मुझे स्टीव जॉब्स की नई जीवनी 'बिकमिंग स्टीव जॉब्स' पढऩे का अवसर नहीं मिल सका है लेकिन यह जरूर पता चल गया कि ऐपल कंपनी के शीर्ष नेतृत्व ने इस नई जीवनी की मदद से उनकी पहले आ चुकी अधिकृत जीवनी को खारिज करने का प्रयास किया है। ऐपल के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक पहले ही कह चुके हैं कि वाल्टर इसाकसन द्वारा लिखित स्टीव जॉब्स की पुरानी जीवनी जो वर्ष 2011 में जॉब्स के निधन के कुछ अरसा बाद प्रकाशित की गई थी, में वह जॉब्स हैं ही नहीं जिन्हें वह जानते थे। उनके मुताबिक उक्त पुस्तक अवमाननापूर्ण थी। यहां तक कि ऐपल ने एक आधिकारिक वक्तव्य जारी करके कहा कि नई जीवनी स्टीव जॉब्स को बेहतर ढंग से हमारे समक्ष पेश करती है। नई पुस्तक कंपनी के पुराने बॉस की अपेक्षाकृत दयालु और उदार तस्वीर पेश करती है।
इसाकसन की लिखी जीवनी की जिन बातों ने कुक और उनके साथियों को आहत किया होगा उनमें जॉब्स का अत्यधिक नियंत्रण चाहने वाले व्यक्ति के रूप में चित्रण शामिल है। उक्त पुस्तक में जॉब्स को एक ऐसा व्यक्ति बताया गया है जो हर जगह अपनी बात मनवाना चाहता है, तब भी जब मौत उसके दरवाजे पर दस्तक दे रही हो। वर्ष 2009 में यकृत प्रत्यारोपण के बाद जॉब्स ने परिचारिकाओं पर इस बात के लिए दबाव बनाने की कोशिश की कि वे उनके पास कई ऑक्सीजन मास्क लेकर आएं जिनमें से वह अपनी पसंदीदा डिजाइन वाले मास्क का चयन करना चाहते थे। परिचारिका तभी उनको मास्क पहना सकी जब वह दवाओं के असर से अचेतन हो गए। चूंकि ऐपल समेत किसी ने इसाकसन पर यह आरोप नहीं लगाया कि वह झूठ लिख रहे हैं, इसलिए यह माना जा सकता है कि यह सच्ची घटना है।
लेकिन टिम और उनके साथी यह भूल रहे हैं कि इसाकसन की पुस्तक जॉब्स द्वारा उन्हें दिए गए 40 से अधिक साक्षात्कारों तथा कुछ अन्य लोगों के साक्षात्कारों पर आधारित थी। ये वे लोग थे जिनसे जॉब्स ने कहा था कि वे पुस्तक लेखन में सहयोग करें। इसमें उनके परिजन शामिल थे। लेकिन इसके बावजूद यह पुस्तक जॉब्स को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाती है जो अत्यधिक नियंत्रण रखना चाहते थे। लेकिन इसमें गलत क्या है? वास्तव में देखा जाए तो इसाकसन ने जॉब्स के व्यक्तित्व को पाठकों के समक्ष जस का तस रख दिया। पाठकों को जॉब्स के व्यक्तित्व की कहीं अधिक वास्तविक तस्वीर देखने को मिली। जॉब्स ने भी उनके साथ पूरा सहयोग किया। इस बात पर कोई नियंत्रण नहीं चाहा कि उनके बारे में क्या कुछ लिखा जा रहा है। उन्होंने अपने आसपास के लोगों को भी ईमानदारी से अपनी राय रखने को कहा।
निर्भय नेतृत्व ऐसा ही होता है। इसाकसन ने दिखाया है कि जहां जॉब्स रुखापन दिखाने में सक्षम थे वहीं उन्होंने यह सीख लिया था कि कैसे एक शानदार नीतिकार और प्रबंधक बनना है। वह जो अधीरता दिखाते थे वह दरअसल उनकी पेशेवर और दक्षता हासिल करने संबंधी कार्यशैली का हिस्सा था। सबसे अहम बात यह है कि वह वह उन लोगों के साथ बढिय़ा पेशेवर रिश्ते कायम करने में कामयाब रहे जिनकी वह इज्जत करते थे। वह संगीत बैंड बीटल्स की अवधारणा में यकीन करते थे जहां बैंड का हर सदस्य बेहद प्रतिभाशाली था और वे मिलकर एक दूसरे की कमी पूरी करते थे।
ऐपल कंपनी का शीर्ष नेतृत्व यह कहने में गलती कर बैठा कि इसाकसन जॉब्स के व्यक्तित्व के इस पहलू का उल्लेख नहीं कर सका। उदाहरण के लिए हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू में प्रकाशित इसाकसन का साक्षात्कार देखते हैं- लोगों के साथ रुखाई से पेश आने की अपनी छवि में बारे में सवाल पूछने पर जॉब्स ने इससे इनकार नहीं किया बल्कि कहा, 'मैं जिनके साथ काम करता हूं वे सभी चतुर लोग हैं अगर उनमें से किसी को भी लगता है कि यहां उसके साथ गलत व्यवहार हो रहा है तो वह बहुत आसानी से दूसरी जगह पर शीर्ष काम पा सकता है। लेकिन वे ऐसा नहीं करते।' जब जॉब्स अपनी बीमारी से आखिरी बड़ी लड़ाई लड़ रहे थे तब उनके आसपास परिजनों के अलावा वफादार सहयोगियों की फौज थी। ये वे लोग थे जो उनसे वर्षों तक प्रभावित रहे।
यह सच है कि जॉब्स केवल बेहतरीन लोगों को ही बरदाश्त कर पाते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि उनकी इच्छा थी कि वह केवल सर्वश्रेष्ठï लोगों के साथ काम करें। उनका मानना था कि अगर प्रबंधक बहुत विनम्र हों तो औसत लोग भी सहज महसूस करते हैं और उनके इर्दगिर्द बने रहते हैं। यह बात सराहनीय है कि जॉब्स की रुखाई और सख्ती के बीच उनके अंदर प्रेरक क्षमता से भरा व्यक्तित्व था। उन्होंने ऐपल के कर्मचारियों में यह धारणा भर दी कि वे असंभव को भी संभव बना सकते हैं। जॉब्स के ये सारे गुण इसाकसन की पुस्तक में अच्छी तरह दर्ज हैं।
ऐपल कंपनी के नेतृत्व को नई पुस्तक को बढ़ावा देने का पूरा अधिकार है लेकिन अगर वह उनकी पहली जीवनी को खारिज करना बंद नहीं करते हैं तो यह जॉब्स की स्मृतियों के साथ खिलवाड़ के समान होगा। इसाकसन ने एक व्यक्ति के रूप में जॉब्स की जटिल और सूक्ष्म छवि पेश की जिसमें उनके व्यक्तित्व के तमाम अच्छे-बुरे पहलू शामिल थे। लेकिन उन्होंने यह तथ्य भी नहीं छिपाया कि आज ऐपल जो कुछ भी है वह जॉब्स की नीतियों, उनके करिश्मे और काम करने की उनकी क्षमता की वजह से है।
साभार- बिज़नेस स्टैंडर्ड से