दुनिया में जब सबसे प्राचीन भाषाओं का जिक्र आता है तो संस्कृत का नाम सबसे पहले लिया जाता है. वेद, शास्त्र और पुराण आदि से लेकर ज्यादातर सारे प्राचीन साहित्य आपको संस्कृत में ही लिखे मिलेंगे. संस्कृत सिर्फ एक विषय नहीं बल्कि विज्ञान है. देश-दुनिया में अब लोग एक बार फिर से संस्कृत को लेकर बेहद जागरूक हैं. लोग संस्कृत पढ़ना चाहते हैं और इसे जानना और समझना चाहते हैं. यही वजह है कि अब दुनिया भारत की ओर देखती है क्योंकि भारत में ही इस भाषा की शुरुआत हुई थी. भारत के कई लोग संस्कृत के ज्ञान को बढ़ाने का काम कर रहे हैं. डॉक्टर शिवा मिश्रा भी उन्हीं में से एक हैं. शिवा संस्कृत के ज्ञान को देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया तक फैला रही हैं. तो चलिए जानते हैं कौन हैं डॉक्टर शिवा और अब तक उन्होंने क्या काम किया है.
कानपुर की रहने वाली डॉ शिवा मिश्रा ने बताया कि इसकी शुरुआत वर्ष 2013 से हुई जब वह एक इंटरनेशनल संस्था में काम कर रही थी. उस संस्था में सारे काम ऑनलाइन होते थे. ऑनलाइन मीटिंग के कॉन्सेप्ट उनको समझ में आए तो उनके मन में यह ख्याल आया कि संस्कृत को लेकर उनका जो पैशन है उसको भी वो ऑनलाइन तरीके से बाकी लोगों और दुनिया तक पहुंचाएं. इसके बाद उन्होंने डॉ नलिनी मिश्रा क्लासेस की शुरुआत की. जिसमें वह लोगों को ऑनलाइन संस्कृत सिखाती हैं. उन्होंने बताया कि अब तक वह लगभग दुनिया भर के 50 से अधिक देश के लोगों को संस्कृत सीख चुकी हैं जिसमें हजारों लोगों ने अब तक शिक्षा प्राप्त की है.
भारत को छोड़कर अन्य देशों की बात की जाए तो वहां के लोग संस्कृत को एक विषय नहीं बल्कि विज्ञान के रूप में देखते हैं. ऐसा लगता है कि जैसे दुनिया एक बार फिर से प्राचीन चीजों के बारे में जानना चाहती है और उसे पढ़ना चाहती है. भारतीय संस्कृति को भी लोग जानना चाहते हैं. इसलिए लोगों में अब संस्कृति को जानने और पढ़ने की इच्छा बढ़ रही है. यही वजह है कि विदेश से भी लोग जुड़ रहे हैं.
डॉ शिवा ने बताया कि बड़ी संख्या में अमेरिका, लंदन, दुबई, फ्रांस, स्पेन समेत 50 से अधिक देशों से लोग संस्कृत सीखने के लिए उनसे जुड़ रहे हैं. बड़ी संख्या में अब मुस्लिम कंट्रीज के लोग भी संस्कृत सीखना चाह रहे हैं. मुस्लिम लोग भी संस्कृत सीख रहे हैं.
अभी तक विदेशियों का जितना रुझान संस्कृत सीखाने में था उतना देश के लोगों में नहीं दिख रहा था लेकिन, अब जब से कुछ राज्यों में संस्कृत को सेकेंड लैंग्वेज का दर्जा मिला है तब से देश में संस्कृत सीखने वालों की संख्या भी बढ़ी है. कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में छात्र संस्कृत सीखने के लिए उनके पास आ रहे हैं. ऑनलाइन माध्यम से जुड़ने के लिए वेबसाइट के जरिए और ऐप के जरिए आप क्लास के लिए आवेदन कर सकते हैं. वहां पर आपको इससे जुड़ी सारी जानकारी मिल जाएगी.
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