बदलते समय के साथ-साथ भारतीय नागरिकों की मांग एवं उनकी आवश्यकताओं को देखते हुए भारत के माननीय राष्ट्रपति, माननीय मुख्य न्यायाधीश, पीठासीन न्यायाधीशों, पूर्व न्यायाधीशों, माननीय प्रधानमंत्री तथा भारत के प्रबुद्ध नागरिकों के प्रयास से न्याय प्रणाली को उत्कृष्ट बनाने के लिए भारत के अनेकों न्यायालयों, उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय में विधि व्यवस्था का भारतीयकरण धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है।
ऐसा ही एक उदाहरण विगत सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय में देखने को मिला जहां कपिल साव बनाम बिहार राज्य एवं अन्य की अपराधिक अपील में माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतिम आदेश के विरुद्ध एस एल पी (क्रिमिनल) याची के विशेष अनुरोध पर केन्द्रीय कारागार अधीक्षक महोदय की अनुमति से प्राधिकृत शोधकर्ता नान ए ओ आर अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद द्वारा तैयार करा कर याची द्वारा इन पर्सन याचिका सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने की अनुमति मिली।
दिनांक 21 मार्च 2024 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष भारतीय भाषा में प्रस्तुत उपरोक्त याचिका को आरंभ में निबंधक कार्यालय द्वारा स्वीकार करने में असमर्थता व्यक्त करने पर पूर्व में भारतीय भाषाओं में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत याचिकाओं का विवरण देने व भारतीय भाषा अभियान की दिल्ली प्रांत की सर्वोच्च न्यायालय इकाई के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट आन रिकार्ड एसोसिएशन व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के विशेष अनुरोध पर विद्वान रजिस्ट्रार महोदय ने भारतीय भाषा में कपिल साव बनाम बिहार राज्य एवं अन्य की एस एल पी (क्रिमिनल) आवेदन, याचिका, संलग्नकों के अंग्रेजी अनुवाद के बिना याचिका स्वीकार किया।
यहां बताना परिहार्य है कि वर्ष 2016 से लगातार सर्वोच्च न्यायालय भारत के न्यायिक कार्यवाहियों में भारतीय भाषाओं में आवेदन दाखिल हो रहा है, जिसमें से कुछ आवेदनों का अंग्रेज़ी अनुवाद सर्वोच्च न्यायालय के अनुवादक विभाग द्वारा तैयार कराया गया तथा कुछ आवेदनों का अंग्रेज़ी अनुवाद लीगल सर्विस कमेटी द्वारा और कुछ भारतीय भाषाओं के आवेदन डिफेक्ट सहित माननीय न्याय खंड पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश पारित हुआ है।
भारतीय भाषा अभियान, सर्वोच्च न्यायालय इकाई सर्वोच्च न्यायालय रजिस्ट्री के विद्वान रजिस्ट्रार महोदय द्वारा भारतीय भाषा में याचिका स्वीकार करने, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट आन रिकार्ड एसोसिएशन व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा विशेष सहयोग करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करती है और आशा करती है कि भविष्य में भी याचिकाकर्ताओं को अपनी भारतीय भाषाओं में याचिका प्रस्तुत करने में कोई अड़चन नहीं आएगी और उन्हें भारतीय भाषा में शीघ्र निर्णय प्रदान किया जाएगा।