साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम या इंटरनेट क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट के द्वारा की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती है. साइबर क्राइम के माध्यम से कही दूर बैठा हैकर आपके सरकारी या महत्वपूर्ण कारोबारी दस्तावेजों या आपकी निजी महत्वपूर्ण जानकारी को इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से चुरा सकता है. साइबर क्राइम में गैर धन अपराध भी शामिल है जैसे की ई-मेल के माध्यम से स्पैम करना, किसी वस्तु विशेष की प्रचार के लिए मेल करना, किसी कंपनी के गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करना, वायरस को मेल के माध्यम से फैलाना, प्रोर्नोग्राफी को बढ़ावा देना, आई. आर. सी (इंटरनेट रीले चैट)के माध्यम से गलत कार्यों को अंजाम देने के लिए ग्रुप चैट करना, सॉफ्टवेयर प्राइवेसी को बढ़ावा देना और सामान्य नागरिकों को परेशान करने के लिए कम्प्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से कोई भी गलत कदम उठाना उसके अर्न्तगत आता है.
अपने इंटरनेट की बैंकिंग और बैंकिंग लेन-देन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, ऑफिस, पार्क, सार्वजनिक मीटिंग और किसी भीड़-भाड़ी वाले स्थान पर न करें. किसी भी प्रकार के बैंकिंग लेन-देन के लिए आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर या लैपटॉप का ही इस्तेमाल करें. जब कभी भी आप अपने इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी जरुरी अकाउंट में लॉगिन करें, तो काम खत्म कर अपने अकाउंट को लॉगआउट करना न भूलें और जब आप लॉगिन कर रहें, हो तब इस बात पर जरूर धयान दें कि पासवर्ड टाइप करने के बाद कम्प्यूटर द्वारा पूछे जा रहे ऑप्शन रिमेब्बर पासवर्ड या कीप लॉगिन में क्लिक न करें.
लोगों को धोखा देने के लिए और अपनी चंगुल में फसाने के लिए अधिकतर स्कैमर्स(घोटाले बाज) फेक साइट को प्रयोग मे ला रहे हैं, जिससे की लोगों को पता भी न चले और उनका काम भी आसानी से हो जाए, आइये जानते हैं आखिर फेक साइट होती क्या है? फेक साइट के नाम से ही प्रतीत हो जाता है कि यह एक झूठी वेबसाइट है, जो हु ब हु आपके बैंक के वेबसाइट, खरीदारी करने वाली साइट या पेमेंट गेटवे के जैसा इंटरफेस होता है. ऑनलाइन ख़रीदारी या कोई भी ऑनलाइन लेन-देन करने के लिए जैसे ही आप यहां अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग का यूजर नेम, लॉगिन पासवर्ड ट्रांजिक्सन पासवर्ड या ओ.टी.पी इंटर करते हैं, तो वो इस डिटेल्स को कॉपी कर लेता है और बाद में इसका प्रयोग कोई भी गलत तरीके से गलत कार्यों के लिए कर सकता है, जिसको आप और हम समझ नहीं पाते हैं कि यह गलत ट्रांज्किशन कैसे हो गया? फेक वेबसाइट का संचालन एक संगठित ग्रुप के क्रिमिनल्स के द्वारा किया जाता है.
आज पूरी दुनिया इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से एकदूसरे से जूड़ी हुई है, जिसके बहुत सारे लाभ है और उसके साथ ही बहुत सारे खतरे भी हैं. जैसे इंटरनेट के माध्यम से चोरी, फ्रॉड और वायरस इत्यादि, नीचे दिए गए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रख कर काम किया जाए, तो साइबर क्राइम के शिकार होने का खतरा कम हो जाता है.
आप अपने कम्प्यूटर में अगर इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, तो सबसे पहले आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर को पासवर्ड से सुरक्षित कीजिए, जिससे कोई दूसरा व्यक्ति बिना आपके जानकारी के आपका कम्प्यूटर प्रयोग न कर सकें. अगर आपका कम्प्यूटर सुरक्षित नहीं होगा, तो क्रिमिनल या कोई व्यक्ति आपके कम्प्यूटर से जरूरी जानकारियां चुरा सकता है और गलत कार्यों के लिए आपके कम्प्यूटर का इस्तेमाल भी कर सकता है. इसके साथ आप यह भी चेक करें की आपके कम्प्यूटर में लेटेस्ट सिक्योरिटी अपडेटेड इन्सटाल्ड है या नहीं. साथ ही यह भी चेक करें की आपका एंटी वायरस और एंटी स्पाई वेयर सॉफ्टवेयर ठीक से काम कर रहा है या नहीं और उसके वेंडर से जरुरी अपडेट्स आ रहा है या नहीं.
हमेशा बहुत स्ट्रांग पासवर्ड का प्रयोग करें, जिससे आसानी से किसी को पता न चले, क्योंकि साइबर क्रिमिनल प्रोग्रामर ऐसे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का निर्माण करते हैं जो की आपके साधारण से पासवर्ड को आसानी से गेस कर सकता है. ऐसे में अपने आप को बचाने के लिए आप ऐसा पासवर्ड सेट करें, जिसका कोई दूसरा अनुमान न लगा सके और आपआसानी से याद भी रख सकें. आपका पासवर्ड कम से कम आठ कैरेक्टर का हो जो की लोअर केस लेटर्स, अपर केस लेटर्स, नंबर्स और स्पेशल कैरेक्टर्स का मिश्रण हो. अगर आप एक से अधिक अकाउंट्स का प्रयोग करते हैं, तो सभी के लिए अलग- अलग पासवर्ड का प्रयोग करें, अपना पासवर्ड कभी भी अपने नाम, पता, गली नंबर, जन्म तिथि, परिवार के सदस्यों के नाम, विद्यालय के नाम या अपने वाहनो के नंबर पर न बनाएं, जिसका दूसरों के द्वारा आसानी से अनुमान न लगाया जा सके.
अपने इंटरनेट बैंकिंग और बैंकिग ट्रांजिक्शन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, ऑफिस, पार्क, सार्वजनिक मीटिंग और किसी भीड़-भाड़ी वाले स्थान पर न करें. किसी भी प्रकार के बैंकिंग लेन-देन के लिए आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर या लैपटॉप का ही इस्तेमाल करें. जब कभी भी आप अपने इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी जरुरी अकाउंट में लॉगिन करें, तो काम खत्म कर अपने अकाउंट को लॉगआउट करना न भूलें और जब आप लॉगिन कर रहें, हो तब इस बात पर जरूर धयान दें कि पासवर्ड टाइप करने के बाद कम्प्यूटर द्वारा पूछे जा रहे ऑप्शन रिमेब्बर पासवर्ड या कीप लॉगिन में क्लिक न करें.कभी भी आप अपने बैंकिंग यूजर नेम, लॉगिन पासवर्ड, ट्रांजिक्शन पासवर्ड , ओ. टी.पी, गोपनीय प्रश्नों या गोपनीय उत्तर को अपने मोबाइल, नोटबुक, डायरी, लैपटॉप या किसी कागज पर न लिखें, हमेशा आप ऐसा पासवर्ड सेट करें, जो की आपको आसानी से याद रहे और आपको इसे कहीं लिखने की आवश्यकता न पड़े.
अपने सोशल मीडिया के अकाउंट को देखते रहें, अगर कभी आप अपने सोशल साइट्स के अकाउंट को डिलीट कर रहे हैं, तो उससे पहले आप अपनी सारी पर्सनल जानकारी को डिलीट कर दें और फिर उसके बाद आप अपना अकाउंट डीएक्टिवेट करें या डिलीट करें. आप किसी भी स्पैम ई-मेल का उत्तर न दे, अंजान ई-मेल में आए अटैचमेंट्स को कभी खोल कर न देखें या उस पर मौजूद लिंक पर क्लिक न करें. इसमें वायरस या ऐसा प्रोग्राम हो सकता है, जिसको क्लिक करते ही आपका कम्प्यूटर उनके कंट्रोल में जा सकता है या आपके कम्प्यूटर में वायरस के प्रभाव से कोई जरूरी फाइल डिलीट हो जाए और आपका ऑपरेटिंग सिस्टम करप्ट हो जाए.
अगर किसी वेबसाइट पर कोई पॉपअप खुले और आपको कुछ आकर्षक गिफ्ट या इनाम ऑफर करे तब आप अपनी पर्सनल जानकारी या बैंक अकाउंट नंबर या बैंक से संबंधित कोई भी जानकारी न भरें. अगर आप किसी ऑफर का लाभ लेना चाहते हैं, तो आप सीधे रिटेलर के वेबसाइट, रीटेल आउटलेट या अन्य जायज साइट से संपर्क करें. आज के दौर मे इंटरनेट हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इंटरनेट पर जरा सी ना समझी स्कैमर्स को साइबर क्राइम के लिए खुला निमंत्रण देता है. आशा है कि अगर आप इन सभी बिंदुओं पर गौर करते हैं, तो आप साइबर क्राइम के शिकार होने से बच सकते हैं।
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प्राध्यापक, शासकीय दिग्विजय पीजी
स्नातकोत्तर कालेज, राजनांदगांव