प्रतिष्ठा में,
श्रद्धेय श्री श्री रविशंकर जी,
सादर प्रणाम.
यमुना – आर्ट ऑफ लिविंग प्रकरण पर तीन समितियों की रिपोर्ट से यह सिद्ध हो गया है कि याची का अनुरोध न्यायसंगत है.
अब NGT का फैसला चाहे जो आये, भारत के इस कालखण्ड की ज़रुरत यह है कि अब आप थोड़ा और बड़े बनें; बड़प्पन दिखाएँ. कृपया आयोजन हेतु स्थान चुनाव को अपने निजी अहम् अथवा प्रतिष्ठा का विषय न बनायेँ.
श्री श्री रविशंकरजी से एक मार्मिक अपील
भूल होना कोई गलत बात नहीं. उसके सुधार के लिए संकल्पित होना बड़ी बात है. संकल्प, कभी विकल्प की तलाश में अपना वक़्त जाया नहीं करता. विकल्प की तलाश, संकल्प के कमज़ोर होने का लक्षण होता है. निजी तौर पर आपसे यह मेरा विनम्र अनुरोध है कि भारतीय अध्यात्म और दर्शन के प्रति विश्वास की रक्षा के लिए कृपया बाबा भारती की कहानी को याद करें; भूल स्वीकारें, स्थान परिवर्तित करें; ज़रुरत हो, तो तारीखें भी.
बिगड़े बाढ़ क्षेत्र को सुधारने और प्रयाश्चित स्वरूप शासन के जरिये यमुना अविरलता सुनिश्चित कराने का संकल्प लेकर यमुना निर्मलता सुनिश्चित कराने में मददगार हों. श्रद्धेय, इस कदम से आप बड़े ही होंगे, छोटे नहीं. कृपया करें और वह भी NGT का निर्णय आने से पहले; उसके पश्चात भूल सुधार के आपके बोल भी एक मज़बूरी ही माने जायेंगे.
आपके निर्णय की प्रतीक्षा है.
निवेदक
अरुण तिवारी
amethiarun@gmail.com
9868793799