बाबा रामदेव उन शख्सों में हैं, जिनकी आम जनमानस में एक व्यापक छवि है. इसके लिए उन्होंने लम्बा संघर्ष भी किया है जिसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया जाना चाहिए. हालाँकि, हालिया दिनों में बाबा रामदेव सरकार के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए करते देखे जा रहे हैं तो ऐसे में स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि सरकार द्वारा उन्हें विशेष दर्जा क्यों दिया जाना चाहिए, विशेषकर कारोबारी क्षेत्र में? दूसरा प्रश्न इसी से जुड़ा हुआ है कि स्वदेशी आंदोलन के पैरोकार बाबा का कारोबार देश के किसानों के हितों के साथ कितना जुड़ा हुआ है और उनके जीवन स्तर में सीधा परिवर्तन लाने के लिए प्रयत्नशील है क्या? अगर नहीं, तो फिर स्वदेशी और विदेशी सामानों में क्या फर्क कहा जाएगा?
पिछले दिनों में देशवासी बाबा रामदेव के कई रूप देख चुके हैं, मसलन गेरुआ वस्त्रधारी बाबा रामदेव, काले धन के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने वाले बाबा रामदेव, भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावों में खुलकर प्रचार करते बाबा रामदेव, भाजपा की सरकार बनने के बाद काले धन के मुद्दे पर चुप्पी साधने वाले बाबा रामदेव, भाजपा सरकार से जेड श्रेणी सुरक्षा प्राप्त करने वाले बाबा रामदेव, पुत्रजीवक दवा के रूप में विवाद उठाने वाले बाबा रामदेव, हरियाणा प्रदेश के ब्रांड एम्बैसेडर बाबा रामदेव, रामलीला मैदान में आंदोलन के दौरान जबरदस्ती भगाए जाने वाले बाबा रामदेव, इसके बाद हरिद्वार में काले धन के मुद्दे पर अनशन पर बैठकर उग्र भाव से 11 हज़ार युवाओं की सेना बनाकर उन्हें शस्त्र और शास्त्र का प्रशिक्षण देने की खुलेआम और संविधान विरोधी घोषणा करने वाले बाबा रामदेव, पद्म पुरस्कारों को लॉबिंग से मिलने वाला सम्मान बताने वाले बाबा रामदेव, भारत के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ के हर्बल प्रोडक्ट्स को तैयार कर बाजार में बेचने का समझौता करने वाले बाबा रामदेव और अब बहुचर्चित मैगी विवाद के बाद अपने नूडल्स बेचने की घोषणा करने वाले बाबा रामदेव. अगर देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समकक्ष किसी दुसरे व्यक्ति को चर्चा प्राप्त करने के लिहाज से देखा जाय तो वह निश्चित रूप से बाबा रामदेव ही होंगे!
इस बात से किसी को आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए, लेकिन इस बात से आपत्ति अवश्य होनी चाहिए कि कोई इतना महत्वपूर्ण व्यक्ति अपने किये गए वादे पर विशेष समय में चुप्पी कैसे साध सकता है? स्वदेशी का झंडा बुलंद करने वाले बाबा रामदेव निश्चित रूप से अनेक तरह से देशवासियों की सेवा कर रहे हैं, जिसमें योग का प्रचलन, जो कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में अब स्थापित हो गया है, प्रमुख है. लेकिन, देश उनसे जानना चाहता है कि काले धन पर उनका अब क्या रूख है? क्या पहले उनके पास गलत जानकारी थी या अब वह जानबूझकर सरकारी रवैये पर चुप्पी साध रहे हैं? देश में जब मैगी विवाद हुआ था तब कई लोगों ने इसे रामदेव के फ़ूड प्रोडक्ट्स से भी जोड़ा था और तब सोशल मीडिया में कहा गया कि इस कंपनी की साख को सिर्फ इसलिए नुक्सान पहुँचाया गया ताकि बाबा रामदेव को लाभ पहुँचाया जा सके! यहाँ, हम किसी को क्लीन चीट नहीं दे रहे हैं, लेकिन कदम दर कदम सरकार जिस तरह से बाबा रामदेव पर मेहरबान दिख रही है, उससे प्रश्न उठना तो स्वाभाविक ही है!
साभार- http://mithilesh2020.com/ से