अग्रिम आरक्षण मुद्दे पर सोशल साइट पर अभियान भी शुरू हो गया। change.org नामक वेबसाइट पर विधि जैन नामक युवती ने इस नियम को आर्थिक दोहन वाला बताया। अब तक ऑनलाइन याचिका से40 हजार लोग जुड़ चुके हैं। सोशल साइट पर अग्रिम आरक्षण की समय सीमा 120 दिन की जगह 30दिन व रद्द कराने पर शुल्क को वापस लिया जाये।
अग्रिम आरक्षण के समय में बदलाव के लिए अब आवाज उठने लगी है। इसके लिए जनता ने रेल मंत्रालय और अधिकारियों को पत्र भी लिखना शुरू कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी बजट में रेलमंत्री इस संबंध में नई घोषणा कर सकते हैं।
ये हैं नियम: भारतीय रेलवे ने पहले अग्रिम आरक्षण का नियम 60 दिन का बनाया था। बीते साल नवम्बर में इसमें बदलाव करते हुए इसकी समय सीमा बढ़ाकर 120 दिन यानी चार महीना कर दिया।
आरक्षण रद्द कराने में कट रही दो गुनी से अधिक रकम:आरक्षण रद्द कराने का निर्धारित शुल्क दो गुना कर दिया। पहले किसी भी ट्रेन के छूटने के बाद टिकट रद्द कराने पर आधा पैसा वापस होता था। वहीं चार घंटे पहले तक यह शुल्क 25 प्रतिशत था पर नये नियम के अनुसार सभी श्रेणियों के टिकट रद्द कराने पर दो से तीन गुनी रकम काट ली जा रही है। यहां तक ट्रेन छूटने के चार घंटे पहले टिकट रद्द कराने पर पैसा वापस नहीं होता है।
कमाई का जरिया बना: रेलवे के इन दोनों नियमों से यात्री काफी परेशान हो रहे हैं। उनका आर्थिक दोहन भी हो रहा है। लंका निवासी प्रशांत त्रिपाठी ने बताया कि रेलवे ने ये नियम अपनी कमाई के लिए बनाये हैं। अगर संभावना पर आरक्षण करा भी लिया जाये तो इसकी गारंटी नहीं है कि यात्र की जायेगी। 90प्रतिशत मामले में टिकट कैंसिल ही कराना पड़ता है। इससे अच्छी कमाई होती है।
विधि जैन की ऑन लाईन पीटिशन
https://www.change.org/ पर