मुंबई का श्री भागवत परिवार अध्यात्मिक, सामाजिक और परोपकारी भाव से जुड़े ऐसे लोगों का समूह है जो वार-त्यौहारों को पारिवारिक मूल्यों, सनातन जीवन शैली, सामाजिक संदेश और संस्कारों के बोध के साथ मनाकर पर्वों और त्यौहारों को एक नया अर्थ प्रदान करता है।
इसी कड़ी में श्री भागवत परिवार द्वारा श्री वीरेन्द्र याज्ञिक के मार्गदर्शन में महाशिवरात्रि पर शिवाराधना कार्यक्रम का आयोजन मुंबई के मालाड स्थित डीजी खेतान स्कूल में किया गया। इस अवसर पर श्री याज्ञिक जी ने शिव के पशुपतिनाथ के स्वरूप की व्याख्या करते हुए कहा
कि शिव हमारी पाशविक वृत्तियों का नाश करते हैं इसलिए उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा गया है।
इस अवसर पर श्रीमती विद्या श्रीराम की नृत्य अकादेमी र्कीति विज़न की छात्राओं ने भरत नाट्यम शैली में मंच पर शिव परिवार से लेकर अष्ट दुर्गा की प्रस्तुति को अपने शास्त्रीय नृत्य कौशल से सम्मोहनीय बना दिया। श्रीमती विद्या श्रीराम ने निर्देशकीय दक्षता के साथ ही पूरे मंच को शास्त्रीय गरिमा से सराबोर कर दिया।प्रकाश संयोजन ने भी मंच पर अपना जादू बिखेरा।
भरत नाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य की कलात्मकता ने महाशिवरात्रि की इस पावन संध्या ने प्रेक्षकों पर आनंद रस की झड़ी सी लगा दी। हर प्रस्तुति एक से बढ़कर एक रही। नृत्यांगनाओं का शास्त्रीय नृत्य कौशल, पद, लय और भावभंगिमा की परिवक्वता के साथ शुध्द शास्त्रीय रागों में प्रस्तुत गायन का जादू दर्शकों के सिर पर चढ़कर बोल रहा था। युवा नृत्यागंनाओं ने पूरी कुशलता और समग्रता के साथ दैवीय पात्रों को मंच पर सजीव किया। नृत्य की विविधवर्णी छटा ने मंच की भव्यता को अकल्पनीय बना दिया। मंच पर हर नृत्यांगना ने रम्य और रंजक प्रस्तुति के साथ अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई। जिसमें गणेश को अंकुश और पाश के साथ प्रस्तुत कर एक अभिनव प्रयोग किया गया। अलग अलग चरण में हुई प्रस्तुतियों में देवी, भो शंभू, शिव-पार्वती, कृष्ण समर्पण, अष्टलक्ष्मी शास्त्रीय रंजक और प्रभावीकारी असर पैदा करने में सफल रहा।
मिहिका देव ने कार्यक्रम के शुभारंभ में ही गणेश के रूप में मंच पर आकर इस आयोजन की रंजकता का एहसास करा दिया था। युवा कृष्ण के रूप में किहाना श्रीराम, शिव के रूप में अदिति चव्हाण और देवी पार्वती व महालक्ष्मी के रूप में विद्या श्रीराम ने अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी।
अष्टलक्ष्मी की अद्भुत, अकल्पनीय और भावोन्मेष प्रस्तुति के साथ इस संध्या का समाहार हुआ। यह अंतिम प्रस्तुति अपने आप में इस पूरे आयोजन का चरमोत्कर्ष थी। अदिति चव्हाण गज लक्ष्मी के रूप में, अनया देव धान्य लक्ष्मी के रूप में, सिया दांडे धैर्य लक्ष्मी के रूप में, शिवांगी सिंघल गज लक्ष्मी के रूप में शगुन मोदी, संतान लक्ष्मी के रूप में औद्या दास विजय लक्ष्मी के रूप में, नीलि शाह विद्या लक्ष्मी के रूप में, मेघना चौधरी धन लक्ष्मी के रूप में, अष्ट लक्ष्मी के अद्भुत, अवतारी और नयनाभिराम स्वरूप को साकार करने में सफल रही।
अन्य कलाकारों में खेया श्रीराम, केया विस्वास, निर्मयी वालावलकर, जान्हवी पारीक, श्रुति वारियर ने अपने नृत्यकौशल से मंच को जीवंत बनाए रखा।
इस रोमांचक नृत्य सम्पदा की भव्यता, शास्त्रीयता, शुध्दता और नाट्य आस्वाद इसके गवाह रहे दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया।
कीर्ति विज़न की स्थापना श्रीमती विद्या श्रीराम ने वर्ष 2009 में की थी, इसका उद्देश्य था, हमारी सांस्कृतिक धारा को समाज तक पहुँचाना। श्रीमती विद्या श्रीराम ने विगत वर्षों में विभिन्न मंचों पर शास्त्रीय नृत्यों का प्रदर्शन कर अपनी एक खास पहचान बनाई है। पिया बावरी, एक राधा एक मीरा, शक्ति- द डिवाईऩ कृष्ण, लीला लहर-डांसिंग ड्रम्स उनकी विशिष्ट प्रस्तुतियों में शामिल है। आराधना नृत्य नाटिका विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित है।
कार्यक्रम के सूत्रधार श्री दिलीप रावल अपने शानदार अंदाज़ में हर नृत्य प्रस्तुति के अंतराल में उसकी विशिष्टता और महत्व को रेखांकित करते हुए कार्यक्रम को लेकर दर्शकों की उत्सुकता लगातार बढ़ाते रहे।
श्री अनिल कुमार ने प्रभावी विद्युत संयोजन किया। श्रीमती मीता और बिग बॉस की टीम ने मेक-अप और कैश सज्जा की कल्पनाशीलता से नृत्यांगनाओं के दैवीय स्वरूप को निखार दिया।
इस अवसर पर प्रेक्षा जोशी ने रुद्राष्टकम की प्रस्तुति कर संस्कृत की शुध्दता के लिए खूब तालियाँ बटोरी। श्री बनमाली चतुर्वेदी ने कविता प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद के कोंकण प्रांत के अध्यक्ष श्री देवकी नंदन जिंदल, वात्सल्य धाम के अध्यक्ष डॉ. श्याम अग्रवाल, लिनेन ऐंड लिनेन के श्री छोटेलाल अग्रवाल, उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री ओमप्रकाश शाह, श्री बंकेश जी की उपस्थिति ने इसे और विशिष्ट बना दिया। कार्यक्रम का संचालन श्री सुनील सिंघल ने किया। श्री भागवत परिवार के अध्यक्ष श्री एसपी गोयल व अन्य सदस्यों में सर्वश्री लक्ष्मीकांत सिंगड़ोदिया, पीसी श्रीमाली जी, सुभाष चौधरी, हरीश जालान, सुरेश खंडेलिया, सुरेन्द्र विकल आदि इस आयोजन की सफलता के लिए परदे के पीछे निरंतर सक्रिय रहे।