मुंबई में आयोजित कथा वाचन कार्यक्रम में पद्मश्री पद्मा सचदेव ने कहा – नेहा शरद और इला जोशी, इन दोनों लड़कियों का वाचन सुनकर मैं अभिभूत हूं। मैं चाहती हूं कि अगली बार ये दोनों लड़कियां इसी सभागार में मेरी एक एक कहानी पढ़ें।
पद्मा जी की इस गदगद् अभिव्यक्ति से ही आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सुनें कहानी-3 तीन ने कामयाबी की किन ऊंचाइयों को स्पर्श किया। सूर्यबाला की कहानी पेश करते समय नेहा शरद ने अभिनय का ख़ूबसूरत स्पर्श दिया और इला जोशी ने ओमा शर्मा की कहानी में संवेदनशीलता का माधुर्य घोल दिया। इस कारनामे का असर ये हुआ कि कहानी में छुपे हुए अर्थ उजागर हो गए जिससे श्रोता समुदाय मंत्रमुग्ध हो गया।
सूर्यबालाजी की दो कहानियां विजेता और एक स्त्री के कारनामे पर रवींद्र कात्यायन ने बहुत अच्छा और संतुलित वक्तव्य दिया। ओमा शर्मा की कहानी दुश्मन मेमना पर वरिष्ठ कवि समालोचक विजय कुमार ने अद्भुत आकलन पेश किया। विजय कुमार जी को सुनने के बाद कई श्रोताओं ने व्यक्तिगत रूप से मुझसे कहा कि उन्होंने अपने जीवन में इससे पहले किसी कहानी पर इतनी सुंदर और सार्थक टिप्पणी नहीं सुनी थी।
विश्व हिंदी अकादमी के इस कार्यक्रम का संचालन देवमणि पांडेय, संयोजन केशव राय, आभार रज़िया रागिनी व संकल्पना हरीश पाठक की थी।
इस मौक़े पर कथाकार धीरेंद्र अस्थाना, ऊषा भटनागर, रजनी मोरवाल, अनूप सेठी, कैलाश सेंगर, प्रीतम कुमार त्यागी, आभा बोधिसत्व, कमलेश पाठक, ललिता अस्थाना, मालती जोशी, ऋचा शरद, संगीता वाजपेई, ज्योति गजभिए, यूनुस ख़ान, श्रुति भट्टाचार्य, रचना शंकर, अमर त्रिपाठी, संतोष सिंह, सुषमा सेन गुप्ता, नजमा मोम, कुशल कुमार, हिंदी सेवी जवाहर कर्नावत, अभिनेता अरुण शेखर और युवा फ़िल्म लेखक कमल पांडेय मौजूद थे।
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