Sunday, November 24, 2024
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अश्वनी लोहानीः एक जानदार, दमदार, ईमानदार और जांबाज अफसर

श्री अश्वनी लोहानी को रेल्वे को बोर्ड का नया अध्यक्ष बनाया गया है. लोहानी फिलहाल एयर इंडिया के सीएमडी हैं. इसके अलावा वे आईटीडीसी के भी चेयरमैन रह चुके हैं. लोहानी दिल्ली में रेल म्यूजियम के निदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं। अश्विनी लोहानी 4 इंजीनियरिंग डिग्री ले चुके हैं. इनमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग शामिल हैं. इन्होंने ये चार डिग्रियां सिर्फ चार साल में हासिल की हैं। इसके लिए इनका नाम लिम्का बुक्स में भी दर्ज है। इन्होंने ‘फेयरी क्वीन एक्सप्रेस’ को बखूबी चलाया है, जो सबसे पुराना स्टीम लोकोमोटिव इंजन है। जिसके लिए इनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी शामिल किया गया है। नेशनल रेल म्यूजियम के डारेक्टर के तौर पर काम करते हुए उन्होंने 1999 दार्जीलिंग रेलवे का नाम विश्व धरोहर की श्रेणी में दर्ज करा दिया. वहीं आईटीडीसी के सीएमडी के पद पर रहते हुए 2002 में बोधगया के बोधि मंदिर को भी विश्व धरोहर में शामिल करा दिया.

अश्विनी लोहानी इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन(ITDC) के मुखिया भी रहे। अशोका होटल में ITDC का दफ्तर था मगर उन्होंने कभी सरकारी पैसे से दिल्ली के इस फाइव स्टार होटल की एक कप चाय भी नहीं पी। न बीवी-बच्चों को कभी मुफ्त पार्टी उड़ाने के लिए ही फाइव स्टोर होटल बुलाया। कभी चाय पीये भी तो पर्स से पैसे निकालकर। खर्च कम हो, इस नाते मीटिंग में खाने-पीने का सामान भी बाहर से मंगाया।

खुद को पहले नजीर बनाया। फिर अपने स्टाफ को शाहखर्ची रोकने के लिए प्रेरित किया। इसका नतीजा यह रहा कि अश्वनी लोहानी ने घाटे में चल रहे ITDC को मुनाफे में पहुंचाने में सफल रहे। नहीं तो पहले यह रवायत थी कि कारपोरेशन के अफसर फाइव स्टार होटल में हर रोज लंच-डिनर से लेकर यार-दोस्तों को दावतें देकर सरकारी पैसा उड़ाते थे। स्टाफ की इसी मौजमस्ती ने कारपोरेशन को घाटे की राह पर ढकेल रखा था। इससे भी बड़ी बात है कि जब यूपीए सरकार में कामनवेल्थ घोटाले में लगभग सभी केंद्रीय विभागों पर कैग ने सवाल उठाए थे तब रेलवे में डिविजनल मैनेजर रहे लोहानी ही इकलौते अफसर थे, जिनकी पीठ कैग ने थपथपाई थी। इस पद पर रहते हुए लोहानी ने नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और हजरत निजामुद्दीमन स्टेशन पर व्यापक सुधार कार्य किए।

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लोहानी को टर्न अराउंड मैन के नाम से भी जाना जाता है. मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटीडीसी) इसका एक स्पष्ट उदाहरण है. 2003 तक एमपीटीडीसी घाटे में जा रही थी. हालात ये थे कि कॉ़र्पोरेशन निजीकरण के कगार पर खड़ी थी. 2003 में उमा भारती ने लोहानी को मध्यप्रदेश पर्यटन के प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्त किया. इसके बाद उन्होंने कर्मचारियों के प्रमोशन और रुकी हुई सैलेरी से लेकर कई तरह के कामों में तेजी लाते हुए कॉर्पोरेशन की काया-पलट कर दी.

कॉर्पोरेशन में वो पेशेवर संस्कृति लेकर आए. इन कदमों ने अद्भुत रिजल्ट दिया. जल्दी ही निजीकरण के कगार पर खड़ी एमपीटीडीसी मुनाफे दर्ज करने लगी और राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने लगी. एमपी टूरिज्म के मामले में लोहानी को अपने पुराने अनुभवों से बड़ी सहायता मिली थी. इसके पहले 2002-2003 में वो भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) जिसमें राष्ट्रीय राजधानी का प्रतिष्ठित अशोक होटल भी शामिल है का कायापलट कर चुके थे.

यहाँ आकर उन्होंने सबसे पहले अपने ऑफिस में लगे गंदे परदे, टूटे फर्नीचरों से छुटकारा पाकर पर्यटन विभाग के पूरे कार्यालय का कायाकल्प कर पूरे विभाग का भी कायाकल्प कर दिया। तब नीतिश भारद्वाजद जो महाभारत धारावाहिक में कृष्ण बनकर चर्चित हुए थे, मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष थे। नीतिश भारद्वाज अपना व्यक्तिगत यात्रा और खाने पीने का खर्च पर्यटन विकास निगम के खाते में डाल देते थे, लोहानी जी को ये पता चला तो उन्होंने नीतिश भारद्वाज के चाय के पैसे तक का बिल मंजूर नहीं होने दिया। हालाकि नीतिश भारद्वाज भाजपा नेताओं और मुख्यमंत्री के करीबी थे, लेकिन लोहानी जी के आगे किसी की नहीं चली, नीतिश भारद्वाज म.प्र. पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष होने के बावजूद भी एक पैसे का भी दुरूपयोग नहीं कर पाते थे।

घाटे में दम तोड़ते दो बड़े संस्थानों को जब इस रेलवे अफसर ने जिंदा कर दिखाया तो खबर मोदी के कानों तक पहुंची। बस फिर क्या था कि उन्होंने अश्वनी को बड़ी जिम्मेदारी देने का मूड बनाया। मोदी को लगा कि यूपीए राज में कंगाल हुए एयर इंडिया को संकट से अगर कोई उबार सकता है तो वह यही अफसर है। क्योंकि इस अफसर में ईमानदारी कूट-कूट कर भरी है। बस फिर क्या था कि मोदी ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए इंडियन रेलवे इंजीनियरिंग सर्विस के इस अफसर को एयर इंडिया का सीएमडी बना दिया। चौंकाने वाला फैसला इसलिए था कि आमतौर पर एयर इंडिया का मुखिया यानी सीएमडी किसी सीनियर आईएएस को ही बनाया जाता है। भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग सेवा(IRES) के अफसर अश्वनी को हवाई सेवाओं का कोई अनुभव भी नहीं था।

लोहानी जी के करीबी बताते हैं तब मोदी उनसे बोले थे-एयर इंडिया को भी अगर घाटे से उबार दो तो मैं आपकी क्षमता जानूं। लोहानी ने भी इसे चुनौती के रूप में लिया। महज एक साल के भीतर ताबड़तोड़ फैसले लिए। इधर-उधर के खर्चों में कटौती की। और एक दिन ऐसा आया कि अश्वनी ने दो हजार करोड़ से ज्यादा के घाटे में चल रही इस सरकारी नागर विमान सेवा कंपनी को 105 करोड़ के मुनाफे में पहुंचाकर जहां सबको हैरान किया वहीं प्रधानमंत्री मोदी का भरोसा जीतने में सफल रहे। अगर कोई रेलवे का अफसर हवाई जहाज वाली कंपनी की कायापलट कर दे तो हर किसी का चौंकना लाजिमी है। एयर इंडिया का सीएमडी रहते भी लोहानी की सादगी का आलम यह रहा कि वे सरदार पटेल मार्ग स्थित रेलवे कालोनी के मकान में ही निवास करते रहे। जबकि उन्हें एयर इंडिया के आलीशान बंगले में रहना था।

इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ इंजीनियर्स के 1980 बैच के अफसर अश्वनी जैसे ही अगस्त 2015 में एयर इंडिया के कुर्सी पर बैठे। सामने टेबल पर रिचर्ड बैंसन की लाइन फ्रेम कराकर रखी-यह लाइन है-क्लाइंड डोंट कम फर्स्ट, इम्प्लाइज कम फर्स्ट।

“Clients do not come first. Employees come first. If you take care of your employees, they will take care of the clients.”

यानी श्री अश्वनी लोहानी की नजर में किसी संस्थान की तरक्की में जब तक सभी स्टाफ का सौ प्रतिशत योगदान नहीं होगा तब तक वह संस्थान तरक्की नहीं कर सकता। यही वजह है कि ग्राहकों को भगवान मानने वाली धारणा से अलग हटकर अश्वनी ने स्टाफ से रोजाना संवाद कायम करना शुरू कर दिया। पायलट और एयर होस्टेस की वेतन और अन्य सुविधाओं से जुड़ी दिक्कतें दूर की। फालतू के सभी खर्चे बंद कर दिए। मीटिंग और टूर के नाम पर अफसरों की शाहखर्ची पर लगाम लगाई। यहां तक कह दिया कि कोई स्टाफ उन्हें कभी बुके आदि नहीं भेंट करेगा।

यूं सुधारी एयर इंडिया की सेहत

हवाई सर्विस से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि अश्वनी लोहानी ने सीएमडी बनते ही वित्तीय और प्रशासनिक अनुशासन कायम करने की दिशा में एयर इंडिया में अपने फैसलों से जो मेजर सर्जरी की, उससे एयर इंडिया का सारा रोग दूर हो गया। लाभ वाले विदेशी उड़ानों के नए रुट तय किया। उस पर फ्लाईट सर्विस शुरू की। जिससे यात्री संख्या में इजाफा हुआ। आंकड़े के मुताबिक 2015-16 में एयर इंडिया के यात्रियों की संख्या 1.8 करोड़ रही। जबकि वर्ष 2014-15 में एयर इंडिया से कुल 1.688 करोड़ यात्रियों ने उड़ान ली। मतलब पिछले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ। एयर इंडिया की प्रतिद्वंदी कंपनी स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अश्वनी ने अपनी कठिन मेहनत से एयर इंडिया की हालत सुधारने में सफलता हासिल की।

अश्वनी लोहानी वही शख्स हैं जिन्होंने शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ द्वारा एअर इंडिया के अधिकारी के साथ मारपीट करने पर उनको एअर इंडिया सहित देश की किसी भी विमान कंपनी से उड़ान पर प्रतिबंध लगाकर अपनी धाक जमा दी थी। रविंद्र गायकवाड़ के माफी माँगने तक करीब 15 दिनों तक प्रतिबंध उन पर ये प्रतिबंध जारी रहा। 23 मार्च को शिवसेना सांसद रवीन्द्र गायकवाड़ के एयर इंडिया की फ्लाइट में 60 वर्षीय स्टाफ से मारपीट करने के बाद एयर इंडिया ने एमपी साहब को ब्लैक लिस्ट कर दिया था। अपने कर्मचारियों के हितों के लिए हमेशा खड़े होने के लिए मशहूर लोहानी, अगर इस मामले में गायकवाड़ को बिना किसी सजा के छूटने देते, तो उनके जानने वालों के लिए ये दुनिया के 9वें आश्चर्य से कम नहीं होता. घटना के तुरंत बाद ही लोहानी ने शिवसेना सांसद के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज करा दी थी. यही नहीं इस मामले में उन्होंने बाकी सारे विमान कंपनियों को अपने साथ लिया और सांसद गायकवाड़ की हवाई यात्रा पर बैन लगा दिया.

28 नवंबर 2015 को जब वाईएसआर कांग्रेस के सांसद मिथुन रेड्डी ने तिरुपति में एयर इंडिया के मैनेजर राजशेखर को कथित तौर पर थप्पड़ मार दिया था और उसकी हड्डी टूट गई थी. जबकि राजशेखर का दोष सिर्फ इतना था कि उसने बोर्डिंग टाइम खत्म हो जाने की वजह से रेड्डी के रिश्तेदारों को विमान के अंदर नहीं घुसने दिया था. इस मामले में भी सांसद और उनके 15 अनुयायियों के खिलाफ दंड संहिता की कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. और रेड्डी को 17 जनवरी, 2016 को गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

इतना ही नहीं अपनी निजी यात्राओं के लिए भी लोहानी और उनका परिवार अपना टिकट खरीदता है। जब वो मध्य प्रदेश पर्यटन के कमिश्नर थे, तो वो कभी भी होटल और रेस्तरां में मुफ्त का खाना नहीं खाते।
लोहानी जी का नाम लिमका बुक ऑफ अवार्ड्स में भी शामिल है। साल 1998 में उन्होंने दुनिया के सबसे पुराने स्टीम लोकोमोटिव के साथ फेयरी क्विन एक्सप्रेस चलाने के लिए गिनीज रिकॉर्ड भी हासिल किया है।

मुंबई के श्री भागवत परिवार के एक कार्यक्रम में आए श्री लोहानी से जब पूछा गया कि वे राजनीतिक दबाव में कैसे काम कर लेते हैं तो उन्होंने कहा था, मुझ पर कभी कोई राजनीतिक दबाव नहीं आता, मैं वही काम करता हूँ जो नियमों के अनुरूप हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि एक सरकारी अफसर में अतनी योग्यता तो होती ही है कि वह अपने उसूलों के खिलाफ नौकरी करने की बजाय नौकरी छोड़ दे और अपने दम पर अपना परिवार पाल सके। बस मैं इसी वजह से राजनीतिक दबावों का सामना नहीं करता हूँ कि मैं गलत काम करने की बजाय नौकरी छोड़ने की हिम्मत रखता हूँँ।

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