होली के अवसर पर विभिन्न रंगों और पानी से होली खेलते लोग तो आपने खूब देखे होंगे, लेकिन गाय के गोबर और गोमूत्र से होली खेलते देखना एक अलग नजारा होगा। कुंभ नगरी उज्जैन में होली के अवसर पर ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा जब साधुओं और ऋषि मुनियों ने गो संरक्षण का संदेश देते हुए गाय के गोबर और गोमूत्र से होली खेलेंगे।
आपसी प्रतिद्वंदिता को एकतरफ रखते हुए शिवा, वैष्णव और उदासीन अखाड़ा 23 मार्च को जूना अखाड़ा के साधुओं और ऋषि मुनियों के साथ होली खेलेंगे। इस दौरान साथ के साधु संत गाय के गोबर और गोमूत्र से होली खेलेंगे तो वयोवृद्ध साधुओं को तिलक लगाकर हाली खेली जाएगी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी ने बताया कि, यह हमारी परंपरा का एक भाग है कि हम गाय के गोबर और गोमूत्र से होली खेलें। उज्जैन में सभी 13 अखाड़े हर बार सिंहस्थ के अवसर पर होली खेलते हैं। यह मौका इसलिए भी खास है कि क्योंकि यह हर 12 बरस के बाद पड़ता है।
निर्वाणी अनी अखाड़ा के दिग्विजय दास कहते हैं कि गाय गोबर शुद्ध है इससे कोई हानि भी नहीं होती जो रसायनिक रंगों से होती है। इसके साथ ही हम लोगों को गाय के महत्व के प्रति भी जागरूक कर सकते हैं।