मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) का 18वां संस्करण गैर-प्रतियोगिता अनुभाग में वन्यजीव कहानियों पर एक विशेष रूप से क्यूरेट किए गए पैकेज को प्रस्तुत करके भारत के अपने वन्यजीवों के साथ गहरे संबंध को प्रदर्शित करता है। वृत्तचित्रों का यह विशेष संग्रह विभिन्न प्रजातियों की सुंदरता, चुनौतियों और तत्काल संरक्षण आवश्यकताओं को रेखांकित करता है।
ये वृत्तचित्र, अपने निर्देशकों के साथ मिलकर, ऐसी कहानियां सामने लाते हैं जो मनोरंजक और शिक्षाप्रद दोनों हैं, जिनका उद्देश्य दर्शकों को पर्यावरण के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है। आइए वन्यजीव पैकेज के अंतर्गत प्रदर्शित वृत्तचित्रों पर एक दृष्टि डालें:
विंग्स ऑफ हिमालयाज
जलवायु चेतना के युग में, “विंग्स ऑफ हिमालयाज” एक रोमांचकारी साहसिक और एक अभूतपूर्व वृत्तचित्र है जो वैश्विक रूप से संकटग्रस्त दाढ़ी वाले गिद्ध की आकर्षक दुनिया की खोज करता है। यह फिल्म नेपाली जीवविज्ञानी डॉ. तुलसी सुबेदी और उनके शिष्य संदेश का अनुसरण करती है, जो इन जीवन रूपों के भविष्य की रक्षा के लिए बदलती जलवायु की चुनौतियों का बहादुरी से सामना करते हैं। अंग्रेजी में 31 मिनट लंबे इस वृत्तचित्र में विश्व भर के दर्शकों को कदम उठाने और प्रकृति के साथ सामंजस्य में अधिक टिकाऊ बने रहने के लिए प्रेरित करने की उम्मीद की गई है।
प्रदर्शित किए जाने की तिथि, समय और स्थान: 20 जून, 2024, रात 8.30 बजे जेबी हॉल
निर्देशकों के बारे में:
एक वन्यजीव फिल्म निर्माता किरण घाडगे ने भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण प्रयासों को रेखांकित करने वाली कई वृत्तचित्र फिल्में बनाई हैं। किरण व्याख्यान और लेखन के माध्यम से प्रकृति के पक्ष में आवाज भी उठाते हैं और स्थायी पर्यटन और संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।
प्रदर्शित किए जाने की तिथि, समय और स्थान: 18 जून, 2024, शाम 6.45 बजे जेबी हॉल
अमोघवर्षा जे.एस. एक भारतीय फिल्म निर्माता और वन्यजीव फोटोग्राफर हैं। 2021 में, उन्होंने सर डेविड एटनबरो द्वारा सुनाई गई अपनी फिल्म “वाइल्ड कर्नाटक” के लिए सर्वश्रेष्ठ एक्सप्लोरेशन/वॉयस ओवर फिल्म के रूप में 67वॉ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
ब्लड लाइन
“ब्लड लाइन” माधुरी या टाइगर (टी10) की कहानी है, जो ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व की एक विख्यात मादा बाघ है। उसकी कहानी हमें मध्य भारत के जंगलों में ले जाती है, जो भारत की बाघ राजधानी के केन्द्र में है। हाल के वर्षों में आई रिपोर्टें मध्य भारत में बाघों की आबादी में वृद्धि का संकेत देती हैं, लेकिन उनकी बढ़ती संख्या एक सिकुड़ते भूमि प्रदेश की चुनौती का सामना कर रही है। वास का नुकसान, तेजी से खंडित गलियारे और शिकार पूल के साथ-साथ अधिशेष बाघ आबादी एक विपरीत तस्वीर पेश करती है। वृत्तचित्र इन शानदार बाघों की बढ़ती वंशावली की कठोर वास्तविकता प्रस्तुत करता है। यह फिल्म माधुरी के जीवन और उसकी संतति की एक असाधारण यात्रा का अनुसरण करती है, जो अस्तित्व की रक्षा और अपने प्यारे शावकों की सुरक्षा के लिए एक अंतिम लड़ाई है।
निर्देशक के बारे में:
श्रीहर्ष गजभिये, एक उत्साही वन्यजीव फोटोग्राफर हैं, जिनका जन्म और पालन-पोषण भारत की बाघ राजधानी में हुआ है। पहली बार जब उन्होंने जंगल में बाघ की तस्वीर खींची, तब से ही उन्हें प्राकृतिक दुनिया के प्रति असीम लगाव पैदा हो गया। पिछले कुछ वर्षों में, श्रीहर्ष ने अपनी कहानी कहने और फोटोग्राफी के कौशल को और अधिक निखारा है, माधुरी का कई वर्षों तक करीबी रूप से अनुसरण किया है, ताकि उसकी उस असाधारण कहानी की खोज की जा सके, जिसे पूरा होने में आधा दशक बीत गया।