Wednesday, December 25, 2024
spot_img
Homeपत्रिकाकला-संस्कृतिचित्र नगरी में लेखकों व पक्षी प्रेमियों से एक रोचक संवाद

चित्र नगरी में लेखकों व पक्षी प्रेमियों से एक रोचक संवाद

रविवार 22 जनवरी 2023 को केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट गोरेगांव के मृणालताई गोरे हाल में आयोजित चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई के सृजन संवाद में मराठी के सुप्रसिद्ध लेखक लक्ष्मण गायकवाड़, कथाकार रश्मि रविजा और कवयित्री चित्रा देसाई के साथ श्रोताओं के आत्मीय संवाद हुए। लक्ष्मण गायकवाड़ ने बताया कि मराठी में प्रकाशित उनकी आत्मकथा #उचल्या के 18 भाषाओं में अनुवाद हुए हैं। हिंदी में इसका #उचक्का नाम से अनुवाद हुआ है। अस्तित्व की लड़ाई के बाद वे आज भी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे हैं। लक्ष्मणजी के अनुसार देश आज़ाद होने के बाद भी उनके समुदाय को आज़ादी नहीं मिली। उन्हें भटक्या विमुक्त जनजाति यानी घुमंतू घोषित किया गया। दो सौ जनजातियों वाले इस घुमंतू समुदाय में लगभग दो करोड़ लोग शामिल हैं जो आज भी मुख्यधारा में आने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

अपने बचपन के जीवन संघर्ष की बात करते हुए लक्ष्मण जी ने बताया कि लातूर के बाबन गांव में जिस समुदाय में उनका जन्म हुआ उसे उठाईगीर यानी चोर लुटेरा कहा जाता था। पुलिस कभी भी उनको पकड़ ले जाती थी और पिटाई करती थी। समय के साथ उनके समाज में भी पढ़-लिखकर लोग क़ाबिल बने। जो लोग सोने की चोरी करते थे उनमें से आज कई लोगों की सोने की दुकानें हैं। अपने रोचक अनुभव साझा करते हुए लक्ष्मण गायकवाड़ ने बताया कि किस तरह उनके समुदाय के बच्चों को भारत ब्लेड से जेब काटने की ट्रेनिंग दी जाती थी।

आगे चलकर लक्ष्मण गायकवाड़ ने सामाजिक आंदोलनों में भागीदारी की। उन्होंने मुम्बई में भी मृणालताई गोरे के साथ कई आंदोलनों में भाग लिया। मृणालताई की सिफ़ारिश पर उन्हें सांसद के चुनाव का टिकट भी मिला। सन् 1989 में आठ लाख लोगों की मौजूदगी में उन्हें राजीव गांधी के हाथों महाराष्ट्र गौरव सम्मान से विभूषित किया गया।

कथाकार रश्मि रविजा के उपन्यास
“काँच के शामियाने” को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी से प्रथम पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। कहानी संग्रह “बंद दरवाजों का शहर” के बाद “स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू” उपन्यास प्रकाशित हुआ। रचनात्मक लेखन के अलावा वे परिंदों पर शोध कर रही हैं। रश्मि जी ने परिंदों के साथ अपने रिश्तों को बड़ी ख़ूबसूरती के साथ बयान किया। वे अपने साथ महाराष्ट्र में पाए जाने वाले विभिन्न परिंदों के रंगीन चित्र भी लेकर आई थीं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में दाना पानी देकर उन्होंने परिंदों को अपने घर बुलाया। उन्होंने बताया कि छोटी चोंच वाले परिंदे दाना खाते हैं और लंबी चोंच वाले परिंदे कीड़े खाते हैं। जब किसी परिंदे का निधन होता है तो दूसरे परिंदे उसे खाकर झट से उसका अस्तित्व समाप्त कर देते हैं। कोयल का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उनमें नर और मादा दोनों होते हैं। नर ज़्यादा सुंदर होता है और वही गीत भी गाता है। इसलिए कोयल गाती है कहने के बजाय यह कहना चाहिए कि कोयल गाता है। श्रोताओं ने परिंदों के बारे में कई सवाल किए। रश्मि जी ने उनके जवाब दिए। ख़ासतौर से उन्होंने कौवे की आदतों और उनकी समझदारी के कई रोचक क़िस्से साझा किए।

कवयित्री चित्रा देसाई के काव्य संग्रह ‘सरसों से अमलतास’ और ‘दरारों में उगी दूब’ काफ़ी पसंद किए गए। उन्होंने श्रोताओं से संवाद करते हुए बताया कि वे गांव की हैं और आज भी गांव से उनका रिश्ता जुड़ा हुआ है। उन्होंने लोकजीवन से संबंधित कई कविताएं सुनाईं और साबित किया कि वे इस दौर की एक समर्थ कवयित्री हैं। उन्होंने नालंदा के अतीत पर एक लंबी कविता भी सुनाई। चित्रा देसाई की कविताओं को श्रोताओं ने बहुत पसंद किया। उनकी कविताओं पर कई बार तालियां बजीं और लोगों ने मुक्त कंठ से वाह-वाह की।

गायक आकाश ठाकुर ने एक बढ़िया लोकगीत सुनाकर जिसे श्रोताओं को ख़ुश कर दिया। कथाकार सूरज प्रकाश ने चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने #सुनो_कहानी के तहत कहानीकारों को आमंत्रित किया कि रविवार 12 फरवरी को जो कहानीकार बिना काग़ज़ या मोबाइल देखे दस बारह मिनट में अपनी कहानी सुना सकते हैं वे चित्रनगरी संवाद मंच से संपर्क करें।

सृजन सम्वाद में हिंदी और मराठी के कई रचनाकार कलाकार मौजूद थे। इनमें वरिष्ठ कथाकार गंगाराम राजी, पत्रकार सुदर्शना द्विवेदी, प्रदीप गुप्ता, नवीन चतुर्वेदी, रेखा बब्बल, डॉ मधुबाला शुक्ला, आभा दवे, प्रभात समीर, रवींद्र केसकर, अशोक राजवाड़े, रेखा शहाणे, दिनेश दुबे, चंद्रकांत जोशी, बसंत आर्य, कैप्टन इंद्रनील, शैलेंद्र गौड़, कुणाल हृदय और अविनाश प्रताप सिंह का समावेश था।

चित्रनगरी संवाद मंच से जुड़ने के लिए आप हमारे इन मित्रों से संपर्क कर सकते हैं:

नवीन जोशी नवा : +91-98191 41295
राजेश ऋतुपर्ण: +91-87796 75245

आपका-
#देवमणि_पांडेय
#chitranagri_samvaad_manch

https://m.facebook.com/devmani.pandey. से साभार

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार