आज के समय में जब की पत्रकार और पत्रकारिता की भूमिका पर तमाम सवाल हैं हमें ऐसे वैचारिक और प्रशिक्षण से जुड़े साहित्य की जरूरत है जिससे हम सही रास्ते खोज सकें। इस दृष्टि से उपयोगी ” हाड़ौती स्मारिका” जैसा प्रेरक साहित्य ही संकटों से मुक्ति दिला सकता है।
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ प्रेस को लेकर सामने आई यह स्मारिका विविध पहलुओं पर विद्वान लेखकों के ज्ञानवर्धक आलेखों के माध्यम से नई पत्रकार पीढ़ी को कुछ देने के लिए चिंता का एक सार्थक प्रयास है।
कहने को तो यह स्मारिका है पर किसी भी ज्ञानवर्धक किताब से कम नहीं हैं। पत्रकारिता के कई सवालों पर सटीक जानकारी से भरपूर हैं, जी पत्रकारों के ज्ञान और कौशल में श्रीवृद्धि करती हैं। साथ ही हाड़ौती अर्थात कोटा,बूंदी,बारां और झालावाड़ जिलों की ऐतिहासिक,सांस्कृतिक और विकास की झलाक भी प्रस्तुत करती हैं।
इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट राजस्थान की कोटा जिला इकाई द्वारा जिला अध्यक्ष के.के.शर्मा ‘ कमल ‘ और उनकी टीम के प्रयासों से प्रकाशित स्मारिका के प्रारम्भ में उपेंद्र सिंह राठौड़ ने “पत्रकारिता – मिशनरी भावना की प्रबलता” लेख में पत्रकारिता के जरिए आईं जागृति और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका से लेकर वर्तमान में विकसित प्रोद्योगिकी स्वरूप और व्यावसायिक नजरिए को चिंतन कर जिस प्रकार प्रस्तुत किया है वह दिशा देता हैं। राजेंद्र कुमार व्यास ने “फोटो जर्नलिस्ट” की महत्ता बताते हुए तकनीकी के युग में फोटो से छेड़खानी करने पर चिंता जताई हैं।
“पत्रकारिता एक चुनौती” लेख में दिनेश जोशी अनेक महत्वपूर्ण उद्धरणों से चुनौतियों पर सवाल उठाते हुए संदेश देते है कि कुशल पत्रकार वह है समय और समाज के साथ चलता हो,उसका पारखी हो उसमें दायित्व बोध की भावना हो। डॉ.प्रकाश पुरोहित समाचार पत्र प्रबन्धन के साथ – साथ पत्रकारों के संगठन इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट की विस्तार से जानकारी देते नज़र आते हैं।
पत्रकारिता और कानून जैसे महत्व के विषय को लेकर समाचार – पत्रों की स्वतंत्रता, मानहानि,न्यायालय में मानहानि, संसद – विधानसभा – विधान परिषद के विशेषाधिकार, भारतीय कॉपीराइट कानून -1957, समाचार – पत्र पंजीयन अधिनियम -1956, आपत्तिजनक विज्ञापन , भारतीय सरकारी रहस्य अधिनियम -1923, विदेश सम्बन्धी कानून -1932, संसदीय कार्यवाही प्रकाशन संरक्षण कानून -1954 एवं द डिलीवरी ऑफ़ बुक एंड न्यूजपेपर्स कानून -1954 पर फोकस किया गया है।
पत्रकारिता कानूनों के साथ – साथ भारतीय पत्रकारिता के ब हु विध आयाम लेख में पत्रकारिता के माध्यम, आचार संहिता, अखिल भारतीय संपादक सम्मेलन 1967 में स्वीकृत आचार संहिता और प्रेस परिषद के निर्देशों का समावेश भी किया गया है। श्रमजीवी पत्रकार विक्रम राव का जीवन परिचय भी पत्रकारों को प्रेरित करता हैं।
स्मारिका पत्रकारों के स्वस्थ की भी पूरी चिंता करती दिखाई देती हैं। डॉ. लोकमनी गुप्ता बहुपयोगी होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति ,डॉ. मुकेश दाधीच होम्योपैथिक में ” जीका” वायरस का प्रभावी उपचार, डॉ.रामहेत नागर आयुर्वेद व हमारा स्वास्थ्य एवं डॉ.उर्मिला व्यास योग निद्रा के महत्व पर बताते हैं।
पत्रकारिता के इन महत्वपूर्ण विषयों के साथ – साथ स्मारिका के नाम के अनुरूप डॉ.मुक्ति पाराशर बूंदी – कोटा , हंसराज नागर बारां एवं महाराणा कुंभा पुरस्कार प्राप्त ललित शर्मा झालावाड़ जिलों के महत्वपूर्ण पहलुओं को बहुत ही सारगर्भित रूप से सहज – सुगम भाषा में पाठकों तक पहुंचाते हैं। इन लेखों से पाठकों को हाड़ौती के इतिहास और पर्यटन की झलक देखने को मिलती हैं।
रंग बिरंगी 26 पृष्ठ की स्मारिका का आमुख बहुत आकर्षक हैं जिस पर हाड़ौती के पर्यटक स्थलों को सजाया गया हैं। जिला संगठन की गतिविधियों और उपलब्धियों का भारी भरकम गुणगान से बचते हुए बैक कवर पेज पर चित्रों से प्रस्तुत किया गया हैं। स्मारिका का विमोचन शुक्रवार 5 फ़रवरी को पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा ने कोटा में किया और पत्रकारों को दबाव मुक्त पत्रकारिता करने पर बल देते हुए स्मारिका को पत्रकारों के लिए उपयोगी बताया।