर मतदान के लिये। ये धर्म और राष्ट्र रक्षा का युद्ध है। पुरानी गलती नहीं दुहरानी है। घूस खा कर अपने क़िले के दरवाज़ों को नहीं खोलना है।