5500 स्वयंसेवकों ने संभाली बाढ़ पीडि़तों को राहत पहुंचाने की कमान
1200000 से ज्यादा भोजन के पैकेट बांटे
50000 ब्रेड के पैकेट, 50 हजार चादर वितरित कीं
30000 कंबल, मोमबत्तियां, दवाइयां व महिलाओं की जरूरत के सामान बांटे
50 डॉक्टरों की टीम के साथ फार्मेसी व मेडिकल के 12 छात्र लोगों का इलाज करने में जुटे
चेन्नै में यूं तो बारिश 11 नवम्बर से पड़नी शुरू हो गई थी, लेकिन तब तक किसी को अंदाजा नहीं था कि इतनी बारिश होगी कि चेन्नै में इस भीषण वर्षा से बाढ़ आ जाएगी। पिछले 100 वर्षों के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि बारिश के चलते चेन्नै में बाढ़ आई हो। 1 और 2 दिसंबर को तो चेन्नै में इतनी बारिश हुई जितनी वर्ष 1901 के बाद कभी नहीं हुई थी। भारी बारिश से चेन्नै के कई इलाके ऐसे लग रहे थे मानो समंदर शहर में उमड़ आया हो। सड़कें जलमग्न हो गईं, इंटरनेट, मोबाइल, यातायात सब कुछ ठप्प पड़ गया।
किसी को अंदाजा नहीं था कि बारिश के कारण स्थिति इतनी विषम हो जाएगी। सरकार की तरफ से भी तब तक राहत कार्य शुरू नहीं हुए थे। हालात बिगड़ते देख सरकार से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने अपने स्तर पर लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया। चेन्नै के पास स्थित कडल्लौर बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला जिला है। जैसे ही यहां के हालात बिगड़े रा. स्व. संघ के 110 स्वयंसेवक तत्काल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे और बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया। स्वयंसेवकों ने लोगों को भोजन और अन्य जरूरी सामान मुहैया कराया। इस क्षेत्र में संघ के स्वयंसेवकों ने लगभग 20 हजार परिवारों को राहत सामग्री उपलब्ध करवाई ।
चेन्नै के पेरंबूर इलाके में 25 वर्षीय सर्वनन सप्ताह भर तक बाढ़ पीडि़तों को अन्न वस्त्र पहुंचाते-पहुंचाते इतना थक गए कि वे अपने नवजात शिशु तक को गोद में नहीं उठा पाए। वे स्वयं बाढ़ पीडि़त थे और खुद राहत शिविर में अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रह रहे थे। उन्होंने देखा कि स्वयंसेवक दिन-रात लोगों की सहायता करने में जुटे हैं तो वे भी अपना दर्द भूलकर स्वयंसेवकों के साथ बाढ़ पीडि़तों की मदद करने में जुट गए। रा. स्व. संघ के 5 हजार से ज्यादा स्वयंसेवक चेन्नै में राहत शिविरों में सेवा कार्य में जुटे। गत 30 नवम्बर के बाद 48 घंटों के भीतर भोजन के 12 लाख पैकेट स्वयंसेवकों ने बाढ़ में फंसे लोगों तक पहुंचाए। उत्तर तमिलनाडु प्रांत सेवा प्रमुख राम राजशेखर के अनुसार पहले 24 घंटों के दौरान किसी सूचना का इंतजार किए बिना ही स्वयंसेवक बचाव कार्यों में जुट गए थे। परिस्थितियां ऐसी थीं कि सभी सड़कों पर पानी भरा हुआ था, मोबाइल फोन और इंटरनेट से संपर्क टूट चुका था। इसके बावजूद स्वयंसेवक तत्काल अपने स्तर पर टोलियां बनाकर सेवा कार्यों में जुट गए। सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ) के जवानों के साथ संघ के कार्यकर्ता इन पंक्तियों के लिखे जाने के वक्त भी बाढ़ पीडि़तों की सहायता करने में जुटे हुए हैं। 50 डॉक्टरों की एक टीम दिन-रात लोगों का उपचार करने में जुटी है। संघ की तरफ से लोगों को एंटीबॉयोटिक दवाइयां भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
गत 6 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य वरिष्ठ प्रचारक श्री सूर्यनारायण राव ने चेन्नै पहुंचकर राहत कार्यों में जुटे स्वयंसेवकों से मुलाकात की और उन्हें पीडि़तों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि जब भी कोई आपदा आती है तो संघ के स्वयंसेवक हमेशा आगे रहकर सेवाकार्य करते हैं।
संघ के स्वयंसेवक पूरी निष्ठा से बाढ़ प्रभावित इलाकों में कार्य कर रहे हैं, राहत कार्यों में जुटे स्वयंसेवकों ने बिना किसी भेदभाव के सभी की सहायता की है। उदाहरण के तौर पर विल्लिवक्कम में स्वयंसेवकों से जब एक मुसलमान व्यक्ति ने मदद मांगी तो स्वयंसेवकों ने तत्काल उसकी मदद की।
चेन्नै में भारी बारिश के बाद स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ग्रस्त इलाके का हवाई सर्वेक्षण कर 1000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता देने की घोषणा की। केंद्र सरकार की तरफ से थल सेना, वायु सेना व नौसेना के जवानों को राहत कार्य के लिए वहां भेजा गया। एनडीआरएफ की टीम, थल सेना, पुलिस एवं दमकल सेवा के जवानों ने कोट्टूरपुरम, नंदनम, सईदापेट और वेलाचेरी, मडिपक्कम, तांबरम और मुदीचूर इलाकों में बाढ़ प्रभावित लोगों को उनके घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया। इन इलाकों में पानी पहली मंजिल तक भर चुका था। चेन्नै के बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ की कुल 28 टीमें, जिनमें 1200 जवान थे, तैनात की गईं। इन टीमों ने 110 से ज्यादा नौकाओं की मदद से हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। एनडीआरएफ की दो टीमें पुदुचेरी में भी तैनात की गई हैं। वायुसेना ने हेलीकॉप्टर से लोगों के घरों की छतों पर खाने के पैकेट गिराए। वायुसेना के 15 हेलीकॉप्टर राहत मुहैया कराने के लिए जुटे हैं। बाढ़ के कारण राज्य में मरने वालों की संख्या बढ़कर 250 से ज्यादा बताई गई है।
भाजपा कार्यालय बना राहत केन्द्र
भाजपा के केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री पोन. राधाकृष्णन ने राहत कार्य में लगे कार्यकर्ताओं को कहा कि वे मदद करते समय किसी तरह के राजनीतिक प्रतीकों का प्रयोग न करें। कौन क्या कर रहा है और कितनी मदद कर रहा है, ये जनता को पता है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एच. राजा ने बताया कि चेन्नै स्थित तमिलनाडु भाजपा का प्रान्त कार्यालय राहत केन्द्र में बदल गया है। यहां पर सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक राहत कार्य में जुटे हुए हैं।
सब के साथ, सब की सेवा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को खाकी निक्कर पहनकर कमर तक के पानी में खड़े होकर राहत कार्य करते देखना अपने आप में अनूठा था। बाढ़ग्रस्त उन इलाकों में एनडीआरएफ और सेना के जवान भी राहत कार्य में जुटे स्वयंसेवकों के साथ मिलकर दूरस्थ क्षेत्रों में मदद पहुंचा रहे थे। यहां तक कि स्वयंसेवकों ने लगातार राहत कार्य में जुटे जवानों को भी भोजन करवाया।
आपदा में नजदीक आए सब
श्री रामकृष्ण मठ, श्रृंगेरी तथा कांची शंकराचार्य के अनुयायी, वैष्णव संत जीयर स्वामी जी, अद्वैताचार्यों के शिष्य आदि अनेक संत- संन्यासियों ने बाढ़ पीडि़तों की मदद का बीड़ा उठाया। उनकी मदद को बाढ़ पीडि़तों ने सहर्ष स्वीकार किया। एक वैष्णव संत ने एक चर्च परिसर में जाकर बाढ़ पीडि़तों की मदद की। स्वयंसेवकों ने सैकड़ों मुसलमानों और ईसाई पंथ को मानने वाले बाढ़ पीडि़तों को राहत सामग्री बांटी।
विल्लिवाक्कम इलाके में पानी से चौतरफा घिरे एक मकान की पहली मंजिल पर एक मुसलमान परिवार, जिसमें बूढ़ी औरत व उसका बीमार बेटा था। पानी से भरे मकान की पहली मंजिल से स्वयंसेवकों ने पहले उस बूढ़ी औरत को निकाला और फिर उसके बेटे को दो स्वयंसेवक उठाकर बाहर लाए। संघ के स्वयंसेवकों पर लोगों का कितना विश्वास है, यह पता चला तब जब तंबारम इलाके में एक बुजुर्ग मुसलमान ने अपनी बेटी को एक स्वयंसेवक के साथ सुरक्षित स्थान पर भेजते हुए कहा कि ‘मुझे संघ के सेवा कार्य में विश्वास है। मेरी बेटी सही सलामत रहेगी।’ ओट्ेरी के ईसाई बहुल क्षेत्र के ईसाइयों ने स्वयं आकर राहत कार्यों में जुटे स्वयंसेवकों से कहा ‘आप लोग बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।’
सरकारी आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु में आई बाढ़ से अब तक लगभग 350 लोग मारे गए हैं। लेकिन राहत कार्य में में लगे अनेक संगठनों के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मरने वालों की संख्या 600 से भी अधिक जा सकती है। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ कांचीपुरम। यहां 95 लोगों की मौत हुई। कड्डलूर में 50 और चेन्नै में 48 लोग मारे गए। इन जगहों पर अनेक सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने अपने-अपने स्तर से राहत कार्य शुरू किया। इनमें एक प्रमुख संगठन है भारतीय जनता युवा मोर्चा। इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ए.पी. मुरूगानंदन के नेतृत्व में 300 कार्यकर्ताओं की एक टोली ने दिन-रात राहत और बचाव कार्य किया। इस टोली से जुड़े कार्यकर्ताओं ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर पहले लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाला, फिर उनके लिए भोजन और रहने का प्रबंध किया। इन कार्यकर्ताओं ने 3 दिन चेन्नै, 2 दिन कड्डलूर और 1 दिन कांचीपुरम में लगातार बचाव कार्य किया और राहत पैकेट बांटे। कड्डलूर में 300 कार्यकर्ता लगे, तो कांचीपुरम और चेन्नै में 175-175 कार्यकर्ताओं ने राहत कार्य किया। 4000 से भी अधिक परिवारों तक राहत पैकेट पहुंचाए गए। एक पैकेट में 1 चादर, 15+10 फुट का एक तिरपाल, 2 तौलिए, 10 किलोग्राम चावल, खाना बनाने के बर्तन, 1 स्टोव, साड़ी, धोती और अन्त:वस्त्र थे। कार्यकर्ता राहत कार्य में इस तरह रमे कि उन्हें अपनी कोई चिन्ता नहीं रही। ये कार्यकर्ता स्वयं 20 दिन तक न नहाए और न ही ढंग से भोजन किया, लेकिन बाढ़ पीडि़तों की हर सुख-सुविधा का ख्याल रखा। मुरूगानंदन कहते हैं जब तक हर पीडि़त का आंसू पोंछ न लिया जाए तब तक हम कार्य करते रहेंगे।
चेन्नै का विल्लिवक्कम इलाका। एक गली में चार फीट से ज्यादा पानी भरा हुआ था। स्वयंसेवक लोगों को रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं बांट रहे थे। तभी एक घर से एक भूख से बिलखते एक नवजात के रोने की आवाज सुनाई दी। कमर तक के पानी में तैरकर एक तरुण स्वयंसेवक वहां पहुंचा तो बच्चे की मां ने बताया कि बच्चा दूध न मिलने के कारण भूख से रो रहा है। वह स्वयंसेवक तत्काल वापस आया और थोड़ी देर के अंदर बच्चे के लिए दूध का पैकेट उसकी मां के पास पहुंचा दिया।