केंद्र सरकार ने बच्चों को ऑनलाइन धमकी और उन्हें आपत्तिजनक सामग्री भेजने के मामलों में सोशल मीडिया कंपनियों को 24 घंटे के भीतर कार्रवाई करने को कहा है। महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से यह मुद्दा प्रमुखता से उठाए जाने के बाद ये निर्देश दिया गया है। गृह मंत्रालय ने शीर्ष स्तर पर बैठक के बाद सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे ऑनलाइन धमकी के मामलों को गंभीरता से लें और उन पर तुरंत कार्रवाई करें।
मंत्रालय ने कहा कि व्हाट्सएप, ट्विटर या फेसबुक जैसे माध्यमों पर ऐसी धमकियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। ऐसे मामलों की जानकारी देने के बाद आरोपी का खाता बंद करने के अलावा नियम तोड़ने के मामले में अन्य कठोर कार्रवाई 24 घंटे के भीतर शुरू की जाए। आरोपी का विवरण शीघ्र कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपलब्ध कराया जाए।
सूत्रों ने कहा कि बच्चे या उनके संबंधी चाइल्ड हेल्पलाइन पर शिकायतें करते हैं। बाल संरक्षण आयोग या पुलिस के जरिये भी शिकायतें पहुंचती है। कुछ मामलों में कानून प्रवर्तन एजेंसियां सीधे सोशल मीडिया कंपनियों से संपर्क करती हैं। मुंबई में एक बारह साल के बच्चे को अश्लील सामग्री भेजकर उससे पैसे मांगे गए। बेंगलुरु में एक बच्चे को ऑनलाइन जान से मारने की धमकी दी गई।
महिला व बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि ऑनलाइन धमकी सामना करने वालों में लड़के व लड़की दोनों शामिल हैं। वर्ष 2016 में करीब 22 फीसदी की तुलना में ऐसे मामले 37 फीसदी हो गए हैं। पीड़ित बच्चों के अभिभावकों में से ज्यादातर मानते हैं कि इस पर सरकार को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को धमकी के करीब 32 फीसदी मामलों में वयस्क जिम्मेदार होते हैं।
1098 हेल्पलाइन नंबर
बच्चों को उत्पीड़न की घटनाओं पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की वेबसाइट पर ऑनलाइन, मोबाइल नंबर या चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर शिकायत कर सकते हैं। http://ncpcr.gov.in वेबसाइट पर जाकर बच्चों को सिर्फ नाम, मोबाइल नंबर या ईमेल शिकायत में लिखनी होगा।