(अपनी कुण्डली से स्वयं देखकर ज्योतिष की वैज्ञानिकता को समझने का प्रयास करें और बताएं कि आपकी कौन से ग्रह की दशा चल रही है)
मित्रों! मैं यहां पर ग्रहों की दशाओं से संबंधित कुछ सामान्य प्रभाव लिख रहा हूं, जिसके लिए आपको कोई विशेष ज्योतिषीय उपाय करने की आवश्यकता नहीं है। हां इतना जरूर है कि ज्योतिष पर भरोसा ना करने वाले मित्र अपने शरीर में ऐसे लक्षणों को देखकर चिंतित हो उठते हैं और अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं। डॉक्टर्स से जांच व दवा के नाम पर अनाप शनाप रूपया खर्च करते रहते हैं, जबकि शरीर के ऐसे लक्षणों की शत प्रतिशत जानकारी हमारी कुंडली बड़ी आसानी से दे देती है।
कभी कभी ऐसा होता है कि शरीर का तापमान औसत से एक डिग्री तक अधिक बना रहता है। इसका कारण है कि जब भी व्यक्ति मंगल की दशा अंतर्दशा भोग रहा हो अथवा मंगल गोचर में सूर्य, चंद्र, बुध व लग्न के अंश से सम्बंध स्थापित करे तो शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
कभी कभी व्यक्ति को लगातार थकान का अनुभव होता है जो कई महीने तक चल सकता है। इसका कारण है कि जब भी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की दशा में शनि का अन्तर हो अथवा शनि की दशा में शुक्र का अंतर हो तो उसे निरन्तर थकान का अनुभव हो सकता है।( लेकिन इस प्रभाव की संभावना तब कम होगी अगर शनि और शुक्र एक साथ बैठे हों, या एक केंद्राधिपति और दूसरा त्रिकोण का स्वामी हो या फिर एक ग्रह बलवान और दूसरा कमजोर हो)
अगर कोई व्यक्ति बृहस्पति की दशा अंतर्दशा से गुजर रहा है या फिर जिस ग्रह की अंतर्दशा से गुजर रहा है वो जलीय राशि में स्थित है तो उस व्यक्ति के वजन बढ़ने की पूरी संभावना है।
ये सामान्य प्रभाव हैं, जिनका मुझे कई कुंडलियों का प्रैक्टिकल अनुभव है। (लेख बड़ा ना हो इसलिए अन्य प्रभाव आगे लिखता रहूंगा) ! कृपया अपनी कुण्डली से स्वयं ग्रहों के इन प्रभावों को जांचने परखने की कोशिश करें ताकि आप ज्योतिष की वैज्ञानिकता को समझ सकें।
अन्त में एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि ज्योतिष में किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए पूरी कुण्डली का विश्लेषण करना आवश्यक होता है, ताकि सटीक फलादेश किया जा सके। कभी कभी हम जानकारी के अभाव में विपरीत फलादेश देख कर मन में ज्योतिष के प्रति अविश्वास पैदा कर लेते हैं। ठीक उसी तरह जैसे मेडिकल साइंस में जांच रिपोर्ट गड़बड़ होने, दवा गलत होने या डॉक्टर द्वारा सही मर्ज ना पकड़ पाने की वजह से हमारी बीमारी ठीक नहीं हो पाती है। परन्तु क्या तब हम मेडिकल साइंस के प्रति अपना भरोसा खत्म कर लेते हैं।
पंडित सौरभ दुबे ( Astrological Consultant)*
*काशी/बनारस/वाराणसी*
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