वेब पर उपलब्ध दो हिंदी पत्रिकाओं “अनूभूति” और ”अभिव्यक्ति” की सुरुचि-सम्पन्न संपादिका पूर्णिमा वर्मन के नाम से हिंदी-पाठक और हिंदी लेखक अपरिचित नहीं होंगे।देश-विदेश के अनेक लेखक इनकी पत्रिकाओं से जुड़े हैं। इतना ही नहीं इन्होंने वेब पर “नवगीत की पाठशाला” नामक एक ब्लॉग भी निर्मित किया है जिसकी वजह से आज यूके,यूएसए,कनाडा,ऑस्ट्रेलिया आदि अनेक देशों सहित भारत के अनेक रचनाकार नवगीत-लेखन की ओर प्रवृत्त हुए। विदेश (शारजाह) में रहकर हिंदी के प्रति इनके इस सेवा-समर्पण भाव के लिए इन्हें देश-विदेश की कई संस्थाओं ने समय-समय पर सम्मानित किया है।२०१२ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपतिजी ने इन्हें इनकी हिंदी-सेवाओं के लिए “पद्मविभूषण डॉ० मोटूरि सत्यनारायण” पुरस्कार से विभूषित किया है ।भारत में मूलतः लखनऊ और इलाहाबाद से जुड़ीं पूर्णिमाजी सम्प्रति अपने परिवार के साथ १९९५ से शारजाह में रह रही हैं।
पूर्णिमाजी शारजाह में ही “शुक्रवारीय चौपाल-काव्य-संध्या’ आयोजित कराती हैं जिसमें दुबई, शारजाह,अजमान आदि नगरों में रह रहे हिंदी-प्रेमी लेखक,कवि और रचनाकार भाग लेते हैं।अपनी रचनाएँ सुनाते हैं तथा उनपर विचार-विमर्श भी होता है। २७ मई २०१६ को हुई काव्य-संध्या में मुख्य-अतिथि के रूप में मुझे सम्मिलित होने का सुअवसर मिला। यूएई के हिंदीप्रेमी लेखकों से मिलकर और उनकी रचनाओं को सुनकर अपार हर्ष हुआ। ज्यादातर लेखक-बन्धु यहाँ की शिक्ष्ण-संस्थाओं में शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि थे भारत से पधारे डॉ. शिबनकृष्ण रैणा और उनकी पत्नी श्रीमती हंसा रैणा। कार्यक्रम में श्री सत्यभान ठाकुर, श्रीमती मीरा ठाकुर, श्री अवधेश गौतम, श्रीमती ऋचा गौतम, श्री कुलभूषण व्यास, श्रीमती अनुराधा व्यास, श्रीमती शांति व्यास, श्री नागेश भोजने, श्री संतोष कुमार, श्री आलोक चतुर्वेदी, श्रीमती शिवा चतुर्वेदी, श्रीमती ऋतु शर्मा, श्री प्रवीण सक्सेना और श्रीमती पूर्णिमा वर्मन ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।
सबसे पहले उपस्थित रचनाकारों ने एक दूसरे से परिचय प्राप्त किया और उसके बाद रचना पाठ का कार्यक्रम हुआ। श्री आलोक चतुर्वेदी ने देश, समाज और व्यक्तित्व के उत्थान से ओतप्रोत, गीत शैली की रचनाएँ पढ़ीं जिसे सभी ने सराहा। श्रीमती ऋतु शर्मा की रचनाएँ छंदमुक्त शैली में थी और जीवन के विविध आयामों एवं राजनीतिक चेतना से संबंधित थीं। इन्हें सभी की प्रशंसा मिली। श्री संतोष कुमार की रचनाओं में जीवन के सुख-दुःख को बहुत ही सहजता से रूपायित किया गया था। जबकि श्री नागेश भोजने की कविताओं में जीवन के रंगों में हास्य व्यंग्य का रोचक पुट था। दोनो की छंदमुक्त रचनाओं का सभी ने स्वागत किया। पूर्णिमा वर्मन की रचना मौसम माहौल और मन पर केंद्रित रहीं जिसमें प्रकृति चित्रण, व्यंग्य और मनोरंजन मिला जुला था। श्री कुलभूषण व्यास के दोहे आदर्शवादिता के सुंदर नमूने थे जो सभी को रुचिकर लगे। श्रीमती ऋचा गौतम की गजल ने गोष्ठी में संगीत का तड़का लगाया और डॉ शिबनकृष्ण रैणा ने गलतफहमी और खुशफहमी की व्याख्या करने वाला एक रोचक लेख पढ़ा जिसकी व्यंग्यातमक तरंगों के कारण अंत में लोग हँसे बिना न रह सके।
अंत में विभिन्न विषयों पर बातचीत हुई जिसमें सपनों के उद्भव उनके भविष्य और उनके वैज्ञानिक तथ्यों पर चर्चा हुई। कुछ लोगों ने अपने रोचक सपनों के विषय में भी बताया जो आगे चलकर सच साबित हुए। इसी में एक रोचक स्वप्न श्रीमती हंसा रैणा का था। डॉ शिबन कृष्ण रैणा ने अपने पितामह द्वारा संकलित कश्मीर के शैव स्तोत्रों के विषय में भी चर्चा की। कुल मिलाकर गोष्ठी सफल और ज्ञानवर्धक रही।
संपर्क
(डॉ० शिबन कृष्ण रैणा)
Member,Hindi Salahkar Samiti,Ministry of Law & Justice
(Govt. of India)
SENIOR FELLOW,MINISTRY OF CULTURE
(GOVT.OF INDIA)
2/537 Aravali Vihar(Alwar)
Rajasthan 301001
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