विद्यार्थियों का कहना है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विषयों की गहन पढ़ाई होती है। कक्षाओं में गहन अध्ययन के साथ इसका व्यावहारिक इस्तेमाल शिक्षा को संपूर्ण बनाता है।
अमेरिकी विश्वविद्यालय कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों के साथ कक्षाओं के शानदार अनुभव प्रदान करते हैं। कक्षाओं के सुव्यवस्थित सत्र विद्यार्थियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं, व्यावहारिक अनुभव एवं संवादी माहौल कक्षाओं में विद्यार्थियों के लिए सीख को प्रोत्साहन देते हैं। यह, शैक्षणिक कार्यक्रम तैयार करने की स्वतंत्रता के साथ, अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। इससे उन्हें अमेरिकी डिग्री हासिल करने के दौरान अपने समय के अधिकतम इस्तेमाल की सुविधा मिलती है।
विकल्प की स्वतंत्रता
नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी, मैसाच्यूसेट्स में कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट विद्यार्थी ऋषभ पाटिल के लिए अपनी शैक्षणिक यात्रा को अपने अनुकूल ढालने की स्वतंत्रता अमेरिका में अध्ययन के ‘‘सबसे बड़े लाभों में से एक ’’है। वह कहते हैं,‘‘यह सभी के लिए उपयुक्त निर्धारित विषयों के चुनाव का अनुसरण करने के बजाए उन विषयों के चुनाव की आजादी देता है जो हमारी अभिरुचियों से मेल खाते हैं।’’
विश्वविद्यालयों में कक्षाओं के दायरे बहुत व्यापक होते हैं, फिर भी विश्वविद्यालय के कॅरियर काउंसलर और समर्पित पेशेवर, विद्यार्थियों को निर्णय लेने में मदद करने के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं।
कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिलीस से कानून में मास्टर्स डिग्री के लिए अध्ययन कर रही दिव्या कौशिक के अनुसार, ‘‘अपनी कक्षाएं खुद चुनना और अपने शेड्यूल को उसी हिसाब से ढालना निसंदेह एक बड़ा फायदा है। एक बारजब आप अपनी प्राथमिकताएं तय कर लेते हैं, तब आप यूनिट डिस्ट्रीब्यूशन और कठिनाई के स्तर के आधार पर योजनाएं बनाते हैं और इससे खुद में मज़बूती का अहसास होता है।’’
सदर्न कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिलीस से कम्युनिकेशन मैनेजमेंट में ग्रेजुएट विद्यार्थी मानसी चंदू विशेष रूप से पेपर प्रस्तुत करने, परीक्षा देने और विषयवस्तु की पड़ताल के मामले में अमेरिकी शैक्षणिक प्रणाली के लचीलेपन की सराहना करती हैं। वह कहती हैं, ‘‘विद्यार्थी अपने निष्कर्ष किस तरह से पेश करना चाहते हैं, इस मामले में उनको खूब आजादी है। मैं इस बात की सराहना करती हूं कि विषयवस्तु के प्रस्तुतिकरण और सार्वजनिक रूप से बोलने पर काफी जोर दिया जाता है, चाहे बात विपरीत ही क्यों न हो। अतिथि वक्ता भी यहां काफी दिलचस्प थे क्योंकि सैद्धांतिक पढ़ाई के साथ-साथ आपको सीधे उन लोगों से सीखने का मौका मिलता है जो फील्ड में होते हैं। इससे आपको इस बात का आभास हो जाता है कि जब आप नौकरी के लिए जाएंगे, तब आपको किस तरह की उम्मीद रखनी चाहिए।’’
लचीली योजनाएं
अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी भी क्लास शेड्यूल को तय करने के लचीलेपन का आनंद लेते हैं। चंदू कहती हैं, ‘‘यहां चीजें बहुत ज्यादा औपचारिकताओं में नहीं उलझी हैं, जिसके चलते विद्यार्थियों को यह समझने की बहुत छूट होती है कि वे अपना शेड्यूल कैसे बनाते हैं। यही कारण है कि मैंने अमेरिका में पढ़ाई करनी चाही।’’
विकल्प और अवसर दो ऐसी चीजें हैं जिसके चलते शिक्षक भी अपने पढ़ाने के तरीके में रचनात्मकता लाते हैं और विद्यार्थियों को प्रेरित रखने के लिए उत्साहित करते रहते हैं। कौशिक के अनुसार, ‘‘चूंकि एक ही विषय कई अध्यापक पढ़़ाते हैं, लिहाजा विद्यार्थियों के पास प्रो़फेसरों के बीच चयन का अवसर होता है। इससे न केवल प्रशिक्षकों की विश्वसनीयता सुनिश्चित होती हैं बल्कि उनके बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलता है जो अंत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में योगदान देता है।’’
कक्षाएं आमतौर पर दिन में विभिन्न समयों पर लगती हैं, जिससे विद्यार्थियों को एक शैक्षणिक शेड्यूल बनाने में मदद मिलती है और साथ ही इससे पढ़ाई के अलावा उन्हें अपनी दूसरी दिलचस्पियों के लिए भी वक्त मिलना आसान हो जाता है।
कौशिक के अनुसार, ‘‘अमेरिकी विश्वविद्यालय पूरे दिन और शाम को भी कक्षाओं का आयोजन करते हैं ताकि शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ पार्ट टाइम रोजगार करने वाले विद्यार्थी भी पढ़ाई और काम के बीच संतुलन बना सकें। यह लचीलापनविद्यार्थियों को अपना शेड्यूल प्रबंधित करने और अपनी निजी ज़रूरतों को पूरा करने के लिहाज से काफी ताकत देता है।’’
संतुलित दृष्टिकोण
पाटिल, अमेरिकी विश्वविद्यालयों में संरचित पाठ्यक्रम, व्यावहारिक कक्षाओं और स्व-अध्ययन के लिए खाली समय के बीच संतुलन बनाने के लिए उनकी सराहना करते हैं। वह कहते हैं, ‘‘कक्षाएं और प्रयोगशालाएं बहुत व्यवस्थित हैं और पाठ्यक्रम अच्छी तरह से तैयार किया गया होता है। कक्षाएं और प्रयोगशालाएं बहुत बार नहीं होतीं, ह़फ्ते में अधिकतम दो बार ही जाना होता है, जिससे खुद पढ़ने के लिए काफी वक्त मिलता है।’’
पर्ड्यू यूनिवर्सिटी, इंडियाना में कंप्यूटर साइंस के अंडरग्रेजुएट विद्यार्थी रुद्रनील सिन्हा के अनुसार, अमेरिकी कक्षाएं सक्रिय शिक्षण पर केंद्रित हैं। वह बताते हैं, ‘‘असाइनमेंट और लैब कार्य केवल शिक्षण सामग्री को व्यवहार में लाना भर नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा है। समस्या पर शिक्षण सामग्री के इस्तेमाल और उसका समाधान करने का तरीका खोजने पर जोर दिया जाता है जो अक्सर आपको उन चीजों का अहसास कराती हैं जिनको लेकर शुरुआती तौर पर आप बहुत सहज नहीं होते।’’
विद्यार्थियों का कहना है कि अमेरिका में विषय का गहराई से अध्ययन किया जाता है और उसका व्यावहारिक इस्तेमाल के साथ गहनता से अध्ययन ही शिक्षा को संपूर्ण बनाता है। कौशिक के अनुसार, ‘‘अमेरिका में शिक्षण के व्यावहारिक दृष्टिकोण की तारीफ करने वाले कई पूर्व विद्यार्थियों को सुनने के बाद मुझे अहसास हुआ कि उनकी प्रशंसा हकीकत के मुकाबले काफी कमतर थी।’’ वह कहती हैं, ‘‘खासतौर पर अगर कानून की पढ़ाई की बात की जाए तो अमेरिकी शैक्षिक प्रणाली व्यावहारिक शिक्षा, धरातल पर उसके इस्तेमाल और समस्या के समाधान के प्रोत्साहन देने पर केंद्रित होती है जो केवल रटने के बजाए अवधारणाओं और उनके कार्यान्वयन की गहरी समझ की मांग करते हैं।’’
कक्षा में उठाए गए विषयों पर चर्चा में भाग लेना भी महत्वपूर्ण है। कौशिक के अनुसार, ‘‘कक्षा में विद्यार्थी की भागीदारी पर जोर दिया जाता है जिससे विषयवस्तु को आत्मसात करने के साथ, संचार कौशल और बेहतर समझ बनाने में मदद मिलती है। यह संवादी नज़रिया एक सहयोगात्मक वातावरण को बढ़ावा देता है जिससे विद्यार्थियों में आपसी जुड़़ाव और प्रेरणा को प्रोत्साहन मिलता है।’’
कभी-कभी अमेरिकी विश्वविद्यालय ओपन बुक असेसमेंट का विकल्प भी देते हैं जिसमें इंटरनेट एक्सेस की सुविधा तक दे दी जाती है। उदाहरण के लिए, लॉ स्कूल परीक्षाएं आमतौर पर, वास्तविक दुनिया की स्थितियों में कानूनी ज्ञान लागू करने की विद्यार्थियों की क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए जटिल तथ्यों और परिदृश्यों को प्रस्तुत करती हैं। वह बताती हैं, ‘‘किसी एक सही उत्तर की तलाश के बजाए ये परीक्षाएं दिए गए संदर्भ में सभी प्रासंगिक कानूनी मुद्दों की पहचान करने और काल्पनिक ग्राहकों को व्यावहारिक सलाह देने को प्राथमिकता देती हैं।’’ उनका आगे कहना है, ‘‘यह दृष्टिकोण वास्तविक दुनिया के कानूनी अभ्यास की चुनौतियों को प्रतिबिंबित करता है जो कानून के विद्यार्थियों को शुरू से ही अपने क्षेत्र की जटिलाताओं से प्रभावी तरीके से परिचित कराता है।’’
सिन्हा स्पष्ट करते हैं कि ग्रेडिंग प्रणाली में भागीदारी, उपस्थिति, लैब, असाइनमेंट आदि शामिल हैं न कि सिर्फ एक फाइनल प्रोजेक्ट या टेस्ट। वह बताते हैं, ‘‘पाठ्यक्रम इस तरह से तैयार होता है कि उसमें अलग-अलग तरीकों से सीखने और भिन्न-भिन्न तरीकों से ग्रेडिंग करने का काम होता है और यही चीज़ अमेरिकी शिक्षा प्रणाली को बेहतरीन बनाती है।’’ वह कहते हैं, ‘‘अमेरिकी कॉलेजों में फाइनल ग्रेडिंग सिस्टम इस तरह से होती है कि उसमें ध्यान रखा जाता है कि उसमें परीक्षा, असाइमेंट, उपस्थिति और लैब सभी पक्षों के बीच अच्छा संतुलन कायम रखा जा सके।’’
यह दृष्टिकोण विद्यार्थियों और प्रोफेसरों के बीच आपसी सम्मान के गहरे रिश्तों को प्रोत्साहित करता है जो कक्षा में एक सकारात्मक अनुभव की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। कौशिक के अनुसार, ‘‘विद्यार्थियों और प्रोफेसरों के बीच सकारात्मक संबंध अमेरिकी शैक्षिक अनुभव की बुनियाद है।’’
नतासा मिलास स्वतंत्र लेखिका हैं और न्यू यॉर्क सिटी में रहती हैं।
साभार – https://spanmag.com/hi/ से