पर्यावरण और प्रदूषण को लेकर सर्वोच्च न्यायायलय से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सब चिंता कर रहे हैं और इसी कड़ी में बाबा रामदेव के योग शिविरों के खिलाफ भी आवाज़ उठने लगी है। पता चला है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और पर्यावरण प्रेमी बाबा रामदेव के योग शिविरों को लेकर चिंता में हैं। इन योग शिविरों की वजह से शिविर क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी और कॉर्बन डाई ऑक्साईड का भारी प्रभाव देखा जा रहा है। एक एनजीओ द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि जिस किसी शहर में जहाँ कहीं भी बाबा रामदेव के योग शिविर होते हैं उसके आसपास रहने वालों से लेकर पूरे शहर में सुबह 5 से 8 बजे तक ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और कॉर्बन डॉई ऑक्साईड की मात्र बढ़ जाती है। जबकि जब शिविर नहीं होता है तब वहाँ ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य पाई जाती है।
सर्वे में कहा गया है कि शिविर स्थल के आसपास रहने वाले जो लोग बाबा रामदेव के योग शिविर में नहीं जाते हैं उनको सुबह उठते ही खाँसी, जुकाम और जी घबराने से लेकर उल्टी होने लगती है। इसका कारण शिविर में आने वाले लोगों द्वारा प्राकृतिक ऑक्सीजन को हजम कर जाना है। शिविर में आने वाले तो सुबह 5 बजे से ही पूरे क्षेत्र की ऑक्सीजन का दोहन कर लेते हैं और इस वजह से दूसरे लोगों को सुबह सुबह पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।
एनजीओ ने इस क्षेत्र के लोगों से चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बाबा रामदेव के शिविर के आयोजन के पहले और बाद में हमने कभी ऐसी समस्या का सामना नहीं किया, शिविर के दौरान तो हम शुध्द ऑक्सीजन को तरस जाते हैं। एक बुजुर्ग का कहना था कि जब सर्वोच्च न्यायालय दिवाली पर पटाखो पर रोक लगा सकता है तो फिर बाबा रामदेव के शिविरों पर भी रोक लगनी चाहिए।
इधर कई धार्मिक संगठनों ने भी शिविर के आयोजनों पर ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि हमारे धर्म में योग, सूर्य नमस्कार जैसे सब करतब हराम की श्रेणी में आते हैं, और बाबा रामदेव शहर से लेकर आसपास के शहरों और गाँवों के लोगों को इकठ्ठा करके ये योगासन करवाते हैं; हम अपने धर्म की वजह से इन शिविरों में भागीदारी नहीं करते हैं और शुध्द ऑक्सीजन से मरहूम रह जाते हैं। कई धार्मिक नेताओं ने शरीयत का हवाला देते हुए कहा कि हम भी सर्वोच्च न्यायालय में जाकर इसके खिलाफ अपील करेंगे और माँग करेंगे कि योग शिविर के दौरान बाबा रामदेव अपने योग साधकों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था खुद करें।
कई प्रगतिशील विचारकों ने योग शिविर पर रोक लगाने की माँग को धर्म निरपेक्षता के लिए जरुरी बताते हुए कहा है कि इससे अन्य धर्म के लोगों में सरकार और सर्वोच्च न्यायालय के साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रति भी आस्था पैदा होगी। अगर बाबा रामदेव के शिविरों पर रोक लग जाती है तो इससे प्राकृतिक ऑक्सीजन जो सुबह सुबह कुछ लोगों द्वारा हड़प ली जाती है वह आम लोगों को भी मिलने लगेगी।
एक अन्य संगठन ने माँग की है कि बाबा रामदेव जहाँ भी योग शिविर करते हैं वहाँ शिविर के पहले, शिविर के बाद की और सामान्य दिनों की ऑक्सीजन की मात्रा की जाँच की जाए और शिविर के दौरान जितनी ऑक्सीजन बाबा रामदेव के योग साधकों द्वार हड़प ली जाती है उसके अनुसार उनके शिविरों पर पर्यावरण कर लगाया जाए।
एक बुजुर्ग ने आरोप लगाया कि बाबा रामदेव के शिविरों की वजह से ही हमारा 15 लाख ता नुकसान हो गया और जीएसटी लागू हो गई। उसने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार को हटाने के लिए बाबा रामदेव ने देश भर में योग शिविर लगाए और काला धन वापस लाने के नाम पर कहा था कि अगर विदेशों से काला धन आ गया तो सबके खाते में 15 लाख रुपये जमा हो जाएंगे। इसका कोई फायदा नहीं हुआ और उल्टे अब बैंक वाले जो पैसे जमा हैं उनको नए नए तरीके से हजम कर रहे हैं।