राजनांदगाँव । एड्स दिवस के संदेश को लोगों तक पूरी जागरूकता से पहुंचाने की ज़रूरत पर जोर देते हुए एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के दक्ष प्रशिक्षक और स्टेट रिसोर्स पर्सन दिग्विजय कालेज के प्राध्यापक डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने कहा कि नए जमाने और आज के दौर की आपाधापी में एड्स जैसे खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । लेकिन, डॉ. जैन ने कहा कि एचआईवी संक्रमण से ज्यादा उसके वहम का संक्रमण ना हो यह भी ध्यान में रखना होगा। एकबारगी रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, रोग की भयावहता का अंतिम प्रमाण नहीं है । इस पर सही चिकित्सकीय सलाह को तवज्जो देना ही होगा ।
डॉ. जैन ने कहा कि एड्स सिर्फ मेडिकल प्रॉब्लम नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय समस्या है । लाखों लोग हर साल इसकी चपेट में आ रहे हैं । लोग एड्स पर सोचने और चर्चा करने से भी कतराते हैं, किन्तु इसके निदान के लिए हर व्यक्ति को अपना नागरिक कर्तव्य समझकर जागना और जगाना होगा । अभिभावक, शिक्षक और चिकित्सक की त्रिवेणी के ईमानदार सपोर्ट की भी बड़ी जरूरत है । भारतीय जीवन मूल्यों की सीख का भी अपना महत्व है । उस पर अमल होना चाहिए ।
डॉ. जैन ने कहा कि असुरक्षित संपर्क, रक्त के प्रयोग और माता के द्वारा बच्चे में संक्रमण जैसे बुनियादी कारणों के अलावा नशे और लापरवाह ज़िन्दगी से भी एचआईवी के प्रकोप के सम्बन्ध को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । सुइयों से शरीर में पहुंचने वाला नशा, एड्स ही नहीं सर्वनाश की वजह साबित हो रहा है । ऐसे मामले आये दिनों बढ़ते जा रहे हैं । दूसरी ओर एड्स पीड़ित से हर स्तर पर दूरी बनाए रखना और उससे हाथ मिलाना, साथ बैठकर खाना खाना, एक ही टॉयलेट का इस्तेमाल जैसे कारणों को संक्रमण की दहशत मान लेने जैसी भ्रांति का निराकरण भी जरूरी है । याद रखना होगा एड्स पीड़ित व्यक्ति घृणा का पात्र कतई नहीं है । उसे समाज की मुख्यधारा से जोड़े रखना भी एक गंभीर उत्तरदायित्व है ।
डॉ. जैन ने आगाह किया कि डरने से नहीं डटकर समझने से इस लाइलाज मर्ज से हर हाल में बचा जा सकता है । लेकिन, उपचार से सावधानी भली की राह ही सबसे ज्यादा कारगर है, रहेगी ।
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