कश्मीरी पंडित और पत्रकार आरती टिक्कू के सामने सोशल मीडिया दिग्गज ट्विटर झुक गया है। उसने टिक्कू के ट्विटर अकाउंट को अनलॉक कर दिया है। दरअसल, एक ट्वीट को लेकर करीब एक सप्ताह पहले टिक्कू ने दिल्ली हाई कोर्ट में ट्विटर के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके बाद अब उनके अकाउंट को बहाल करते हुए ट्विटर ने उनके वकील मुकेश शर्मा को पत्र लिखकर द न्यू इंडियन की को फाउंडर से उनकी याचिका को वापस लेने का आग्रह किया है। ट्विटर के मुताबिक, उसने अकाउंट को रीस्टोर कर दिया है, जिससे मामला खत्म हो गया है।
टिक्कू ने 15 दिसंबर (शुक्रवार) को ट्विटर पर मदद की गुहार लगाते हुए इस्लामी आतंकियों द्वारा उनके भाई को जान से मारने की धमकी दिए जाने को लेकर पोस्ट साझा किया था। उन्होंने ट्वीट किया था, “मेरे भाई @TikooSahil_ जो श्रीनगर में रहते हैं, उन्हें भारत के कश्मीर में बैठे जिहादी आतंकवादियों और पाकिस्तान, ब्रिटेन और अमेरिका में उनके आकाओं द्वारा खुलेआम धमकी दी जा रही है। क्या कोई देख रहा है? क्या हम इन इस्लामवादियों द्वारा मारे जाने का इंतजार कर रहे हैं या आप उन पर कोई कार्रवाई करेंगे?”
उसके दो दिन बाद यानी 17 दिसंबर को ट्विटर इंडिया ने आरती टिक्कू के अकाउंट को ‘लॉक’ कर दिया। ट्विटर ने आरती को नोटिस भेजा था, जिसमें कहा गया था कि अगर वह अपने भाई को मिलने वाली धमकी से संबंधित पोस्ट को डिलीट करती हैं तो उनका अकाउंट ‘अनलॉक’ किया जा सकता है।
ट्विटर ने अपने नोटिस में आगे कहा, “आप नस्ल, राष्ट्रीयता, जातीयता, sexual orientation, लिंग और मजहब के आधार पर, धार्मिक संबद्धता, उम्र, विकलांगता या गंभीर बीमारी के आधार पर अन्य लोगों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं। इसके अलावा धमकी देकर या अन्य तरह से परेशान नहीं कर सकती हैं।”
इस घटना के बाद 6 जनवरी 2022 को उन्होंने ट्विटर के फैसले को रद्द करने की माँग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा कि संविधान के तहत उनके अधिकारों का उल्लंन हुआ है। याचिका में आरोप लगाया गया कि ट्विटर उनके अकाउंट को लॉक कर इस्लामी आतंकवादियों का पक्ष ले रहा है। वकील मुकेश शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि जिस तरह से उनके भाई को कुछ लोगों द्वारा निशाना बनाया गया था, वह जनवरी 1990 की याद दिलाता है। हालाँकि, वह यह देख कर चौंक गईं कि ट्विटर ने उन्हें इस ट्वीट के लिए यह कहते हुए नोटिस दिया कि यह उसके नियमों के खिलाफ है।
याचिका में दावा किया गया कि ट्विटर की कार्रवाई भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन करती है और सोशल मीडिया कंपनी के फैसले को रद्द करने की माँग की है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 11 जनवरी 2022 को ट्विटर और सरकार को उनके अकाउंट को लॉक करने के फैसले को लेकर नोटिस जारी किया। जस्टिस रेखा पल्ली ने इस मुद्दे पर जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय देते हुए केंद्र और ट्विटर इंक से भी फीडबैक माँगा।
गौरतलब है कि ट्विटर अपने वामपंथी पूर्वाग्रह के लिए कुख्यात रहा है। वो वामपंथियों और इस्लामी कट्टरपंथियों की साजिशों को बेतरतीब तरीके से चलने देता है। लेकिन दक्षिणपंथी लोगों की छोटी-छोटी बातों पर भी एक्शन लेकर उनके अकाउंट को बंद कर देता है। लेकिन आरती टिक्कू के मामले ने ये रास्ता जरूर दिखा दिया है कि अगर कोई अपने अधिकारों की लड़ाई लड़े तो ट्विटर अपने फैसले पलटने पर मजबूर हो जाता है। इसी तरह से उसने 2020 में कुरान की एक आयत पोस्ट करने पर वैज्ञानिक और स्तंभकार डॉ आनंद रंगनाथन के अकाउंट को बंद कर दिया था। ऐसा ही बर्ताव ट्विटर ने ऑपइंडिया के साथ भी किया था, जब पिछले साल एक संपादकीय कार्टून को हटाने के लिए मजबूर किया गया था।