पटना की शालिनी कुमारी के एक इनोवेटिव आइडिया ने उसकी जिंदगी बदल दी है। मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली शालिनी के आइडिया पर आधारित आविष्कार अगले महीने बाजार में उतरने जा रहा है, जिससे उसे लाखों की कमाई होने की उम्मीद है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इनोवेशन फेस्टेवल के दौरान शालिनी के आइडिया पर नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) की तरफ से तैयार किए गए एडजस्टेबल वॉकर को भी प्रदर्शित किया गया है। शालिनी ने 2011 में यह आइडिया सुझाया था तब वह हार्टमैन गर्ल्स स्कूल की नौवीं कक्षा की छात्रा थी। उसके दादा को दुर्घटना में चोट लगने के कारण चलने-फिरने में दिक्कत होती थी और वे वॉकर इस्तेमाल करते थे। लेकिन वे वॉकर से सीढिम्यां नहीं चढ़ पाते।
शालिनी ने इस समस्या का समाधान खोजा। उसने एक ऐसे वॉकर की कल्पना की जिसकी आगे की दो टांगे छोटी-बड़ी की जा सकती हों। उसने इसका डिजाइन तैयार किया और एनआईएफ की आइडिया प्रतियोगिता इग्नाईट में भेजा। उसे दो लाख रुपये का पहला पुरस्कार मिला। इसके बाद शालिनी के आइडिया पर एडजेस्टबल वॉकर तैयार किया गया।
पिछले साल यह तकनीक जब एनआईएफ ने नागपुर की एक कंपनी कबीरा सोल्यूशन को सौंपी गई तो तकनीक के आविष्कार के लिए शालिनी को एकमुश्त दो लाख की राशि प्रदान की गई। शालिनी और कंपनी के बीच हुए समझौते के तहत भविष्य में हर वॉकर की बिक्री पर कंपनी उसे सौ रुपये बतौर रायल्टी देगी। एनआईएफ के अनुसार कंपनी सात अप्रैल को वॉकर को व्यावसायिक रूप से बाजार में उतारने जा रही है। पहले चरण में दस हजार वॉकर उतारे जा रहे हैं। जिनकी बिक्री से शालिनी को दस लाख रुपये और मिलेंगे। बता दें कि सात मार्च को जब राष्ट्रपति ने जमीन से जुड़े आविष्कारकों को सम्मानित किया था तो उन्हें भी 25 हजार रुपये का सांतवना पुरस्कार दिया गया था। यह वॉकर जहां बुजुर्गों, बीमार लोगों के जीवन को बदल देगा वहीं शालिनी के करियर को भी इससे नया आयाम मिला है।
मेरे दिमाग में चल रहे हैं कई अनोखे आइडिया
राष्ट्रपति भवन में शालिनी ने बताया कि उसके मन में ऐसे कई और अनोखे आइडिया घूम रहे हैं। मसलन, वह बसों में सफर के दौरान छूट जाने वाले यात्रियों को खोजने के लिए कोई तकनीक विकसित करना चाहती हैं। लेकिन अभी वह अपना सारा ध्यान प्री-मेडिकल परीक्षा की तैयारी में दे रही है। ताकि अपने डॉंक्टर बनने के सपने को साकार कर सके।
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