गत दो माह के दौरान हैदराबाद में गूगल मैप्स की टीम ने तमाम ऐसे फीचर जोड़े हैं, जिनसे भारत में उसका इस्तेमाल करना अधिक आसान होने के साथ ही आवाजाही भी बेहद सुगम हो जाएगी
वर्ष 2007 से भारत में अपने प्रवेश के साथ ही गूगल मैप्स सेवा ने देश में लंबा सफर तय किया है। उससे पहले तक लोग कागजी नक्शों के जाल में उलझकर रह जाते थे। मगर गूगल मैप ऑफलाइन सर्च, हिंदी मैप, रियल टाइम ट्रैफिक अलर्ट, पिट स्टॉप प्रो के साथ ही कैब बुकिंग की राह से भी गुजरा।
फिलहाल भारत के 5,000 से अधिक शहर गूगल मैप्स के दायरे में है। स्थानीय गाइडों के योगदान के मामले में जहां भारत शीर्ष तीन देशों में शामिल है, जबकि ऑफलाइन मैप्स इस्तेमाल करने के मामले में वह शीर्ष पांच देशों में शामिल है। भारत को नक्शे पर उतारने की गूगल की कोशिशें कई वर्षों की कोशिशों के बाद रंग लाई हैं। वर्ष 2009 में लैंडमार्क (खास चिह्नित प्रमुख स्थानों) के जरिये पता तलाशने की शुरुआती पहल की गई। उससे पहले गूगल ने भारत में मैप मेकर की शुरुआत की, जिसने उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग होने वाले मानचित्रों में उन्हें संपादन करने की सुविधा उपलब्ध कराई। मैपमेकर की कामयाबी ने लोकल गाइड्स के लिए राह तैयार की।
पिछले दो महीनों के दौरान हैदराबाद में गूगल मैप्स की टीम ने तमाम ऐसे फीचर जोड़े हैं, जिससे भारत में उसका इस्तेमाल करना और आसान और आवाजाही बेहद सुगम हो जाएगी। साथ ही यह उपभोक्ताओं को गूगल मैप्स में सीधे साइन अप करने की सुविधा देकर उनसे स्थानीय पते साझा करने के लिए भी कह रही है।
गूगल मैप्स के उत्पाद प्रबंधक (प्रोडक्ट मैनेजर) संकेत गुप्ता ने बताया, ‘जब 10 साल पहले (वैश्विक स्तर पर) हमने गूगल मैप्स की शुरुआत की थी तो हमारे पास कुछ नहीं था, यह किसी कोरे कागज के माफिक ही था। उसके बाद से हमने हर एक शख्स की जेब तक दुनिया का नक्शा पहुंचा दिया है।’
हालांकि अगर मानचित्रीकरण की बात करें तो इस मामले में भारत की स्थिति अमेरिका जितनी अच्छी नहीं है, ऐसे में गूगल मैप्स पर पेश किए गए तमाम फीचर भारतीय उपयोग के आधार पर जुड़े हैं। मिसाल के तौर पर ताजातरीन ऑफलाइन मैप्स भारत में उपलब्ध हैं। गुप्ता ने बताया, ‘मैंने निजी तौर पर महसूस किया है कि जब भी हम रोमिंग में होते हैं तो आपके नेटवर्क पर डेटा की स्पीड सुस्त पड़ जाती है। इसके अतिरिक्त देश के तमाम इलाकों में कनेक्टिविटी की हालत भी खराब है। ऐसे में हमारे ऑफलाइन मैप्स कारगर साबित होते हैं, जो बिना इंटरनेट कनेक्शन भी सही राह बताते हैं।’
गुप्ता आगे कहते हैं भले ही गूगल मैप्स वैश्विक उत्पाद है लेकिन प्रत्येक देश के हिसाब से उसका स्थानीयकरण किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर गूगल मैप्स की सेवाएं हिंदी में भी उपलब्ध होंगी। गुप्ता ने बताया, ‘पिछले कुछ समय से हम इस पर काम कर रहे हैं। यह हमारी ओर से बड़ी कोशिश है, जिसे हमने पिछले साल ही पूरा किया है, जब हमने हिंदी में वॉयस-नैविगेशन सेवा शुरू की थी। सबसे बेहतर पहलू यही है कि हमने मशीन लर्निंग के जरिये हिंदी मैप्स का काम किया है और यह सबसे अभिजात्य भाषाओं में से एक है। इससे पहले हम मैनुअली काम करते थे।’
जहां लोग अधिक से अधिक समय अपने हैंडसेट के साथ बिता रहे हैं, ऐसे में गूगल मैप्स पिट-स्टॉप्स को भी शामिल कर रहा है, हालांकि अभी भी इस पर काम हो रहा है। यह आपको ऐसे हालात से रूबरू कराएगा कि आपकी गाड़ी का ईंधन कब खत्म होने वाला है और आपके पास सबसे नजदीकी पेट्रोल पंप कौनसा है ताकि आप ईंधन ले सकें। या फिर आप जल्दबाजी में किसी समारोह के लिए निकले हों और गुलदस्ता लेना भूल गए हों तो यह आपकी उस स्थिति में भी मदद करेगा।
खास नए फीचर
गूगल मैप्स के साथ जोड़े जाने वाले फीचर में टैक्सी बुकिंग फीचर भी शामिल है। देश के 27 शहरों में उपलब्ध इस सेवा के लिए गूगल ने ओला और उबर जैसी कैब सेवा प्रदाताओं के साथ गठजोड़ किया है, जहां उपभोक्ता महज एक पल में आसानी से कैब बुक करा सकते हैं। हालांकि इसके लिए ओला और उबर का ऐप भी हैंडसेट पर डाउनलोड करना होगा। साथ ही गूगल मैप्स में ट्रैफिक की पल-प्रतिपल की जानकारी देना वाला फीचर भी जोड़ा गया है। 34 शहरों में उपलब्ध यह फीचर ट्रैफिक की मौजूदा स्थिति बताने के साथ ही विभिन्न मार्गों की तुलना कर यह भी बताएगा कि किस मार्ग से कितना समय लगेगा। यह फीचर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों और 34 शहरों में उपलब्ध होगा।
जहां तक नए फीचर की बात हैं तो गूगल उपभोक्ताओं को खोजने, समीक्षा करने और जगहों पर अपने अनुभव को साझा करने की सुविधा मुहैया कराएगी। इससे भी बढ़कर गूगल वॉट्सऐप, ईमेल, हैंगआउट्स और अन्य मंचों के जरिये परिवार और मित्रों के साथ जगहों को साझा करने की सहूलियत देगी।
साभार- http://hindi.business-standard.com/ से