अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र में कार्यक्रम के दौरान खुले मंच से इशारों ही इशारों में यह बता दिया है कि भगवान राम के भव्य मंदिर में विराजमान होने वाली कौन सी प्रतिमा की स्थापना होगी। राजस्थान और कर्नाटक के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई कुल तीन प्रतिमाओं में 51 इंच की ऊंचाई वाली श्यामल वर्ण की प्रतिमा को नवनिर्मित मंदिर के गर्भ ग्रह में स्थान दिया जाएगा। यह बातें खुद चंपत राय ने खुले मंच से कहीं हैं. उनका यह बयान सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि कर्नाटक के मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज की प्रतिमा ही गर्भ गृह में स्थापित करने के लिए चयनित की गई है। वहीं खास बात यह है कि भगवान राम की दो अन्य प्रतिमाएं भी इसी परिसर में अलग-अलग स्थान पर स्थापित करने की योजना है।
रामलला: भगवान राम की प्रतिमा श्यामल रंग के पत्थर की है। 5 वर्ष के बालक की आकृति है. मूर्ति खड़ी अवस्था में है। 5 वर्ष के बालक की कोमलता, चेहरा कितना कोमल, मुस्कान कैसी, आंखों की दृष्टि कैसी, शरीर कैसा हो, इसका ध्यान रखकर प्रतिमा बनाई गयी है। प्रतिमा में देवत्व है। वह भगवान राम का अवतार हैं, विष्णु का अवतार हैं और वह राजा के बेटे भी हैं। राजा पुत्र हैं. देवत्य हैं, लेकिन 5 वर्ष के बालक हैं। इसका ध्यान रखा गया है।
चम्पत राय ने बताया कि तीन मूर्तिकारों ने तीन अलग-अलग मूर्ति बनाई हैं। उसमें से एक मूर्ति को प्रभु की प्रेरणा से स्वीकार कर लिया गया है। सभी मूर्तियां हमारे पास रहेंगी. सबने बड़ी तन्मयता से काम किया है। सबका सम्मान होगा। यह मूर्ति लगभग पैर की उंगली से कंपेयर करें, तो आंख की भौं ललाट 51 इंच ऊंची है. इसके ऊपर मस्तक मुकुट थोड़ा आभामंडल है। यह मूर्ति लगभग डेढ़ टन की है। पूरी प्रतिमा पत्थर की है। श्यामल रंग में है।
मूर्ति की प्रतिष्ठा पूजा विधि 16 जनवरी से प्रारंभ हो जाएगी। मूर्ति को गर्भ गृह में अपने आसन पर 18 जनवरी की दोपहर में स्थापित किया जाएगा। प्रतिमा की विशेषता यह है कि अगर जल से स्नान हो, दूध से स्नान हो, तो पत्थर का कोई प्रभाव दूध और पानी पर नहीं पड़ना चाहिए। अगर उसे जल का आचमन कर लें तो उसका शरीर पर कोई दुष्परिणाम न हो। इसका विचार किया गया है। प्रतिमा की ऊंचाई इस विचार से दी गयी है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी के दिन दोपहर को 12 बजे जब सूर्य भगवान चमक रहे हो तो उनकी किरणें राम लला के ललाट पर आकर पड़े। इस वैज्ञानिक कार्य को भारतवर्ष के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने संपन्न किया है.इस आधार पर ऊंचाई का निर्णय लिया गया।
भगवान श्री राम की जन्मस्थली परिसर में श्री भगवान राम की स्थापना नहीं होगी। बल्कि मंदिर के बाहर पर कोटे में परकोटे के अंदर सात मंदिर और परकोटे के बाहर भी सात मंदिर बनाने की योजना है। श्री राम जन्मभूमि तिर्यक क्षेत्र ट्रस्ट के माता की चंपत्र ने बताया कि राम मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी अहिल्या का मंदिर बनाया जाएगा। जटायु की प्रतिमा पहले से ही स्थापित कर दी गई है।