नेपाल त्रासदी के पीडि़तों का समर्थन करने के लिए आगे आए नीफा के छात्र
नई दिल्ली।नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फाइन आर्ट्स (नीफा) द्वारा रफी मार्ग स्थित आल इंडिया फाइन आर्ट एंड क्राफ्ट सोसायटी में अपने छात्रों की वार्षिक कला प्रदर्शनी ‘अंतर दर्शन’ का आयोजन किया गया है। पांच दिवसीय यह कला प्रदर्शनी छात्रों द्वारा साल भर कला के प्रति उनके रूझान और कड़ी मेहनत को सेलीब्रेट करती है। साथ ही इस वर्ष के आयोजन के साथ हाल ही में आये भूकम्प के चलते इससे प्रभावित पीडि़तों की मदद की पहल का सोशल काॅज भी जुड़ा है। जहां प्रदर्शनी की पेन्टिंग्स से होनी वाली आय का 50 फीसदी प्रधानमंत्री राहत कोष को दिया जायेगा।
नीफा की निदेशक रेणु खेरा द्वारा क्यूरेटड इस प्रदर्शनी में 50 से अधिक छात्रों ने भाग लिया है और आॅयल आॅन कैनवास, एक्रेलिक आॅन कैनवास, चारकोल व सूखी पत्तियों पर आॅरिजनल पेन्टिंग्स तैयार की हैं। प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य उभरते युवा कलाकारों को मंच प्रदान करना और कला को सभी के लिए सुलभ बनाना है।
प्रदर्शनी के माध्यम से नीफा न केवल अपने छात्रों को कला-प्रदर्शन का मौका देता है बल्कि कला जगत से जुड़े कलाकारों, गैलरी, कलैक्टर्स व कला प्रेमियों को आमंत्रित करके उनसे अपने अनुभव साझा करने का मंच भी प्रदान करता है।
26 मई तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन पद्मश्री श्री राम वी सुथर (वयोवृद्ध कलाकार व अध्यक्ष आईफैक्स), श्री परमजीत सिंह (प्रख्यात कलाकार एवम् चेयरपर्सन आईफैक्स) ने किया। उनके अतिरिक्त मौके पर नीफा की रेणु खेरा, सुनील खेरा, प्रतिभागी कलाकार व कई अन्य अतिथिगण भी उपस्थित रहे।
मेहमानों को छात्रों का काम बेहद पसन्द आया और सभी ने कलाकारों की भूरि-भूरि प्रसंशा की। श्री सुथर ने कहा की छात्रों का काम देखना अद्भुत अनुभव है। जिस तरह की कला इन्होंने कैनवास पर उतारी है वह इनकी विशिष्ट प्रतिभा को दर्शाता है। मुझे लगता है कि यह कल के बड़े कलाकार के रूप में उभरकर आयेंगे।
रेणु खेरा ने कहा कि यह शो हमारी और बच्चों की साल भर की मेहनत है। सभी छात्रों ने कड़ी मेहनत की है और अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया है। हम नेपाल त्रासदी से आहत हैं जिसके चलते हमने इस प्रदर्शनी से होने वाली आय का 50 फीसदी प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए देने का निश्चय किया है और बच्चों व उनके अभिभावकों ने भी इसका स्वागत किया है।
अपने काम के विषय में बताते हुए युवा कलाकारों ने भी अपने अनुभव साझा किये। रिया ने कहा एक अंधकारमय भविष्य के खिलाफ खड़ा है। मेरे काम में उस रिक्शा वाले को दिखाया है जो सवाल उठाता है कि तकनीक के चलते वह खुद को खो रहा है या हम पाॅल्यूशन को पाल रहे हैं। मनु ने बताया कि प्रकृति के नजरिये से दुनिया को देखने का प्रयास है मेरे काम में। गौरी गर्ग ने बताया कि यदि संगीत आत्मा की भाषा है तो भाषा की आत्मा साक्षात खुदा हैं, इसलिए संगीत भी खुदा की भाषा है, जो मैंने अपने काम में दिखाने का प्रयास किया है। वहीं विनीता ने भारतीय बाघ और चीता को श्रृद्धांजली दी है। यह खूबसूरत जीव प्राकृतिक निवास में सद्भाव और शांति से जीते हैं परन्तु मानव ने उनकी गरिमा को छीन लिया है। मेरा यह काम नेशनल ज्योग्राफिक की फोटो से प्रेरित है।
अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क सूत्रः
ब्रैंडेवर मीडिया कम्यूनिकेशनः शैलेश नेवटिया – 9716549754, अस्मिता अरोड़ा – 9899307406