Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeश्रद्धांजलि'बहनों और भाइयों', वो आवाज़ अब खामोश हो गई!

‘बहनों और भाइयों’, वो आवाज़ अब खामोश हो गई!

‘नमस्कार भाइयों और बहनों, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं’ अब यह परिचय फिर कभी नहीं सुना जा सकेगा। अपनी जादुई आवाज और मस्त अंदाज से बरसों दुनिया के कई देशों के श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले सयानी का निधन हो गया है। 91 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली।

अमीन सयानी ने सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि एशिया में भी ख्याति पाई। रेडियो सिलोन से प्रसारित होने वाले “बिनाका गीतमाला” ने अमीन सयानी को करोड़ों लोगों को अपनी आवाज का दीवाना बना दिया।

“बहनों और भाइयो” की मीठी आवाज से अपने कार्यक्रम की शुरुआतकरके श्रोताओं से संवाद करने का उनका अंदाज इतना निराला होता था कि हर श्रोता उनके एक एक शब्द को सुन लेना चाहता था।

अमीन सयानी ने 54,000 रेडियो कार्यक्रम किये और 19,000 स्पाट्स या जिंगल्स किये। इनका रेडियो सफ़र 1951 में शुरू हुआ था।

अमीन सयानी अपने जमाने के ऐसे रेडिओ उद्घोषक थे कि उनकी लोकप्रियता फिल्मी सितारों के लिए भी ईर्ष्या का कारण हो जाती थी। एक जमाना था जब अपने ‘बिनाका गीत माला’ कार्यक्रम के माध्यम से आवाज के इस शहंशाह ने अपने नाम और काम की धूम मचा दी थी। पिछले कई सालों से वो पीठ दर्द की समस्या से जूझ रहे थे। उन्हें चलने के लिए वॉकर का इस्तेमाल करना पड़ता था। अमीन सयानी अब हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज हमेशा जीवंत रहेगी।

रेडियो सुनने का शौक रखने वालों के कानों में आज भी सयानी की आवाज में ‘नमस्कार बहनों और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं’ गूंजता है। कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई।

उनका जन्म 21 दिसंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था। उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक था और महज 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां की पाक्षिक पत्रिका ‘रहबर’ के लिए लिखना शुरू कर दिया था। यही वह उम्र थी जब वह अंग्रेजी भाषा में एक कुशल प्रस्तोता बन गए थे और उन्होंने आकाशवाणी मुंबई की अंग्रेजी सेवा में बच्चों के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था।

हालांकि, जब सयानी ने ‘हिंदुस्तानी’ में प्रस्तुति देने के लिए ऑडिशन दिया तो उनकी आवाज में हल्का गुजराती लहजा होने के कारण उनका चयन नहीं किया गया। जब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी वी केसकर ने आकाशवाणी से हिंदी गानों पर प्रतिबंध लगा दिया तो रेडियो सीलोन लोकप्रिय होने लगा। सयानी को दिसंबर 1952 में रेडियो सीलोन पर ‘बिनाका गीतमाला’ पेश करने का मौका मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह शो 1952 से 1994 तक 42 वर्षों तक भारी लोकप्रियता हासिल करता रहा।

बहुत कम लोग जानते हैं कि बॉलीवुड में किस्मत आजमाने से पहले मेगास्टार अमिताभ बच्चन रेडियो उद्घोषक बनना चाहते थे और इसके लिए वह ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के मुंबई के स्टूडियो में ऑडिशन देने भी गए थे। प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी के पास तब अमिताभ से मिलने का समय नहीं था, क्योंकि अभिनेता ने वॉयस ऑडिशन के लिए पहले से समय नहीं लिया था। अमीन सयानी ने एक साक्षात्कार में कहा कि- “यह 1960 के दशक के आखिर में कभी हुआ था, जब मैं एक हफ्ते में 20 कार्यक्रम करता था। हर दिन मेरा अधिकतर समय साउंड स्टूडियो में गुजरता था, क्योंकि मैं रेडियो प्रोग्रामिंग की हर प्रक्रिया में शामिल रहता था। एक दिन अमिताभ बच्चन नाम का एक युवक बिना समय लिए वॉयस ऑडिशन देने आया। मेरे पास उस पतले-दुबले व्यक्ति के लिए बिल्कुल समय नहीं था। उसने इंतजार किया और लौट गया। इसके बाद भी वह कई बार आया, लेकिन मैं उससे नहीं मिल पाया और रिसेप्शनिस्ट के माध्यम से यह कहता रहा कि वह पहले समय ले, फिर आए।”

अमीन सयानी को बाद में पता चला कि वह अमिताभ बच्चन थे, जो ऑडिशन के लिए उनके कार्यालय आया करते थे। जब सयानी ने ‘आनंद’ फ़िल्म (1971) का एक ट्रॉयल शो देखा तो वह अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व और आवाज़ से प्रभावित हुए और तब उन्हें पता नहीं था कि वह अमिताभ ही थे, जो ऑडिशन के लिए आए थे। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के साथ राजेश खन्ना ने काम किया था।

अमीन सयानी ने एक साक्षात्कार में बताया था कि “अमिताभ एक अवॉर्ड समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आए थे और उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए तीन बार ऑडिशन के लिए रेडियो स्टेशन जाने की बात कही और कहा कि उन्हें ऑडिशन में बैठने भी नहीं दिया गया। मैं सुनकर चौंक गया।

एक संस्मरण सुनाते हुए सयानी ने बताया था कि पचास के दशक के शुरुआती दिनों में किशोर कुमार और वो अच्छे दोस्त बन गए थे। उनकी दोस्ती इतनी परवान चढ़ी थी कि दोनों साथ पिकनिक मनाने जाया करते थे।

दुनिया अमीन सयानी की आवाज की दीवानी थी, लेकिन आवाज के एक और जादूगर मशहूर गायक किशोर कुमार ने अमीन सयानी को उनके जीवन में थोड़ा परेशान भी किया। किशोर कुमार ने अमीन सयानी के साथ एक इंटरव्यू में यहां तक टिप्पणी कर दी थी कि सयानी लोगों को ‘बोर’ करते हैं। वो अपना इंटरव्यू स्वयं ही कर लेंगे। वैसे तो सयानी और किशोर कुमार बेहद अच्छे दोस्त थे, लेकिन वर्ष 2018 में अमीन सयानी ने फिल्मफेयर अवॉर्ड के दौरान एक इंटरव्यू में अपने और किशोर कुमार के साथ संबंधों पर कई खुलासे किए थे।

एक संस्मरण सुनाते हुए सयानी ने बताया था कि पचास के दशक के शुरुआती दिनों में किशोर कुमार और वो अच्छे दोस्त बन गए थे। उनकी दोस्ती इतनी परवान चढ़ी थी कि दोनों साथ पिकनिक मनाने जाया करते थे। एक पिकनिक पर दोनों किशोर कुमार की ‘खटारा-चलती का नाम गाड़ी’ कार में जा रहे थे। तभी सयानी ने किशोर कुमार से ‘जगमग जगमग करता निकला’ गाना सुनाने की फरमाइश कर दी। किशोर कुमार ने जो जवाब दिया, शायद उसकी उम्मीद सयानी ने नहीं की थी। किशोर कुमार ने तपाक से कहा था कि तुम किशोर कुमार को बिना पैसे के सुनना चाहते हो।

वर्ष 1952 में अमीन सयानी रेडियो सिलोन (श्रीलंका) के लिए बिनाका गीतमाला प्रस्तुत करने लगे। बिनाका गीतमाला के टेप वो श्रीलंका भेजा करते थे। सयानी ने महान गायिका लता मंगेशकर और महान गायक मोहम्मद रफी की ऑडियो बाइट आसानी से रिकॉर्ड कर ली थी, लेकिन किशोर कुमार लगातार उनसे मिलने से इनकार कर रहे थे। टेप भेजने के 10 दिन ही बचे तो किशोर कुमार की ऑडियो बाइट लेने के लिए अमीन सयानी परेशान होने लगे। सयानी ने जब किशोर कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने उन्हें दूर शहर के बाहर स्टूडियो में आने के लिए कहा, लेकिन सयानी जब वहां पहुंचे तो उनको प्रोड्यूसर ने गेट पर ही रोक दिया।

समय का चक्र घूमा और साठ के दशक में किशोर कुमार सयानी से उनकी फिल्म ‘दूर गगन की छांव में’ और ‘दूर का राही’ पर रेडियो प्रोग्राम करने की मनुहार करने लगे। वर्ष 1974 में विविध भारती पर अपने शो ‘सेरिडॉन के साथी’ के दौरान सयानी फिर किशोर कुमार से मिले। तब किशोर कुमार ‘बढ़ती का नाम दाढ़ी’ फिल्म के प्रमोशन के लिए आए थे।

सयानी याद करते हुए बताते थे कि मैंने किशोर कुमार से कहा था कि दो पहलवान बाहर खड़े हैं, वो तुम्हें पीटेंगे, अगर तुमने मुझे इंटरव्यू नहीं दिया। अमीन सयानी के लिए शायद यह सबसे बड़ी भूल थी कि वो किशोर कुमार का इंटरव्यू लेने के लिए उतावले थे।

सयानी ने अपने इंटरव्यू में खुलासा किया था कि किशोर कुमार का जो व्यवहार था, उससे वो चकित रह गए थे। किशोर कुमार ने अमीन सयानी को लोगों को ‘बोर’ करने वाला करार दे दिया था।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार