विश्व सिनेमा की विविधताओं को प्रस्तुत करते हुए, समाज को जोड़ने का प्रयास करते जागरण फिल्म समारोह के सातवें एडीशन का समापन मंगलवार की रात नई दिल्ली स्थित सिरीफोर्ट आॅडीटोरियम में हुआ। इस वर्ष फेस्टिवल की विशेषता रही कि हिन्दी सिनेमा के साथ-साथ क्षेत्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय और शाॅर्ट सिनेमा के प्रति दर्शकों का खासा रूझान देखने को मिला। आम दर्शकों के साथ-साथ फेस्टिवल हेतु आये सेलेब्रिटीज़ ने भी जागरण के इस पक्ष को सराहा।
फेस्टिवल का समापन रोमानिया की फिल्म ‘सियेरानेवाडा’ के साथ हुआ, यह फिल्म इस वर्ष कान समारोह के मेन कम्प्टीशन में शामिल थी। समापन समारोह के दौरान निर्माता आनन्द राय, अभिनेत्री तापसी पन्नु, नितिन चन्द्रा, क्रांति प्रकाश झा और साब्यसाची मोहापात्रा ने दिन में विभिन्न सत्रों में शिरकत की और दर्शकांें से रूबरू हुए।
पांच दिवसीय फिल्म समारोह की शुरूआत रंगारंग कार्यक्रम के बीच केतन मेहता की फिल्म ‘टोबे टेक शाह’ और पाकिस्तानी निर्देशक सबीहा समर की फिल्म ‘छोटे शाह’ से हुई थी जिसके बाद से पांचों ही दिन विभिन्न श्रेणियों के अन्तर्गत एक से बढ़कर एक फिल्में प्रदर्शित की गयी। फिल्मों के अतिरिक्त इण्डस्ट्री के दिग्गजों संग मयंक शेखर, अजय ब्रहमात्मज का संवाद, चैतन्य चिंचलिकर की मास्टर क्लास, रजित कपूर व लोहिता सुजित के साथ फिल्मों हेतु फंड पाने की जानकारी, जागरण शाॅर्ट्स की फिल्में समारोह के आकर्षण का केन्द्र रहे।
सितारों की मौजूदगी ने दर्शकों का उत्साह बढ़ाया और उनके साथ फिल्मों के दौरान बातचीत करना भी एक मजेदार व रोचक अनुभव था। फेस्टिवल के दौरान शिरकत करने वाली हस्तियों में नसीरूद्दीन शाह, सुधीर मिश्रा, केतन मेहता, सबीहा समर, सोमनाथ सेन, मनोज बाजपेयी, राजकुमार राव, रजित कपूर, आनन्द एल. राय, तापसी पन्नु, तनुजा चन्द्रा, बंगाली फिल्म निर्देशक अरूण राय आदि शामिल रहे। उनके अतिरिक्त जागरण प्रकाशन लिमिटेड के सीईओ संजय गुप्त, समूह के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, ब्रैंड एंड स्ट्रैटजिक डेवलपमेंट वसंत राठौर, स्ट्रैटजिक कंसल्टेंट मनोज श्रीवास्तव, वरिष्ठ महाप्रबंधक विनोद श्रीवास्तव व भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, सेंसर बोर्ड सदस्य वाणी त्रिपाठी आदि भी उपस्थित थे।
रजित कपूर ने दर्शकों और भारतीय सिनेमा हेतु जागरण के योगदान को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह ऐसा फेस्टिवल है जो आम दर्शकों के साथ-साथ हमें भी मौका देता है एक के बाद एक शानदार फिल्में देखने का, विशेष रूप से भारतीय भाषाओं व अन्तर्राष्ट्रीय सिनेमा से रूबरू होने का अच्छा अवसर मिलता है।
फेस्टिवल के विषय में मनोज बाजपयी ने कहा जे.एफ.एफ. एक बहुत अच्छी अवधारणा है जो ऐसे दर्शकों को भी सिनेमा के जोड़ती है जो देश भर की जनता तक आसानी से नहीं पहुंचता। देश के कुछ भागों का बड़ा दर्शक वर्ग इस समारोह के माध्यम से फिल्मों से जुड़ पाता है। मैं पूर्व में भी जागरण से जुड़ा रहा हूं और पिछले वर्ष इंदौर गया था। मनोज ने बताया कि अलीगढ़ की यात्रा बहुत अच्छी रही है, जब से यह रिलीज हुई है लगातार आगे बढ़ रही है और हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है, जो काफी संतोषजनक है।
राजकुमार राव ने बताया कि मैं काफी समय से इस समारोह से जुड़ हूं और पूर्व में भी मेरी फिल्में यहां दिखायी गयी हैं। उत्सव में फिल्में दिखाने का अपना अलग रोमांच होता है और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि अलीगढ़ यहां प्रदर्शित हुई है और ऐसे सुहाने मौसम में सुबह-सुबह हाउसफुल शो पर दर्शकों के साथ रूबरू होना रोमांचक अनुभव है।
सुधीर मिश्रा ने कहा, मेरा मानना है कि सिनेमा कैसा भी हो, उसको रोकने कि बजाये उसे दर्शकों के विवरण पर छोड़ देना चाहिए।
उद्घाटन समारोह के दौरान, नसीरुद्दीन शाह ने कहा, मुझे लगता है कि हमें अपने दायरे में रहकर यथासंभव योगदान करना चाहिए। खुशी की बात है कि हम मिलजुलकर फिल्में बना रहे हैं। हमारीे फिल्में पाकिस्तान में पसंद की जाती हैं। मुझे उम्मीद है कि धीरे-धीरे पाकिस्तानी फिल्में यहां भी देखी जाने लगेंगी। जिससे सांस्कृतिक आदान प्रदान संबंधों को फायदा हो सकता है।
निर्देशक केतन मेहता ने भी दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को जरूरी बताया। उन्होंने कहा आपसी सद्भाव, प्रेम और इंसानियत के नाते भी यह बहुत जरूरी है। जागरण फिल्म फेस्टिवल में इन फिल्मों का प्रदर्शन सराहनीय प्रयास है। दर्शकों को भी दोनों देशों की फिल्मों को एक छत के नचे आसानी से देखने का मौका मिला है। सिनेमा ने हमेशा दोनों मुल्कों को जोड़ने का काम किया है। यह संबंध और बेहतर तभी संभव है जब हम लगातार साथ काम करें। आपस में संवाद करें।
फेेस्टिवल के स्ट्रैटेजिक कन्सल्टेंट मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि सातवें जागरण फिल्म समारोह को बहुत ही अच्छी प्रतिक्रया मिली है और हम अभिभूत है कि दर्शकों ने मेनस्ट्रीम सिनेमा के साथ-साथ भाषीय सिनेमा को शानदार तवज्जो दी है। जो फेस्टिवल में शामिल फिल्मों और फिल्मकारों के लिए बोनस है। सशक्त रूझान व प्रतिक्रिया किसी को भी प्रोत्साहित करती है और हमें भी एक अवसर मिला है दर्शकों की सोच व उनकी पसन्द में आये बदलाव जानने का। दिल्ली से हमेशा हमें जबरदस्त शुरूआत मिली है और हमने सफलता के नये आयाम कायम किये है
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लगभग सप्ताह भर बेहरतीन फिल्मों के माध्यम से दिल्लीवासियों को अभिभूत करते हुए दिल्ली से विदा लेकर अब जे.एफ.एफ. उत्तर प्रदेश की राह पकड़ेगा और लखनऊ व कानपुर से शुरूआत करके इलाहाबाद, बनारस, आगरा, मेरठ व देश अन्य शहरों में जाएगा। फेस्टिवल का समापन में मुम्बई में होगा।