शबरीमाला को अगर अपवित्र किया गया है, तो यह हिंदुओं के साथ पहली बार नहीं हुआ है।
हिंदू पुनर्नवा है, दूब है, मिट-मिटकर फिर से उग आता है। हिंदू फीनिक्स है, अपनी ही राख से उग आता है।
पढ़िए “स्वामी व्यालोक” भैया का एक लेख –
हमारे सोमनाथ को यवनों और म्लेच्छों ने कई बार भूमिस्थ किया।
कृष्ण और राम की जन्मस्थली के ऊपर आज तक तामीर की हुई मस्जिदें हैं।
पुरी के जगन्नाथ से लेकर कश्मीर के मार्तंड तक, किसको छोड़ा इन आततायी, क्रूर, दस्युदलों ने!
मुहम्मदवाद हो या ईसाइयत…इनको सनातन से ही समस्या है, क्योंकि यह हज़ारों वर्षों से अपने अस्तित्व को बचाए चला जा रहा है।
यह धर्मयुद्ध है…
इसे स्वीकारें या नकारें, हमें इसका सामना करना ही होगा।
अपवित्र शबरीमाला ही शायद हमारे पुनरुत्थान का सबब बने।
उत्तर ने हताश किया है, शायद दक्षिण जवाब दे।
हमें कछुए की तरह फिर से खुद को सिकोड़कर अलख जगानी होगी।
मछंदर से लेकर शंकर तक के गुण खुद में विकसित करने होंगे।
हमला बहुत बड़ा है। जो मुहम्मडन महिलाएं तीन तलाक, हलाला, अगणित शादियां, जूते की मार, गालियों की बौछार …
बदहाल हालत आदि से पीड़ित हैं, वह शबरीमाला में प्रवेश के लिए व्यग्र हैं।
केरल की वामपंथी सरकार तो विधर्मी ईसाइयों से भरी ही है। आज भी जिन दो महिलाओं के प्रवेश की ख़बर है, वे ईसाई ही होंगी, इसमें संदेह नहीं। कौमी काडर तो हैं ही।
हिंदुओं को इस हमले को समझने और विशाल हृदय से पुनर्जाग्रित होने की आवश्यकता है।
उत्तिष्ठ भारत…
धर्माचारी भारत…
हिंदू भारत, सनातन भारत….
#शबरीमालापुनर्जागरण-