Monday, November 25, 2024
spot_img
Homeआपकी बातक्या हिंदू समाज हिंसक है?

क्या हिंदू समाज हिंसक है?

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कल संसद में बहुत ही असभ्य गैर जिम्मेदाराना और विवादित बयान दिया है। ऐसा बयान करोड़ों हिंदुओं की भावना को आहत करने वाला है। उन्होंने कहा कि, “जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं, वो चौबीसों घंटे हिंसा, हिंसा, हिंसा; नफरत, नफरत, नफरत; असत्य, असत्य, असत्य करते रहते हैं। ”

राहुल के इस बयान पर लोकसभा में भारी हंगामा हो गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खड़े होकर राहुल के इस विचार पर आपत्ति जताई। हालांकि, जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि “उन्होंने पीएम मोदी, बीजेपी और आरएसएस को नफरती और हिंसक कहा है, ना कि पूरे हिंदू समाज को।”

प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल के बयान पर आपत्ति जताते हुए सिर्फ इतना कहा था, ‘ये विषय बहुत गंभीर है। पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना ये गंभीर विषय है।’ इतने पर राहुल गांधी बोलने लगे, ‘नरेंद्र मोदी पूरे हिंदू समाज नहीं हैं। आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है।’

गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि,” हिंसा की भावना को किसी धर्म से जोड़ना ठीक नहीं। संवैधानिक पद पर बैठे राहुल गांधी से गुजारिश है कि माफी मांगें।”

अभी कुछ दिन पहले इमरजेंसी की पूरे देश में भर्त्सना हुई है फिर भी उन्हें अपने कृत्य से कोई सीख नहीं लेना है और संसद में केवल प्रोपगंडा ही फैलाना है। इन्ही की पार्टी के शासन में दिल्ली में दिन दहाड़े हजारों सिख भाइयों का कत्लेआम हुआ। ये इस पर मौन रहते हैं और सही दिशा में चल रहे देश में अपनी तुच्छ राजनीति चमकाने के लिए शिव जी के चित्र दिखाकर अभय की बात कर रहे हैं। नेता विपक्ष को पहले भाषण में सदन के संग पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।

भारत के धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक रूप से सहिष्णु संविधान , सरकार सहित समाज के विभिन्न पहलुओं में व्यापक धार्मिक प्रतिनिधित्व, भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जैसे स्वायत्त निकायों द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किए जा रहे जमीनी स्तर के काम के बावजूद, धार्मिक हिंसा के छिटपुट और कभी-कभी गंभीर कृत्य होते रहते हैं क्योंकि धार्मिक हिंसा के मूल कारण अक्सर भारत के इतिहास, धार्मिक गतिविधियों और राजनीति में गहरे तक समाए रहते हैं।

कई इतिहासकारों का तर्क है कि स्वतंत्र भारत में धार्मिक हिंसा भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटेन के नियंत्रण के युग के दौरान ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा अपनाई गई फूट डालो और राज करो की नीति की विरासत है , जिसमें स्थानीय प्रशासकों ने हिंदुओं और मुसलमानों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया, एक ऐसी रणनीति जो अंततः भारत के विभाजन में परिणत हुई ।

पूरे देश के हिन्दू इतने सहिष्मु कायर और उदास बन गए है कि ऐसे गैर जिम्मेदाराना भाषण देने वाले के खिलाफ मौन रहकर उस अल्प बुद्धि नेता की बातों का प्रकारांतर से समर्थन दे रहे हैं। 293 संसद सदस्य को चुनने वाली भारत के आधी से ज्यादा की आबादी को अपमानित कर रहे हैं।

अभी तक ना तो इनका पुतला जलाया गया ना कालिख फेंका गया और ना ही किसी न्यायालय ने ही स्वतः संज्ञान ही लिया है। यही बात यदि सत्ता पक्ष का कोई सदस्य कहा होता तो अब तक पूरे विश्व में हाय तोबा मच जाती। बीबीसी और अमरीका तक खलबली मच जाती।

इतना सशक्त सत्ता समर्थित दर्जनों संगठन ना जाने किस मजबूरी में इस संवैधानिक पद पर बैठे शक्स के विरुद्ध अकर्मण्य बने बैठे हैं। इनके बुद्धजीवी और आईटी सेल वाले पता नहीं किस संकेत की प्रतीक्षा कर रहे है। इनसे इनका संवैधानिक पद छीन कर किसी सुलझे विचार वाले को दिया जाना चाहिए।

मैं भाजपा का एक अदना सा सदस्य हूं। मै गर्व से कहता हूँ कि मैं हिन्दू हूँ , मुझे किसी गैर हिन्दू से संविधान के दायरे में कोई आपत्ति नही है। किसी भी तरह से मैं हिंसक नहीं हूँ। मै राहुल गांधी के बयान की घोर निन्दा करता हूं। उनको देश से माफी मांगने की मांग करता हूं। साथ ही यह भी मांग करता हूं कि कांग्रेस किसी अन्य सक्षम व्यक्ति को विपक्ष का नेता बनाए और देश के प्रति अपना संवैधानिक भूमिका को निभाए।

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मंडल ,आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।)

 

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार