मुझे पूरा यकीन है कि कारोबारी जगत पर नजर रखने वालों के लिए यह वर्ष घटना प्रधान रहेगा। इस वर्ष दूरसंचार सेवा क्षेत्र में अब तक की सबसे भीषण जंग छिड़ेगी। रिलायंस जियो का मुकाबला भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर जैसी दिग्गज कंपनियों से होगा। अब हालात पहले जैसे नहीं हैं और लंबे समय से कारोबार में शामिल ये कंपनियां रिलायंस जियो का मुकाबला करने का माद्दा रखती हैं। स्पेक्ट्रम संबंधी नियामकीय मसले अभी पूरी तरह हल नहीं हो सके हैं। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि साल भर जबरदस्त लॉबीइंग देखने को मिलेगी।
बैंकों द्वारा फंसे हुए कर्ज पर सख्ती के बीच विलय एवं अधिग्रहण भी जोर पकड़ेगा। देश और विदेश की प्रमुख परिसंपत्तियों के मालिकाना हक में बदलाव आएगा। नकदी की आसान उपलब्धता समाप्त होने का असर इंटरनेट से जुड़े कुछ सितारों पर पड़ेगा। स्टार्टअप जगत में राहुल यादव पर नजर रखनी होगी।
इन सब बातों के अलावा मेरी नजर ‘बाबा’ रामदेव के दैनिक उपभोग की उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार पर भी रहेगी। पतंजलि आयुर्वेद ने वर्ष 2015 में कई बड़े कदम उठाए। उत्तराखंड में स्थित उनकी आधुनिक फैक्टरियां अब ढेरों उत्पाद बनाती हैं जिसमें तुरंत भोज्य पदार्थों से लेकर पोषण अनुपूरक तक तमाम चीजें शामिल हैं। पतंजलि के उत्पादों का सेवन करने वाले उसकी गुणवत्ता अच्छी होने की बात स्वीकार करते हैं। ऐसा केवल उत्तर भारत के लोगों के साथ नहीं है बल्कि पूरे देश में तमाम आय वर्ग के लोग इसमें शामिल हैं। उनका संस्थान बाजार में तेज गति से उत्पाद उतार सकता है। जहां तक मेरी समझ है, उत्पादों को बाजार में पेश करने के पहले व्यापक शोध और लंबी चर्चा नहीं की जाती है। इसके बजाय वे स्वप्रेरणा से और अंदाज के आधार पर बाजार में लाए जाते हैं। जब नेस्ले मैगी मामले में संकट से गुजर रहा था उस वक्त उनकी कंपनी ने प्रतिद्वंद्वी उत्पाद बाजार में लाने का फैसला किया। अन्य लोगों को जो पोर्टफोलियो तैयार करने में आधा दशक लगता, रामदेव केवल एक साल में उसे तैयार करने में सफल रहे।
रामदेव ने अपने ब्रांड को बेहद समझदारी से आयुर्वेद से जोड़ दिया है। हमारे यहां ढेर सारे लोग पारंपरिक खानपान और योग जैसे व्यवहार पर यकीन रखते हैं। मैं एक ऐसे व्यक्ति को भी जानता हूं जो दवा कारोबार में हैं लेकिन घर पर छोटी मोटी तकलीफ के लिए आयुर्वेद और प्राकृतिक उत्पादों पर ही भरोसा करते हैं। अंग्रेजी दवाएं बड़े बेमन से प्रयोग में लाई जाती हैं। लोग कृत्रिम के बजाय प्राकृतिक चीजों को प्राथमिकता देते हैं। रामदेव इसी भावना को भुना रहे हैं।
रामदेव के चाहने वालों में न केवल आम लोग हैं बल्कि ताकतवर और रसूखदार लोग भी इसमें शामिल हैं। ऐसे में उनको अपने उत्पादों के प्रचार के लिए चर्चित चेहरों की भी कोई कमी नहीं। वह पहले ही कई लोगों को अपने साथ जोड़ चुके हैं। जहां तक मेरी जानकारी है उनमें से एक शख्सियत तो विज्ञापन करने का पैसा तक नहीं लेती। वितरण रामदेव के लिए कभी समस्या नहीं रहा। किराना दुकान वाले उनका उत्पाद रखना पसंद करते हैं क्योंकि उनकी बिक्री बहुत तेजी से होती है। आधुनिक खुदरा बाजार में पैठ बनाने के लिए उन्होंने किशोर बियाणी के साथ समझौता किया है। आने वाले महीनों में दोनों के बीच उत्पादन में साझेदारी देखने को मिल सकती है। उनको साथ लाने में बहुराष्ट्रीय कंपनियों से नफरत भी एक कारक है। रामदेव और बियाणी दोनों ने कभी इसे छिपाने का प्रयास नहीं किया। साथ मिलकर वे उनका मुकाबला करने में सक्षम हैं।
सभी जानते हैं कि रामदेव की तेज प्रगति ने बहुराष्टï्रीय कंपनियों समेत इस क्षेत्र की कंपनियों में चिढ़ पैदा की है। उनको डर है कि पतंजलि उनकी बौद्घिक संपदा का उल्लंघन कर सकता है। उन्हें यह भी लगता है कि भाजपा के साथ उनके करीबी संबंध के चलते केंद्र सरकार उनको पूरी मदद और संरक्षण मुहैया कराएगी। इस बात में दम हो सकता है। भाजपानीत सरकार रामदेव के खिलाफ नहीं होगी, खासतौर पर यह देखते हुए कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उनका एक गलत संकेत पार्टी के लिए दुखदायी साबित हो सकता है। पतंजलि की प्रगति के साथ ही प्रतिद्वंद्वी उसे थामने की कोशिश भी करेंगे। वे मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। उनमें से कई ऐसा खुलकर नहीं करेंगे क्योंकि यह बात उनको सीधे केंद्र के मुकाबिल खड़ा कर देगी। वे स्वयंसेवी संगठनों आदि को मुद्दे उठाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। खासतौर पर उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर। दक्षिण भारत के एक धार्मिक समूह ने अपने सदस्यों को हाल ही में पतंजलि के उत्पादों का प्रयोग करने को लेकर चेतावनी दी है क्योंकि उनमें गोमूत्र का प्रयोग होता है।
रामदेव को अन्य आयुर्वेदिक उत्पादकों का समर्थन अवश्य मिलेगा। पिछले एक महीने में मेरी मुलाकात ऐसी दो कंपनियों से हुई जो आयुर्वेद में गहरी रुचि रखती हैं। दोनों ने खुलकर रामदेव की तारीफ की क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र में नई जान फूंकी है। आयुर्वेद में लोगों की रुचि जगाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। अब यह बाजार तेज गति से विकसित हो रहा है। उनके लिए रामदेव ऐसे उद्घारक हैं जो गलती कर ही नहीं सकते।
साभार- http://hindi.business-standard.com/ से