Sunday, November 24, 2024
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सेबी प्रमुख माधवी बुच पर सुभाष चंद्रा के गंभीर आरोप

एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। 2 सितंबर को मीडिया से बात करते हुए डॉ. चंद्रा ने कहा, “मैं सहयोग नहीं करूंगा, बल्कि मैं उनके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा और जल्द से जल्द उन्हें पद से हटाने की मांग करूंगा।”

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. चंद्रा ने सेबी की चेयरपर्सन पर मीडिया कंपनी के खिलाफ काम करने वाली “नकारात्मक ताकतों में से एक” होने का आरोप लगाया और प्रस्तावित जी-सोनी विलय की विफलता के पीछे उन्हें एक प्रमुख कारण बताया।

डॉ. चंद्रा ने 25 जनवरी 2019 की घटनाओं का जिक्र किया, जब जी के शेयर 33 प्रतिशत गिर गए थे और मार्जिन कॉल का भुगतान नहीं हो सका था। उन्होंने कहा, ” इसके बाद मैंने एक खुला पत्र जारी किया, जिसमें बताया गया कि समूह की सभी ऑपरेटिंग कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और किसी प्रकार के तनाव में नहीं हैं।” उन्होंने पत्र में यह भी बताया कि मई/जून 2018 से समूह के खिलाफ नकारात्मक शक्तियां काम कर रही हैं।

डॉ. चंद्रा ने बताया, “हमने सेबी और अन्य संबंधित अधिकारियों से कई शिकायतें कीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पत्र में मैंने कर्जदाताओं से धैर्य रखने का अनुरोध किया और आश्वासन दिया कि जी के हिस्से की बिक्री प्रक्रिया पूरी होते ही कर्ज का भुगतान कर दूंगा।”

चंद्रा ने यह भी खुलासा किया कि 17 फरवरी, 2024 को एक व्यक्ति मंजीत सिंह ने उन्हें सेबी में मामला सुलझाने के लिए संपर्क किया था। “मैं आमतौर पर ऐसे व्यक्तियों से मिलने से बचता हूं, लेकिन चूंकि वे एक परिचित व्यक्ति के माध्यम से आए थे, मैंने उनसे मुलाकात की। उन्होंने दावा किया कि काम माधबी पुरी बुच और उनके पति के माध्यम से किया जाएगा और इसके लिए एक कीमत चुकानी होगी। मैंने उन पर विश्वास नहीं किया।”

उन्होंने आगे कहा, “हाल ही में हिन्डनबर्ग और आईसीआईसीआई बैंक द्वारा माधबी पुरी बुच और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ किए गए खुलासों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि वह व्यक्ति सही हो सकता है।”

गौरतलब है कि पिछले साल  अगस्त में एनसीएलटी द्वारा जी-सोनी विलय को मंजूरी मिलने के कुछ दिनों बाद, सेबी ने आदेश जारी कर जी के प्रमोटर्स पुनीत गोयनका और सुभाष चंद्रा को जी कंपनियों या सोनी के साथ विलय होने वाली नई इकाई में महत्वपूर्ण प्रबंधन भूमिकाओं में शामिल होने से रोक दिया था। सेबी की जांच आठ महीने में पूरी होने की उम्मीद है।

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