Wednesday, December 25, 2024
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बनाना एग्रो रिजॉर्ट टीकापुर नेपालः केले की खेती के साथ साथ पर्यटन का भी व्यवसाय

सुदूर पश्चिम नेपाल देश के कैलाली जनपद के टीकापुर में एक जगह ऐसी है जो आप के मन को कौतूहल से भर देगी, ग्रामीण इलाके में केले के बागानों के मध्य एक रिजॉर्ट, जी हाँ यह शायद भारत-नेपाल या शायद दुनिया में पहली जगह होगी जहां किसान टूरिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं, वह भी एक केले की प्रजाति की दम पर, ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक जगहें हैं जहाँ टूरिज्म की व्यवस्था हैं, किन्तु कृषि के साथ वह भी सिर्फ केले को आधार पर यह पर्यटन व्यसाय अनूठा और अप्रतिम हैं, कहते हैं रचनात्मकता कहीं में किसी भी इंसान के मस्तिष्क में उपज सकती है, जिसका उदाहरण नेपाल की इस छोटी से जगह टीकापुर का यह “बनाना एग्रो रिजॉर्ट” है.

भारत में कृषि की उन्नत तकनीक और उपजाऊ कृषि भूमियां हैं, जहाँ किसान खेती के साथ ग्रामीण पर्यटन का व्यवसाय कर सकते हैं, थोड़ी लगन और म्हणत किसी के भी गाँव की खेती किसानी की जमीन को कृषिकार्य के साथ साथ टूरिज्म में भी पैसा कमाने का जरिया बन सकती है.
टीकापुर नेपाल -धनगढी से पूर्व चीसा-पानी वाले राजमार्ग पर लगभग ५० किलोमीटर दूर चलने पर सड़क से दक्षिण कुछ मील के फासले पर ग्रामीण अंचल में यह बनाना फ़ार्म और बनाना एग्रो रिजॉर्ट स्थित है, भारत की तराई में बेस जनपद लखीमपुर खीरी की इंडो नेपाल सरहद में तिकुनिया से तो यह रिजॉर्ट बहुत ही नज़दीक है, यहाँ की खासियत यह है की इनके रेस्तरा में आपको खाने के लिये जो भी मिलेगा वह केले का ही बना होगा यहाँ तक चाय काफी को छोड़कर आप को पीने के लिए केले से बनी वाइन, केले की लस्सी, केले की ब्रांडी, केले का जूस, अब आइए खाने की वस्तुओं पर तो यहाँ केले की टिक्की, केले का पनीर, केले के पराठे, केला चिली, केला सूप, केले का सलाद, बनाना मोमो, केले की पकौड़ी, केले का अचार और न जाने कितनी केले की रेसिपी आप को यहाँ मिल जाएंगी, ठहरने के लिए डिजायन की हुई हट, और बैठने के लिए केले के बगीचे में बहुत दूर में फैला हुआ यह रिजॉर्ट आरामदायक कुर्सियों और ममेजों से सुसज्जित है, केले के जंगल में बैठकर केले से ही बनी चीजों का स्वाद लेना अपने आप में एक अद्भुत एहसास दिलाता है, और हाँ यहाँ केले से बने हस्तशिल्प को देख व् खरीद भी सकते है.

नेपाल के व्यवसायी कालू हमाल इस रिजॉर्ट के मालिक हैं, बहुत काम जमीन में कुछ केले के पौधों के साथ इन्होंने यह रिजॉर्ट बनाया जो अब पूरे नेपाल में प्रसिद्द, मिस्टर कालू हमाल कभी इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चर एन्ड एनीमल साइंस से भी सम्बद्ध रहे. इनका यह प्रयोग भारत में भी किसानों को एक नई दिशा दे सकता है.

केले से हर भारतीय अच्छी तरह से वाकिफ है, केले के पौधे को वृस्पति और विष्णु भगवान् के रूप में माना जाता है, ये केला दक्षिण भारत और उत्तर भारत की वैवाहिक व् धार्मिक आयोजनों में इस्तेमाल है, इसकी उत्पत्ति भारत मलाया क्षेत्र में मानी जाती है, लीनियस ने सर्व प्रथम इसका नामकरण किया और नाम रखा मूसा सैपिएंटम, जो की अगस्तस के डाक्टर एंटोनियस मूसा के नाम पर था, केले की दो जंगली प्रजातियां मूसा एक्युमिनिटा और मूसा बैलबिसियाना है, इन प्रजातियों में केले के फल के अंदर बड़े बड़े कठोर बीज होते है, इन्हें क्रास कराकर वैज्ञानिकों ने मूसा पैराडिसियइका जैसी प्रजाति बनाई, मूसा (केला) जीनस में अभी तक ७० प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं किन्तु आनुवंशिक पद्धतियों से संम्वर्धित केले की अब तमाम उन्नत किस्में उपलब्ध है, किन्तु शुरुवाती दौर में ये केला दो मुख्य किस्मों में आम जनमानस में जाना जाता था एक को लोग बनाना कहते थे जिसके पके फल खाने में इस्तेमाल करते थे और दूसरे को प्लैनटेन्स कहते है जो पकाकर सब्जी के तौर पर खाया जाता है, मगर यह विभेद सिर्फ आम जनमानस में सामाजिक है, वैज्ञानिक नही.

केले में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है साथ ही इसमें कुछ मात्रा में आइसोटोप पोटैशियम-४० भी मौजूद होता है, इसलिए आप केले को रेडियोएक्टिव फल भी कह सकते हैं, और जब आप केला खा रहे होते हैं तो आप रेडियोएक्टिव पोटैशियम-४० भी खा रहे होते हैं, पर घबराने की जरुरत नही, प्रकृति में सभी तत्व जरुरी हैं, और अन्य कई फलों और सब्जियों में भी होते है, रेडियोएक्टिविटी एक निश्चित मात्रा में वनस्पतियों में मौजूद है, इसलिए यदि एक दिन में आप एक करोड़ केला खा लेंगे तभी यह रेडियो एक्टिव तत्व आप को नुक्सान पहुंचाएंगा ! अन्यथा नही, केला विटामिन सी, विटामिन बी ६, विटामिन दी और कार्बोहायड्रेट का बेहतर स्रोत है, फाइबर मौजूद होने की वजह से यह स्वास्थ्य के लिए भी गज़ब का फल है. केला पोषक तत्वों से तो भरपूर है ही, औषधि के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है, केले की पत्तियां और फूल, सूजन, दर्द और केले का फल पेट की बीमारियों में फायदेमंद है, केले के ताने के मध्यभाग के रस से पथरी का इलाज़ और डायबिटीज में मुफीद बताया गया है. पारम्परिक औषधियों में केले के फूल को पकाकर खाने से डायबटीज, अल्सर, पेचिस, जैसी बीमारियों में लाभप्रद बताया गया है.

नेपाल के इस बनाना रिजार्ट के किस्से के अतरिक्त दुनिया में केले को लेकर बहुत सी कहानियाँ है, इनमे से एक है बनाना म्यूजियम वाशिंगटन अमरीका में जहाँ बनाना से जुडी आप 4000 वस्तुएं देख सकते हैं.

कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन-26272701
भारत
krishna.manhan@gmail.com

Krishna Kumar Mishra
Wildlife Biologist & Nature Photographer
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