भारतीय राजनीति में चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह एक ऐसा प्रभावी, चमत्कारी एवं राजनीति व्यक्तित्व हैं जिन्होंने एक बार नहीं, बल्कि बार-बार साबित किया है कि वे खराब हालात में धैर्य, लगन, आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प, राजनीतिक कौशल के साथ खुद को बुलन्द रखते हंै, जिससेे उनके रास्ते से बाधाएं हटती ही है और संभावनाओं का उजाला होता ही है। चुनौतीभरे रास्तों में भारतीय जनता पार्टी के लिये उजाले के प्रतीक बनने वाले शाह का व्यक्तित्व राजनीति की प्रयोगशाला में तपकर और अधिक निखरा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला से संगठन के गुर एवं मूल्यों की राजनीति सीखने वाले अमित शाह का जीवन राजनीतिक जज्बों, प्रयोगों एवं संघर्षों से भरा रहा है। ऐसा लगता है अमित शाह भाजपा की राजनीति के लिये ही बने हंै, वे राजनीति के महारथि एवं महायौद्धा हैं। इसके अलावा उन्हें कुछ और नहीं आता। आधुनिक राजनीति में तेजी से कदम बढ़ा रहे एवं नये कीर्तिमान गढ़ रहे अमित शाह की जिंदगी में बुरा दौर भी आया। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हर परिस्थिति का डटकर सामना किया। उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदलने की महारथ हासिल की है। इनदिनों शाह कोरोना महासंकट के दौर में लाॅकडाउन समाप्त होने के बाद राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय है। बिहार एवं अन्य स्थानों पर होने वाले चुनावों को लेकर उनकी वर्चुअल रैलियों, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर उनकी आक्रामक सक्रियता देखने को मिल रही है। वे आधुनिक तकनीक एवं साधनों का प्रयोग करते हुए भाजपा की जीत को सुनिश्चित करने के लिये व्यापक संघर्ष कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं को संगठित कर रहे हैं, उनका आत्म-पौरुष एवं पार्टी के लिये जिम्मेदारियों के अहसास को जगा रहे हैं। भाजपा पर होने वाले आघातों का तीक्ष्ण एवं अकाट्य जबाव देते हैं।
अमित शाह भाजपा के कद्दावर नेता हैं और मौजूदा नरेन्द्र मोदी सरकार में गृह मंत्री के पद पर हैं। अमित शाह ऐसी अनूठी एवं विलक्षण शख्सियत हैं जिनके दम पर बीजेपी ने कई राज्यों में असंभव जीत को संभव जीत में बदला है। ऐसे राज्यों में भी बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है जहां पार्टी की पकड़ कमजोर थी। शाह कई सालों से राजनीति में हैं और राजनीति के दांव पेच से अच्छे से वाकिफ हैं। उनके सामने चाहे कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज बीजेपी में जो उनका मुकाम है उसे हासिल करने के लिए उन्होंने अपने जीवन में खूब मेहनत की है, अनेक संघर्षों में तपकर-खपकर निखरे हैं। शाह भाजपा के लिये ही एक नया सवेरा, नई उम्मीद और नई प्रेरणा बनकर नहीं उभरे, बल्कि देश के समूचे जनजीवन के लिये भी एक नई प्रेरणा सिद्ध हुए हैं। इनदिनों वे नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच प्रभावी तरीके से प्रस्तुति देने के काम में लगे हैं, वह चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो, तीन तलाक से मुक्ति हो, कोरोना मुक्ति की दिशा मे ंउठाये प्रभावी कदम हो या जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को हटाये जाने ये जुड़ी बड़ी उपलब्धियां हो।
अमित शाह ने जब टेढ़े-मेढ़े, उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए, संकरी-पतली पगडंडियों पर चलकर भाजपा-भावना से भावित उन गैर-भाजपा राज्यों में भाजपा का परचम फहराया हैं तब देश की अधिसंख्य जनता को पता चला है कि भाजपा की राष्ट्रीयता से प्रेरित राजनीति के मायने क्या-क्या हैं? भले ही शाह आज सफल राजनीतिक शख्सियतों में शुमार किये जाते हों, लेकिन राजनीतिक जीवन ने उन्हें कई थपेड़े दिये, कई बदरंग जीवन की तस्वीरों से बार-बार रू-ब-रू कराया और इन थपेड़े एवं भौंथरी तस्वीरों ने उन्हें झकझोरा भी – जीवन को हिला भी दिया लेकिन उतना ही निखारा भी।
अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष की पारी को न केवल ऐतिहासिक उपलब्धियों से संजोया एवं संवारा बल्कि अब गृह मंत्री बनने के साथ ही इन्होंने कश्मीर और आतंकवाद पर प्रभावी चोट की और भारत को शांतिपूर्ण -सहजीवन के राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर किया है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला अमित शाह ने किया। इसी के साथ जम्मू कश्मीर का अहम हिस्सा भारत में जोड़ दिया गया। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के साथ ही वहां के लिए नए नियम कानून बनाए गए और भारत में एक राज्य और जोड़ दिया गया। इसी के साथ लद्दाख और जम्मू कश्मीर को भी अलग किया गया। इसके अलावा शाह ने देश से आतंकवाद को खत्म करने के लिए एनआरसी का मुद्दा भी उठाया। इसके जरिए उन्होंने उन बांग्लादेशियों को देश से बाहर करने की बात कही जो काफी वक्त से अवैध तरीके से देश में रह रहे थे। इसी के साथ उन्होंने असम में रह रहे विदेशियों की पहचान करने के लिए वहां के लोगों की नागरिकता की भी जांच पड़ताल की। नक्सलवाद पर भी अमित शाह ने गहरी चोट की एवं ऐसी रणनीति बनाई जिस वजह से नक्सलियों के पास अत्मसमर्पण करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। मेरी दृष्टि में अमित शाह के राजनीतिक उपक्रम एवं प्रयास एक रोशनी का अवतरण है, यह ऐसी रोशनी है जो हिंसा, आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद जैसी समस्याओं का समाधान बन रही है।
चुनाव जीतना या हारना तो लोकतंत्र में चलता ही रहता है लेकिन चुनावों में केवल जीत का लक्ष्य शाह जैसे विलक्षण राजनेता के लिये ही संभव की बात है। अमित शाह ने कार्यकर्ता शक्ति को संगठित एवं प्रभावी बनाया, भाजपा को विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन होने का गौरव प्रदत्त कराया। मूल्यों एवं राष्ट्रवाद की राजनीति को बल दिया। राष्ट्रवाद के परिकल्पनात्मक स्वरूप को अगर भाजपा जनता के हृदय तक पहुंचाने में कामयाब रही है तो इसका श्रेय काफी हद तक अमित शाह को ही दिया जाता है। उन्होंने बिहार के लोगों को सम्बोधित कर राज्य विधानसभा चुनावों की बिगुल बजा दिया है, अन्य राजनीतिक दलों के लिये वे गंभीर चुनौती बने हैं। उनके राजनीतिक कद एवं कौशल के सामने फिलहाल कोई नहीं टिकता हुआ दिखाई दे रहा है।
2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद अमित शाह निरन्तर सक्रिय हंै। एक राज्य के चुनाव होते ही वह अपना ध्यान दूसरे राज्य पर केन्द्रित कर देते है। चरैवेति-चरैवेति उनका जीवनसूत्र है। उन्हें विजय के अलावा कुछ और नहीं दिखता। अमित शाह को कार्यकत्र्ताओं की अच्छी परख है और वे संगठन तथा प्रबंधन के माहिर खिलाड़ी हैं, उनका राजनीतिक कौशल एवं परिपक्वता भाजपा की ऊर्जा का आधार है। नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर अमित शाह ने बिहार के कार्यकर्ता और आम जनता के बीच संवाद कायम कर यह दिखा दिया कि परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल भरी क्यों न हो, वे हौंसले को कमजोर नहीं होने देंगे। भारतीय राजनीति के इतिहास में अमित शाह अपना स्थान भाजपा की शक्ति के रूप में स्थापित कर चुके हैं। अपनी धून में वे भाजपा की प्रतिष्ठा एवं प्रतिष्ठापना को करने और भारतीय समाज की शक्ल बदलने के लिये प्रयासरत है।
(ललित गर्ग)
लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92