मुंबई। मुंबई के कमल ज्योति फाउंडेशन द्वारा आयोजित स्व. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय लघु, सूक्ष्म एवँ अति सूक्ष्म उद्योग मंत्री श्री कलराज मिश्र ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता व अखंडता का स्वप्न ही नहीं देखा इस स्वप्न को साकार करने के लिए उन्होंने अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। इस अवसर पर टाईम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार श्री अंबीरश मिश्र को पत्रकारिता में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए स्व. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सम्मान प्रदान किया गया।
श्री मिश्र ने कहा कि डॉ. मुखर्जी के बलिदान की वजह से कश्मीर की मिट्टी हमारे लिए चंदन है। स्व. मुखर्जी ने राष्ट्रीय हितों और हिन्दुओं के विरोध में अंग्रेज सरकार से लेकर आज़ादी के बाद आई देश की सरकार से खुलकर मुकाबला किया। उन्होंने हिन्दुओँ और मुसलमानों को लड़ाने के लिए अँग्रेज और कांग्रेसी सरकारों के तमाम षड़यंत्रों को बेनकाब किया। अपनी जान का खतरा होने की सूचना मिलने के बावजूद स्व. मुखर्जी कश्मीर में तब जारी परमिट सिस्टम का विरोध कर अपनी गिरफ्तारी दी और शेख अब्दुल्ला की सरकार ने जेल में षड़यंत्रपूर्वक उन्हें मार डाला। लेकिन आज अगर जम्मू-कश्मीर में आम देशवासी जा सकता है और वहाँ भाजपा की सरकार बनी है तो इसके पीछे स्व. मुखर्जी का बलिदान है।
श्री मिश्र ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्व. मुखर्जी को गाँधी के आग्रह पर देश का उद्योग एवं उपभोक्ता मंत्री बनाया गया था, और उन्होंने ही देश के औद्योगिक विकास की खासकर टेक्स्टाईल उद्योग के विकास की ऐसी नीतियाँ बनाई कि देश का तेजी से औद्योगिकीकरण हुआ। उनकी प्रतिभा की वजह से ही उन्हें गया की महाबोधि सोसायटी का पहला अध्यक्ष बनाया गया था और वे संविधान सभा के सदस्य भी बनाए गए। पश्चिम बंगाल में 1937 में अँग्रेज सरकार द्वारा पैदा किए गए अकाल में, जिसमें 33 लाख लोग मारे गए थे, तब स्व. मुखर्जी ने देश भर से अकाल पीड़ितों के लिए 50 लाख रु. एकत्र कर अनाज और राहत सामग्री बाँटी थी।
इस अवसर पर राज्य सभा सांद श्री तरुण विजय ने स्व मुखर्जी के जीवन के कई उल्लेखनीय पहलुओँ की चर्चा करते हुए कहा कि जब जम्मू कश्मीर की सीमा में परमिट सिस्टम के विरोध में प्रवेश करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उन्हें खुली जीप में 8 घंटे तक घुमाया गया और उनकी हालत बिगड़ गई, बाद में जेल में केंद्र और शेख अब्दुल्ला सरकार की मिलीभगत से उनकी षड़यंत्रपूर्वक हत्या कर दी गई। जब उन्हें संघ के तत्कालीन संर संघचालक माननीय श्री गुरूजी ने जम्मू कश्मीर जाने से रोका था तो उन्होंने कहा था कि जिस बात का आव्हान मैं अपने कार्यकर्ताओं से करता हूँ, अगर वही काम मैं नहीं करुंगा तो कार्यकर्ताओँ को प्रेरित कैसे करुंगा।
श्री तरुण विजय ने कहा कि स्व. मुखर्जी की माताजी श्रीमती योगमाया ने तत्कालीन प्रधान मंत्री नेहरु को स्व. मुखर्जी की षड़यंत्रपूर्वक हत्या की जाँच को लेकर मार्मिक पत्र लिखा था लेकिन नेहरु ने उसका कोई जवाब नहीं दिया। उनके इस बलिदान पर श्री एनसी चटर्जी (पूर्व लोक सभा अध्यक्ष एवँ कम्युनिस्ट नेता सोमनाथ चटर्जी के पिता ) ने लंदन के गार्जियन अखबार में उनकी शहादत पर लेख लिखा था। स्व. मुखर्जी ने अपने जीवनकाल में देश के 22 विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोहों में भाषण दिए। स्व. मुखर्जी ने ही देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को राष्ट्रीय क्षितिज पर आने का मार्ग प्रशस्त किया था। यही वजह थी कि उनकी पुस्तक के प्रकाशन पर उसकी भूमिका डॉ. राधाकृष्णन ने लिखी।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री अंबीरश मिश्र ने कहा कि मेरे स्व. पिताश्री ने अखबार में काम करने के दौरान स्याही से काले हाथ देखकर मुझे यही सलाह दी थी कि स्याही से हाथ काले हों तो कोई बात नहीं मगर ऐसा काम मत करना कि मुँह काला हो। मैं आज भी अपने जीवन में उन्हीं मूल्यों के साथ पत्रकारिता कर रहा हूँ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि स्व. मुखर्जी के बलिदान की वजह से आज हम गर्व से कह पा रहे हैं कि ‘कश्मीर हो या गौहाटी अपना देश अपनी माटी।/ ये स्व. मुखर्जी की ही दूरदृष्टि थी कि अंग्रेज सरकारों के तमाम षड़यंत्रों के बावजूद जम्मू कश्मीर आज हमारे देश का हिस्सा है।
इस अवसर पर भाजपा विधायक श्री योगेश सागर, श्री भाई गिरकर.आदि ने अपे विचार व्यक्त किए।
समारोह के आयोजक एवँ संयोजक कमलदीप फाउंडेशन के श्री अमरजीत मिश्र ने अतिथियों का परिचय दिया।