Monday, November 25, 2024
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प्राचीन काल से शिक्षा का केंद्र रहा है भोपाल

भोपाल – देश में योजना पूर्ण तरीके से सांस्कृतिक, साहित्यिक प्राचीनता को छुपाने के प्रयास किए गए हैं. भारत देश का इतिहास विकसित और समृद्ध रहा है लेकिन योजनाबद्ध तरीके से विस्मृत करते हुए, हम सबके सामने जो रखा गया है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बात विश्व संवाद केंद्र मध्य प्रदेश व भोपाल जागरूक नागरिक मंच के द्वारा भोपाल विलीनीकरण के 73वें वर्षगांठ और नारद जयंती के उपलक्ष में आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के दौरान वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा ने कही. श्री शर्मा ने बताया कि भोपाल की जो यह संरचना है वह वैदिक कालीन संरचना से एकदम मिलती जुलती है जामा मस्जिद से सोमवारा, इब्राहिमपुर ,इतवारा जुमेरती सभी के केंद्र की दूरी सीधी रेखा में बराबर है.

उन्होंने बताया कि भोपाल हमेशा से ही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी रही है. श्री शर्मा ने कहा की भोपाल प्राचीन काल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है और यहां पर 3 से 4 लाख साल पुराने चित्र मिलते हैं. भोपाल ने शुंग गुप्त परमार सभी शासकों के शासनकाल को देखा है .

रमेश जी ने बताया कि नवाब के शासनकाल में भोपाल के कई ऐतिहासिक स्थानों के नामों में परिवर्तन कर दिया गया और उसे एक इस्लामिक नगर बताने की साजिश की गई.

जलियांवाला बाग़ जैसा भीषण था बोरास कांड

युवा इतिहासकार डॉक्टर निर्मला मिश्रा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. डॉ मिश्रा ने देश की आजादी के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए भोपाल सहित अन्य रियासतों के विलीनीकरण में सरदार पटेल की उल्लेखनीय भूमिका के बारे में बताया. उन्होंने भोपाल रियासत का संक्षिप्त विवरण कार्यक्रम में प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस प्रकार से देश की आजादी के कई दिनों बाद भी भोपाल भारत देश का हिस्सा नहीं बन पाया था. डॉ निर्मला ने बताया कि भोपाल के नवाब लॉर्ड माउंटबेटन सहित जिन्ना के काफी करीबी थी उन्होंने विलीनीकरण पर सरदार पटेल और वीपी मेनन से इंतजार करने की बात कही और आखिर में पाकिस्तान में सम्मिलित होने की इच्छा जताई .

उधर दूसरी तरफ जनता नवाब की दमनकारी नीतियों से परेशान हो गई थी जिसके कारण पूरे भोपाल में नवाब के प्रति जनता में आक्रोश जागने लगा था. डॉ मिश्रा ने बताया कि जिस प्रकार से जलियांवाला बाग देश में हुआ था ठीक उसी प्रकार का घटनाक्रम रायसेन जिले के वर्षा में हुआ जहां झंडा वंदन के दौरान कई युवाओं को गोलियों से भून दिया गया.

हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने दी प्राणों की आहुति

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रीय चेतना के कवि हरी विठ्ठल धूमकेतु जी ने बताया कि एक समय मैं भोपाल के अंदर उन्होंने बकरा ईद पर ऐसे दृश्य देखे हैं जिन्हें बयां कर दिया जाए तो आज काफी लोगों को बुरा लग सकता है . नवाब हमीदुल्लाह खान ने न केवल हिंदुओं को प्रताड़ित किया बल्कि उनकी अजमतों से भी खिलवाड़ की .

भोपाल में 80% हिंदू होने के बावजूद उन्हें प्रताड़ित किया जाता था श्री विट्ठल ने भोपाल को भारत माता का दिल बताते हुए कहा कि नवाब के द्वारा जब पाकिस्तान में शामिल होने की बात कही तो जागरूक नागरिकों ने विलीनीकरण आंदोलन करने की योजना बनाई और 1 जून 1949 को देश मैं भोपाल को सम्मिलित कर लिया गया. श्री विठ्ठल ने बताया कि भोपाल विलीनीकरण कराने हेतु हिंदू महासभा के लोगों ने अपने प्राणों की आहुति तक दे दी.

सरदार पटेल ने दी थी बोरास कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि

व्याख्यान श्रंखला में स्वदेश के संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार लाजपत आहूजा ने भी अपनी बात रखी उन्होंने बताया कि जब भोपाल का भारत देश में विलीनीकरण हो गया तब सरदार पटेल ने बोरास में शहीद हुए हुतात्मा को श्रद्धांजलि दी थी. उन्होंने बताया कि नवाब हमीदुल्लाह के द्वारा हिंदुओं को इतना प्रताड़ित किया जाता था कि यदि उसकी तुलना खल पात्र से की जाए तो वह भी अतिशयोक्ति नहीं होगी .

कार्यक्रम का संचालन विश्व संवाद केंद्र के न्यासी दिनेश कुमार जैन के द्वारा किया गया वही कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य भारत प्रांत के प्रचार प्रमुख ओमप्रकाश सिसोदिया ने की अंत में आभार जागरूक नागरिक मंच के भावेश श्रीवास्तव जी के द्वारा किया गया.

संपर्क

श्री भावेश श्रीवास्तव

+91 94250 22336


विश्व संवाद केंद्र, भोपाल
डी- 100 /45, शिवाजी नगर, भोपाल दूरभाष /फैक्स :
0755-2763768*

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