भारत में आज भी देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास कर रही है और वह अपने रोजगार के लिए सामान्यतः कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। इसके बावजूद, देश की कुल अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान केवल 16-18 प्रतिशत के आसपास बना रहता है। अब यदि देश की 60 प्रतिशत आबादी देश के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 16-18 प्रतिशत तक का योगदान दे पा रही है, तो स्वाभाविक रूप से इस क्षेत्र में गरीबी तो बनी ही रहेगी। हालांकि, यह स्थिति अब धीरे-धीरे बदल रही है, क्योंकि हाल ही के वर्षों में भारत के विनिर्माण क्षेत्र का योगदान देश के सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ता जा रहा है। इसके चलते ग्रामीण इलाकों के नागरिक शहरी क्षेत्रों में स्थापित विनिर्माण इकाईयों में रोजगार के नए अवसर प्राप्त करने के उद्देश्य से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
विनिर्माण क्षेत्र में कई नए क्षेत्र उभरकर सामने आए हैं, जैसे रक्षा क्षेत्र, दवा क्षेत्र, सेमी-कंडक्टर निर्माण क्षेत्र, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में स्वदेशी रक्षा क्षेत्र में उत्पादन की मात्रा 1.27 लाख करोड़ रुपए की रही है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16.7 प्रतिशत अधिक है। यह भारत सरकार द्वारा देश में उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकारी नीतियों और प्रयासों की प्रभावशीलता को दर्शाता है। वर्तमान में रक्षा क्षेत्र में उत्पादन करने वाली इकाइयों में सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा संयुक्त प्रयास किए जा रहे हैं। इस दौरान सरकारी क्षेत्र की कंपनियों का योगदान 79.2 प्रतिशत रहा है, जबकि निजी क्षेत्र की कंपनियों का योगदान 20.8 प्रतिशत रहा है।
दूसरी ओर, रक्षा क्षेत्र में भारत में निर्मित उत्पादों की अन्य देशों में भारी मांग उत्पन्न हो रही है और निर्यात लगातार बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपए के मूल्य का निर्यात भारत से विभिन्न देशों में किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत अधिक है। यह भारत में रक्षा के क्षेत्र में हुए कुल उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत है। निर्यात में यह वृद्धि न केवल वैश्विक रक्षा बाजार में भारत के बढ़ते पदचिन्हों को दर्शाती है, बल्कि आत्मनिर्भरता और नवाचार के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
रक्षा क्षेत्र की तरह ही, हाल ही में भारत ने उत्पादन के कई नए क्षेत्रों में प्रवेश किया है। कुछ वर्ष पूर्व तक दवा निर्माण के क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले API (ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडीयंट) का लगभग पूरा आयात चीन से होता था। कोरोना महामारी के दौरान भारत को यह एहसास हुआ कि यदि चीन इस कच्चे माल का निर्यात कम कर दे या बंद कर दे, तो भारत में दवा उद्योग की इकाइयों का निर्माण ठप्प पड़ जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने API के उत्पादन को भारत में ही करने का निर्णय लिया। आज स्थितियाँ बदल गई हैं और API का निर्माण भारत में ही होने लगा है। भारत अब API के उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है।
भारत की वैश्विक API उद्योग में 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी हो गई है, और यहां 500 से अधिक प्रकार के API का उत्पादन किया जा रहा है। भारतीय दवा उद्योग में तेज वृद्धि देखने को मिल रही है और आज यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.72 प्रतिशत का योगदान देने लगा है। दवा उद्योग देश में रोजगार के करोड़ों अवसर भी निर्मित कर रहा है। भारतीय दवा उद्योग के वर्ष 2024 के अंत तक 6,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक 13,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वर्ष 2013-14 के बाद से वर्ष 2021-22 तक भारतीय दवा निर्यात में 103 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जेनेरिक दवाओं के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत हो गई है, जिससे भारत को “विश्व का फार्मेसी हब” भी कहा जाने लगा है।
लगभग 4 वर्ष पूर्व, वैश्विक स्तर पर ऑटोमोबाइल विनिर्माण के क्षेत्र में सेमीकंडक्टर की उपलब्धता में भारी कमी आई थी, जिससे वाहनों के उत्पादन को घटाना पड़ा। इसके बाद केंद्र सरकार ने भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण का वैश्विक हब बनाने का संकल्प लिया। भारत में सेमीकंडक्टर का बाजार 2,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है, जो वर्ष 2025 तक बढ़कर 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक हो सकता है। केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वैश्विक तकनीकी फर्मों से भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग लगाने के लिए सीधे चर्चा की है।
काउंटरपोइंट रिसर्च और इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार वर्ष 2026 तक लगभग 6,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा, जो वर्ष 2019 के बाजार से तीन गुना अधिक होगा। इसी प्रकार, भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी अत्यधिक शोध चल रहा है, ताकि आने वाले समय में भारत इस क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर सके। अमेरिका की कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां बैंगलोर में आकर इस क्षेत्र के इंजीनियरों की भर्ती भी कर रही हैं।
कुल मिलाकर, अब यह कहा जा सकता है कि भारत विनिर्माण क्षेत्र के कई ऐसे क्षेत्रों में कार्य करता हुआ दिखाई दे रहा है, जिनमें कभी भारत का प्रभुत्व नहीं था। इससे भारत में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों पर नागरिकों का दबाव भी कम हो रहा है।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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