कानपुर। जिस आसाराम के सामने खड़े होकर सिर उठाने की हिम्मत नहीं पड़ती थी। उसे भगवान मानकर पूजा की जाती थी, ऐसे कुछ भक्तों को आसाराम का ताउम्र जेल जाना फल गया। उसे उम्रकैद की जैसे ही सजा हुई, वैसे ही चंदे के रूप में आए 100 करोड़ रुपए आसाराम के कुछ भक्त हजम कर गए। अब मैनावती मार्ग स्थित आसाराम के आश्रम पर भी कुछ लोगों ने नजरें गड़ा दी हैं।
यौन उत्पीड़न का दोषी आसाराम साढ़े चार साल से जेल में बंद है। उसे बाहर लाने के लिए उसके ट्रस्ट ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। देश के नामी वकीलों की सेवाएं लीं लेकिन सारी मेहनत बेकार हो गई। वहीं उसकी सजा के साथ ही नया खेल शुरू हो गया। आसाराम का शहर और आसपास के जिलों से घनिष्ठ संबंध था। उसकी कोर टीम में कानपुर के भी कुछ लोग थे। फंड जुटाने और चंदे की कंट्रोलिंग व मॉनीटरिंग टीम में यहां के कई सदस्य थे। जिस समय आसाराम जेल गया, तब उसका स्वर्णिम काल चल रहा था। चारों तरफ से भरपूर दान मिल रहा था। यहां भी करीब 100 करोड़ रुपए का चंदा जमा था, जिसका हिसाब-किताब होना था। आसाराम के एक खास भक्त ने बताया कि जेल जाने के हफ्ते भर तक को कोई हलचल नहीं हुई। आसाराम की पहुंच को देखते हुए जल्द बाहर आने के आसार थे लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, चंदे की रकम पर कुछ लोगों की नीयत खराब होती गई। आखिरकार पूरे 100 करोड़ रुपए कुछ लोग डकार गए।
इस पर ट्रस्ट के सदस्यों और कुछ अन्य भक्तों ने आपत्ति जताई तो रकम का कुछ हिस्सा सुरक्षित बच गया लेकिन ताउम्र कैद की घोषणा होते ही उस रकम को भी हजम कर लिया गया। इसे लेकर कई दिनों से आश्रम और भक्तों के ठिकानों पर चखचख मची है। एक भक्त ने दावा किया कि आसाराम के अरबों रुपए हजम करने के लिए कुछ लोगों ने सुनियोजित साजिश रची है।
साभार -दैनिक हिंदुस्तान से