छत्तीसगढ़ के सरगुजा में 22 परिवारों के करीब 100 लोगों ने 30.09.2024 को एक साथ सनातन वैदिक धर्म में वापसी कर ली।
समय बदल रहा है, महर्षि दयानंद सरस्वती जी और आर्य समाज के शुद्धि आन्दोलन का जिन शंकराचार्यों ने 150 वर्ष पूर्व विरोध किया था, आज वे आर्य समाज के बताए मार्ग पर आ रहे हैं और सभी विधर्मियों की सनातन वैदिक धर्म में वापसी के कार्य में सहयोगी हो रहे हैं । धन्य धन्य महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज, धन्य धन्य आर्य समाज, धन्य धन्य भारतीय हिंदू शुद्धि सभा।
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में 29 सितंबर को ‘विशाल हिन्दू धर्म सभा’ आयोजित की गई। इस मौके पर ऋग्वैदिक गोवर्धन मठ, पुरी के पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और प्रदेश भाजपा के नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने उत्साहित लोगों को माला पहनाकर उनकी घर वापसी कराई। बताया जाता है कि जिन 22 परिवारों के लोगों ने घर वापसी की वो सभी वनवासी समुदाय से आते है जो कुछ वर्ष छल से ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मांतरित किए गए थे।
अच्छी शिक्षा, अच्छा जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के सपने दिखा कर उन्हें मिशनरियों द्वारा ईसाई मत में मतांतरित कर दिया गया था। जबकि इस बात का भी पता चला है कि कन्वर्जन के बाद भी ये लोग आरक्षण के लिए कागजों पर सनातन धर्म का ही पालन कर रहे थे। लोगों ने आरोप लगाया कि अधिकतर कन्वर्जन लालच और प्रलोभन का लालच देकर किया गया था। इसको लेकर भाजपा नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने सोशल मीडिया साइट एक्स के माध्यम से कहा, “पूर्वजों के पुण्य और मेरे सौभाग्य से सनातन धर्म के सर्वोच्च एवं सार्वभौम धर्मगुरु, अनंत श्री विभूषित ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने मुझे 22 परिवार के 100 सदस्यों की घर वापसी करने का पावन अवसर दिया। कृतज्ञ हूँ कि राष्ट्र निर्माण के इस पवित्र कार्य को सनातन धर्म के सर्वोच्च एवं सार्वभौम धर्मगुरु के सानिध्य में प्रतिपादित करना मेरे लिए ऐतिहासिक, अभूतपूर्व और अलौकिक अनुभूति है।”
(वर्तमान में शुद्धि ही आपकी आने वाली पुश्तों की रक्षा करने में सक्षम हैं। याद रखें आपके धार्मिक अधिकार तभी तक सुरक्षित हैं, जब तक आप बहुसंख्यक हैं। इसलिए अपने भविष्य की रक्षा के लिए शुद्धि कार्य को तन, मन, धन से सहयोग कीजिए। )
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