माननीय श्री बसंत सेठ ,
सूचना आयुक्त,
केन्द्रीय सूचना आयोग,
नई दिल्ली
मान्यवर,
आपको ज्ञात ही है कि आयोग की स्थापना नागरिकों के सूचना के अधिकार की रक्षा के लिए की गयी है और आयोग की कार्यवाहियां कोई विस्तृत न्यायिक परीक्षण न होकर संक्षिप्त प्रकृति की हैं जिनमें नागरिकों को सूचना प्रदान करने और कानून का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर अर्थदंड लगाने सम्बंधित विषयों का निस्तारण किया जाता है | माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक मामले में दिनांक 7 जुलाई 2010 को धारित किया है कि सूचना के अधिकार के अंतर्गत द्वितीय अपील पर निर्णय 45 दिन में दिया जाना चाहिए |
आयोग एक ट्रिब्यूनल है और ट्रिब्यूनल का गठन जनता को त्वरित और सस्ता न्याय दिए जाने हेतु किया जाता है किन्तु दुखद है कि आयोग में कार्यवाहियां असाधारण और अनावश्यक रूप से लम्बे समय तक चलती हैं तथा अर्थदंड के प्रकरणों में अलग से नोटिस जारी किया जता है और अत्यधिक लंबा समय लगता है जिससे नागरिकों में हताशा और अविश्वास पनपता है तथा जनता के बहुमूल्य समय और धन का अपव्यय होता है
कानून की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए भयावह दंड नहीं बल्कि तुरंत दिया जानेवाला दंड अधिक प्रभावशाली होता है | राजस्थान सूचना आयोग में, जहां अधिनियम का उल्लंघन हुआ हो सूचना प्रदानगी और अर्थदंड के विषय दोनों को एक ही सुनवाई( नोटिस प्रति संलग्न ) में निपटाया जाता है जबकि केन्द्रीय सूचना आयोग में अर्थदंड के विषय को अनुचित रूप से लंबा खेंचा जा रहा है | अत: आयोग को शीघ्र ही इस अस्वस्थ और जन विरोधी परिपाटी का त्याग कर एक ही सुनवाई में मामले को निपटाया जाना चाहिए तथा जहां अधिनियम का उल्लंघन हुआ हो वहां प्रथम नोटिस में ही अर्थदंड लगाए जाने के विषय पर विपक्षी से स्पष्टीकरण मांग लेना चाहिए |
आशा है आप इस प्रार्थना पर मानवीय निर्णय लेंगे |
सादर,
मनीराम शर्मा
नकुल निवास , रोडवेज डिपो के पीछे
सरदारशहर -331403
जिला चुरू ( राज)