मुंबई अंडरवर्ल्ड पर हिंदी में देश की पहली पुस्तक मुं’भाई में खोजी पत्रकार विवेक अग्रवाल ने कई खुलासे किए हैं, उनमें से एक यह भी है कि 26 अक्तूबर 2015 को छोटा राजन की बाली में गिरफ्तारी के बाद भारत वापसी के पीछे असलियत क्या है, यह आज तक रहस्यों के कोहरे में लिपटा रहा है। कुछ लोगों ने गिरफ्तारी का श्रेय पूर्व आईबी निदेशक और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को दिया। उनके मुताबिक यह बेहद शानदार खुफिया अभियान था। इसके लिए लोगों ने देश की खुफिया एजंसियों को बधाईयां तक दीं।
कहा गया कि छोटा राजन के ऑस्ट्रेलिया में होने की सूचना शकील तक पहुंचने की फर्जी कहानी खुफिया तंत्र ने गढ़ी थी। शकील के हत्यारे दस्ते उसके घर के आसपास तक पहुंचने की सूचना पहुंचा दी। डरा हुआ राजन इस खुफिया झांसे में आ गया। इसके बाद उनके बीच थोड़ा सा मोलभाव हुआ। उसके बाद राजन खुद ही इंडोनेशिया के द्वीपीय शहर बाली जा पहुंचा। वहां उसकी गिरफ्तारी का नाटक रचा गया। कुछ लोगों ने यह भी शक जताया कि राजन की भारत वापसी के पीछे गोपनीय व छुपा राजनीतिक एजंडा है।
बाली और विक्की की मुखबिरी
इन सबसे अलग गिरोहों का काला संसार कुछ और ही कहता है। यह जानकारी निकल कर आई है कि बाली और विमल उर्फ विक्की नामक दो सगे भाईयों ने राजन के खिलाफ सन 2015 की यह सबसे बड़ी और खतरनाक लेकिन असफल मुखबिरी की है। बाली और विक्की पहले राजन के लिए ही काम करते थे। वे दोनों नाना कंपनी का फाईनेंस संभालते थे। वे सिंधी समुदाय से हैं। विद्याविहार के सौमैय्या कॉलेज के पास स्थित पेस्टनजी चॉल में रहते थे। यह जगह राजन गिरोह के मुख्यालय तिलक नगर जाने के रास्ते पर पड़ती है।
एक बात और पता चली है कि विक्की ने आयरलैंड में भी राजन के साथ काफी वक्त बिताया था। इनके बारे में एक और बात यह जानकारी है कि संतोष शेट्टी का दिमाग कहे जाने वाले विजय शेट्टी उर्फ बाला शेट्टी उर्फ विजू के भी संपर्क में ये दोनों हैं। दाऊद के खास सिपहसालार और सट्टा कमान के प्रभारी शरद शेट्टी की दुबई में हुई हत्या के लिए हथियार, धन, यात्रा और साजो-सामान की व्यवस्था की थी।
मिताई ने दी सूचना
कुछ समय पहले किसी कारण से उनका राजन से अलगाव हो गया था। इसका फायदा शकील ने उठाया। उसने राजन का ठिकाना जानने के लिए बाली और विक्की को साथ लिया। इन दोनों ने राजन के साथ रहे वाले और उसका सारा निजी कामकाज संभालने वाले मिताई को फोड़ा। उससे तमाम जानकारियां हासिल कीं। इस सूचना के आधार पर शकील ने एक हत्यारा दस्ता ऑस्ट्रेलिया रवाना किया।
शकील की दो योजना नाकामयाब
वाणी प्रकाशन से छप कर आई इस पुस्तक मुं’भाई में खोजी पत्रकार विवेक अग्रवाल ने लिखा है कि किसी तरह यह जानकारी राजन तक पहुंच गई कि शकील की ओर से कुछ खतरनाक हलचल शुरू हो गई हैं। उसने भारतीय खुफिया एजंसियों में अपने संपर्कों को फोन खड़काया। उनके लिए यह सुनहरा मौका था। तुरंत यह मौका उन्होंने लपक लिया। राजन को बाली आने के लिए तैयार किया। राजन के इस सफर की सूचना भी शकील को मिल गई। उसने बाली हवाई अड्डे पर भी राजन को ठिकाने लगाने के लिए एक हत्या दस्ता तैनात किया। वे सफल हो जाते अगर राजन बिना पुलिस सुरक्षा में बाहर आता। राजन को तुरंत खुफिया तरीके से सुरक्षित बाहर निकाल ले गए। शकील का दस्ता वहां मुंह टापता रह गया।
बाली और विक्की गायब
पता चला है कि बाली और विक्की मुंबई से गायब हो गए हैं। विक्की का अंतिम ठिकाना दुबई था। यह तय है कि राजन अब इन दोनों को भी छोड़ेगा नहीं क्योंकि दोनों के पासपोर्ट की तमाम सूचनाएं भी उसके पास हैं। इनके आधार पर वह दोनों का पता-ठिकाना निकाल कर उन्हें सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।