नई दिल्ली।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के सहयोग से उत्तर प्रदेश के उन्नाव से जबरन विवाह के लिए अगवा करके ले जाई जा रही एक नाबालिग को बिहार के सीतामढ़ी जिले के नेपाल सीमा पर बेरिगिनिया स्थित सशस्त्र सीमा (एसएसबी) की सीमा चौकी पर मुक्त कराया गया। नेपाल सीमा पर स्थित एसएसबी 20 बटालियन ने दो आरोपियों को हिरासत में लेकर उन्हें बेरिगिनिया थाने को सुपुर्द कर दिया। हिरासत में लिया गया एक आरोपी अगवा की गई नाबालिग का जीजा है। जांच में पता चला कि नाबालिग के परिजनों ने 19 जून को उन्नाव के मौरावां थाने में नाबालिग के अपहरण का मामला दर्ज कराया था।
नाबालिग की बड़ी बहन की शादी आरोपी से हुई थी। परंतु वह उसकी छोटी बहन से विवाह करना चाहता था और इसी इरादे से उसने एक अन्य अभियुक्त के साथ मिलकर नाबालिग का अपहरण कर लिया और उसे नेपाल ले जा रहा था। एसएसबी 20 बटालियन ने उन्हें चौकी पर रोक कर पूछताछ की और शक होने पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया। इस दौरान बीबीए और प्रयास के सदस्य भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने नाबालिग की काउंसलिंग की और उसके परिजनों से फोन पर बातचीत की। इसके बाद दोनों आरोपियों को बेरिगिनिया पुलिस को सौंप दिया गया।
नाबालिग ने बताया कि उसका जीजा उसे अपने पैसों और गाड़ी का हवाला देते हुए उससे शादी करने को कहता था। इससे पहले वह उसे जम्मू ले गया था जहां उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। घटना के दिन उसके जीजा ने उसे कपड़े लेने के बहाने बुलाया और कार में बैठा कर अगवा कर लिया। एफआईआर के मुताबिक नाबालिग की बड़ी बहन ने बताया कि आरोपी अपने पैसे की धौंस दिखा कर उसकी छोटी बहन से जबरन विवाह करना चाहता था। इस मामले में उसने 9 मई को उसके खिलाफ मौरावां थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
बीबीए के निदेशक मनीष शर्मा ने नाबालिग को बचाने में दिखाई इस तत्परता के लिए एसएसबी 20 बटालियन की सराहना करते हुए कहा, “नाबालिगों को अगवा कर उनके साथ जबरन विवाह जैसे अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस, प्रशासन और सशस्त्र बलों के इस तरह के समन्वित प्रयासों से निश्चित रूप से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। बाल विवाह के खिलाफ कानूनों पर सख्ती से अमल करने की जरूरत है।”
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जितेंद्र परमार
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