नही चाहते थे के इस देश के सड़ांध मारते मेडिकल जगत पर कुछ लिखा जाए।लेकिन आज लिखना ज़रूरी हो गया।क्योंकि आज चिकित्सा जगत उस दोराहे पर आ खड़ा हुआ है,जहां से सिर्फ और सिर्फ पतन नज़र आ रहा है।जान बचाने वालो को आज खुद अपनी जान के लाले पड़ रहे है।
पिछले 15 सालों से हमने बार बार कहा की भारतीय समाज का चिकित्सा जगत के प्रति जो रवैया है,ये दिल दहला देने वाला है,और अगर इस रवैये को बदला नही गया तो इस देश का चिकित्सा जगत बहुत जल्द कॉर्पोरेट सेक्टर का गुलाम हो जाएगा और चिकित्सा जगत में आज तक जिस तरह इस देश की क्रीम आती रही है अपना कैरियर बनाने के लिए वो आगे से नही आएगी।जिस भारतवर्ष के डॉक्टर्स का लोहा पूरी दुनिया मानती है,आप उसे खो देंगे।
भारतवर्ष में चिकित्सा केवल अकेला ऐसा पेशा है जो आजतक भी,ग्लोबलाइजेशन के बाद भी,बाज़ारवाद के बाद भी समझदारी,होशियारी,नैतिकता,बदलती तकनीकों के साथ तुरंत बदलने के लचीलेपन,अपने ग्राहक के हितों को सर्वोपरि रखने और कार्य के प्रति निष्ठा के उच्चतम पायदानों पर स्थापित है।
लेकिन समाज और प्रशासन की कुंठित सोच ने आज इस पेशे को भी मटियामेट कर दिया है।
इस देश में लोग IIT/IIM/IAS के पीछे बावले हुए घूमते है।लेकिन कभी ठंडे दिमाग से सोचिये क्या इनमे से किसी ने भी भारतवर्ष के लिए कोई भी एक विश्वस्तरीय काम किया है?इनका भारतवर्ष की जीडीपी में,देश में एंट्रेपरेनेरशिप लाने में,विज्ञान या तकनीकी जगत में,शासन प्रशासन में क्या विश्वस्तरीय सराहनीय योगदान रहा है?
यदि इनमे से किसी ने भी देश के मूलभूत सुधार में कोई बड़ा योगदान दिया हो तो बताइये।
एक IAS जो अपने जिले में सड़के नही सुधार सकता,एक SP जो अपने जिले में कानून का राज स्थापित नही कर सकता,इनके नाकारापन से आपके चारों तरफ रोज़ कितने लोग मर रहे है ज़रा गौर करिये।और फिर याद करिये के आपमें से कितने लोगों ने अपने नकारा डीसी और एसपी का कालर पकड़ा है या थप्पड़ मारा है?
जो वकील आपके सही होते हुए भी आपका केस हार जाता है और आपको जेल हो जाती है या कोई जज आपके सही होते हुए भी दूसरी पार्टी के हाथ बिक जाता है आपको जेल भेज देता है,कितनी बार ऐसे वकील और जज को आपने पकड़ के पीटा है?
आपके जिले में हज़ारो बिल्डिंग बिना फायर सेफ्टी के चल रही है।किसी भी दिन उनमे आग से सैंकड़ो लोग मर सकते है।आप में से कितने लोगो ने उपहार कांड के बाद या सूरत कांड के बाद फायर सेफ्टी अफसर को जाकर पीटा है?
आपके नेता जिनको आप अपना वोट जाती मजहब या पैसे के नाम पर बेचते है,उनके निकम्मे नाकारापन से हर साल इस देश में लाखों लोग भूख से भ्रष्टाचार से अत्याचार से दंगों से मर रहे है।आज तक आपने ऐसे कितने नेताओ को पीटा है?
इस देश का एक एक भ्रष्ट अफसर रोज़ इस देश के हज़ारो लोगों का सिस्टम से विश्वास खत्म कर देता है,लोगों को इस देश और समाज के प्रति संवेदनहीन कर देता है,उन्हें कभी गरीबी से बाहर नही निकलने देता है,ऐसे कितने अफसरों को आपने उनके आफिस जाकर आज तक पीटा है?
इन सब का जवाब है- शून्य!
क्योंकि वहां आपमे हिम्मत नही।एक भ्रष्ट नेता,अफसर,वकील,जज पर आपकी हिम्मत नही हाथ डालने की।वहां आपकी सारी मर्दानगी गायब हो जाती है।
आपको हिम्मत कहाँ आती है?एक डॉक्टर पर।जो अपने पूरे जीवन काल में हज़ारों जानें बचाता है।पूरे जीवनकाल में एक जान नही बचा पाने की कीमत उसे चुकानी पड़ती है अपनी इज़्ज़त खो कर,अपना आत्मसम्मान खोकर या फिर अपनी जान देकर!
सिर्फ एक यही प्रोफेशन है जहां आजतक भले ही आपसे रुपये 100 के बजाय कोई 200 ले ले लेकिन आपके हितों के लिए काम करेगा,आपके हितों का सौदा किसी दूसरी पार्टी से नही करेगा।
आखिर आप बताइये अपने निकम्मेपन के चलते इस देश में हर साल लाखों लोगों को मारने वाले नेताओ और अफसरों पर किस कोर्ट ने लाखों करोड़ों का हर्जाना लगाया है?
इस देश में मेडिकल नेगलिजेन्स कानून तो है, एडमिनिस्ट्रेटिव नेगलिजेन्स,पोलिटिकल नेगलिजेन्स, जुडिशल नेगलिजेन्स क्यों नही है?
एक डॉक्टर तो पूरे जीवनकाल में हज़ारों जाने बचाता है,संयोगवश किसी कारण से जो उसकी पहुच से बाहर है किसी मरीज़ की मौत हो सकती है,उस पर तो मेडिकल नेगलिजेन्स,लेकिन कोई अफसर वकील या जज जो पूरी उम्र अपना ईमान बेचकर हज़ारों लाखों लोगों को मौत भी और मौत से भी बदतर ज़िन्दगी देता है उनपर कोई नेगलिजेन्स कानून नही!ना उनपर कोई कानून है ना ही आपमे इतनी मर्दानगी शेष है की आप उनका कालर पकड़ सके!
इसके मूल में भारतीय समाज की गलत सोच है-
1. डॉक्टर भगवान है।उनका काम बिना पैसे लिए सेवा करना है।और उसके पास अस्पताल में कोई मरना नही चाहिए।
2. डॉक्टर अपनी मेहनत से अगर आपकी जान बचाकर 1 लाख रुपये कमाता है तो वो लालची डाकू लुटेरा है लेकिन एक वकील एक तारीख के 10 लाख ले,एक जज एक केस में 1 लाख ले या एक अफसर एक काम के 5 लाख ले तो हम उनके प्रति एहसान का भाव रखते है की हमने खरीदा और वो बिक गया और हमारा काम हो गया।
बहुत बार चर्चाएं होती है चिकित्सा जगत के आगे मुँहबाये खड़े अनेक प्रकार की चुनौतियों के बारे में।इस देश में पढ़े लिखे लोग जिस तरह अपना मेडिकल ज्ञान झाड़ते हुए अलग अलग मिथक इस देश में पैदा करते है प्रसारित करते है उसे देख कर कई बार तो इन लोगों के बोलने पर ही पाबंदी लगाने का मन करता है।
कई बार इन ज्ञानियों को कहा की भाई आओ आप सामने बैठ कर बात करो,मीडिया के मित्रो को भी कहा की आप सेमिनार कराइये,गोष्ठी कराइये,आपको जितनी गलतफहमियां है सब दूर हो जाएंगी।लेकिन नही सामने बैठने से ज्ञान की सुखी गागर की पोल खुल जाएगी,इसलिए फेसबुक पर 2 लाइन लिख कर ही ज्ञान झाड़ेंगे।
कलकत्ता में जो हुआ वो इस देश के चिकित्सा जगत के लिए एक अशुभ संकेत है।ये आखरी मौका है,अगर लड़े तो ज़िंदा रहेंगे!