रेलवे ने मंगलवार को डिजिटल इंडिया की ओर चार कदम और बढ़ाए तथा ई-कैटरिंग सेवाओं को देश के बड़े 408 स्टेशनों तक विस्तार करने के साथ साथ पत्रकारों को रियायती यात्रा की सुविधा ई-टिकटिंग में भी देने, मालवहन की नई पहल और नई लेखा प्रणाली के प्रायोगिक परीक्षण की शुरुआत की।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने यहां रेल भवन में आयोजित एक समारोह में इन चार सेवाओं का शुभारंभ किया। इस मौके पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एके मित्तल एवं बोर्ड के सदस्य यातायात मोहम्मद जमशेद उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि ये चारों कदम डिजिटल इंडिया के कारण संभव हुए हैं।
इस मौके पर प्रभु ने कहा कि रेलवे ने बजट घोषणाओं पर तेजी से अमल शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि रेलवे जल्द ही नई खानपान नीति लाने जा रही है और उसके माध्यम से यात्रियों को घर के बने खाने से लेकर बाजार में उपलब्ध हर प्रकार के पकवान उनकी सीट पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
उन्होंने संकेत दिए कि भविष्य में सभी गाड़ियों से पेंट्री कार हटाई जाएगी और बेस किचेन एवं ई-कैटरिंग के साझेदारों के साथ ट्रेनों में गरम खाना उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने ई-कैटरिंग सेवा का विस्तार का ऐलान करते हुए कहा कि यात्रियों के लिये देश के 408 ए1 और ए श्रेणी के स्टेशनों पर ई-कैटरिंग की सुविधा से मनमाफिक ताज़ा और स्वादिष्ट खाना मिल सकेगा।
हल्दीराम से लेकर केएफसी तक अधिकतर ब्रांड रेलवे के साथ जुड़ चुके हैं और इसके साथ ही महिला स्वसहायता समूह भी घर के बने खाने के साथ रेलयात्रियों की सेवा में मौजूद रहेंगे।
प्रभु ने पत्रकारों को मिलने वाली 50 प्रतिशत रियायती टिकट की सुविधा को आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन करने के निर्णय को डिजिटल इंडिया के लिए अहम कदम बताया।
रेलमंत्री ने छोटे केन्द्रों तक मालगाड़ियों के जरिए सीमेंट, खाद्यान्न, नमक, चीनी, खाद्य तेल और खाद की दो एवं अधिक स्टेशनों पर बीसीएन और बीसीएनएचएल वैगनों के माध्यम से ढुलाई करने और मिनी रैक की लोडिंग की सीमा 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना का शुभारंभ किया।
उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे करीब 35 लाख टन माल ढुलाई में इजाफा होगा। नई एकाउंटिंग प्रणाली लाने के पहले रेलवे की कपूरथला स्थित कोच कारखाने में एकाउंटिंग रिफॉर्म इन्क्यूबेटर का उद्घाटन किया जिससे एक्रुअल एकाउंटिंग एंड अपग्रेडेड कॉस्टिंग सिस्टम का आरंभिक अध्ययन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि इससे रेलवे के संसाधनों का सटीक आकलन संभव होगा।