मतदाता पत्र को भी अब आधार से लिंक करना होगा। चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव को अब कानून मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। हालांकि सरकार ने अपनी तरफ से कुछ शर्तें भी रखी हैं। कानून मंत्रालय की ओर से चुनाव आयोग से कहा गया है कि डेटा चोरी होने से रोकने के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बारे में चुनाव आयोग ने विस्तृत जानकारी सरकार को ही है कि डेटा की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। चुनाव आयोग का मानना है कि आधार से वोर आईडी को लिंक करने पर फर्जी वोटर्स को लिस्ट से बाहर करने में मदद मिलेगी।
इस बारे में चुनाव आयोग की ओर से पिछले साल अगस्त में सरकार के सामने प्रस्ताव रखा गया था। कहा गया था कि उसे लोगों से आधार लेने और वोटर आईडी में उसका इस्तेमाल करने का अधिकार देने के लिए रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1950 में बदलाव किया जाए। यह अधिकारी मिलने के बाद इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर लोगों से कह सकेंगे कि वे वोटर आईडी बनवाते समय आधारभी पेश करें या जिनके वोटर आईडी बने हुए हैं, वे उसे आधार से लिंक करवाएं। हालांकि यह अनिवार्य नहीं होगा। जिनके वोटर आईडी आधार से लिंंक नहीं हैं, उन्हें वोटर्स लिस्ट से बाहर नहीं किया जाएगा। ना ही आधार नहीं देने वाले को नाम वोटर्स लिस्ट में शामिल करने से इन्कार किया जाएगा।
– प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा, जहां पास होने पर कानून में बदलाव की तैयारी की जाएगी। संसद के दोनों सदनों से कानून पारित होने के बाद चुनाव आयोग प्रक्रिया शुरू करेगा।
– जिन लोगों के वोटर आईडी बने हुए हैं, उन्हें आधार से लिंक करने के लिए प्रक्रिया बताई जाएगी। नई नाम जोड़ने के लिए आधार मांगा जाएगा।