राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने माइक्रोसॉफ्ट में कार्यरत वरिष्ठ तकनीकविद और पूर्व संपादक बालेन्दु शर्मा दाधीच को प्रतिष्ठित ‘आत्माराम पुरस्कार’ से सम्मानित किया। मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में उन्हें यह सम्मान दिया गया।
दाधीच को यह पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जरिए हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए दिया गया है।
बता दें कि इस पुरस्कार के तहत मानपत्र और एक लाख रुपए की राशि दी जाती है और यह सम्मान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से प्रदान किया जाता है।
समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और अनेक गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं।
बालेन्दु शर्मा दाधीच सूचना प्रौद्योगिकी और न्यू मीडिया के क्षेत्र में एक सुपरिचित नाम हैं। हिंदी भाषा में तकनीकी सोच को आगे बढ़ाने और सूचना तकनीक के विविध पहलुओं को रहस्यजाल से मुक्त करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। हिंदी सॉफ्टवेयर और वेब सेवाओं के विकास, हिंदी में न्यू मीडिया (वेब पत्रकारिता) को प्रोत्साहित करने, तकनीकी विषयों पर हिंदी लेखन के लिए जाने-पहचाने जाने वाले दाधीच पहले भी अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किए जा चुके हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा भी उन्हें हिंदी भाषा के प्रति तकनीकी माध्यमों से उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित कर चुके हैं।
‘आत्माराम पुरस्कार’ हिंदी सेवी सम्मान योजना में दिए जाने वाले सात पुरस्कारों में से एक है। यह विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले 14 देसी-विदेशी विद्वानों को प्रदान किया जाता है।
राष्ट्रपति ने जिन अन्य हिंदी विद्वानों, साहित्यकारों और विशेषज्ञों को ‘आत्माराम पुरस्कार’ सम्मान प्रदान किया है, उनमें साल 2012 के लिए डॉ़. ओम प्रकाश शर्मा और डॉ़. गणेश शंकर पालीवाल शामिल हैं। वहीं बालेंदु शर्मा दाधीच को साल 2013 के लिए यह सम्मान दिया गया। हालांकि साल 2013 के लिए यह सम्मान प्रोफेसर दिनेश मणि को भी मिला। वहीं साल 2014 के लिए यह सम्मान सुरेश कुमार जिंदल और सुरेश तिवारी को दिया गया।
साभार- samachar4media.com से