महोदय,
हम करोड़ों लोगों की बाबा रामदेव पर श्रद्धा है, उनके स्वदेशी व स्वभाषा आंदोलन से लगभग 25 वर्षों से जुड़े हुए हैं पर अब यह भ्रम टूट गया है। बाबा जी, उनकी कंपनी को न स्वदेशी से कोई मतलब है न स्वभाषा से। पतंजलि की सभी वेबसाइट व ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी में ही उपलब्ध करवाई गई हैं। पतंजलि के लगभग 80 प्रतिशत उत्पादों से हिंदी हटा ली गई है जहाँ बची है उन उत्पादों पर अंग्रेजी के नीचे, पीछे और छोटे अक्षरों में समेट दी गई है जो बहुत दुखद है और हमारे साथ धोखा है। पिछले 2 वर्ष में शुरू हुए नये उत्पादों पर हिन्दी “भारत में निर्मित” शब्द तक समेट दी गई है।
उपभोक्ता वस्तुओं पर भारत के किसी भी कानून में अंग्रेजी का प्रयोग अनिवार्य नहीं है।
मुझे पता है आप तो मेरे ईमेल का उत्तर भी हिन्दी में नहीं दे सकेंगे
प्रवीण जैन