29 अक्टूबर 2022 को जन्मदिन पर अनंत शुभकामनाएं………..
दुनिया के किसी भी परिवार में जब एक बच्चा जन्म लेता है तो उस परिवार की खुशियों का पारावार नहीं रहता। वहीं बच्चा जब बड़ा हो कर सफलता की बुलंदियों का आसमान छूता है, चारों ओर उसकी चर्चा होती है, अपने कृत्यों से वह इतिहास रचता है तो उस समय परिवार के साथ – साथ पूरा समाज, शहर, राज्य ही नहीं सम्पूर्ण कुदरत भी उस पर नाज करती है।हमारे समाज में कई महापुरुष हुए जिन्होंने समाज हित और मानव जाति के उत्थान के लिए अपने सद्कर्मों से एक नया इतिहास बनाया और वे अमर हो गए। हम कहें की कोटा में 29 अक्टूबर 1943 को रिखभचंद धारीवाल के घर में जन्म लेने वाला लाल शांति धारीवाल भी एक ऐसा ही किरदार बन कर उभरा जिसने अपने कर्मशील पिता की परंपरा को एक कदम आगे बढ़ा कर कोटा में विकास का एक ऐसा अमर इतिहास रच दिया जिसका रिकार्ड आने वाली एक सदी में शायद ही कोई तोड़ सके। दस साल पहले बनाए विकास कार्यों के रिकार्ड को दस साल बाद फिर से इन्होंने ने तोड़ा और विकास पुरुष कहे जाने लगे ठीक उसी तरह जैसे पिता रिखभचंद को आज तक उद्योग पुरुष कहा जाता है।
शांति कुमार धारीवाल के न केवल कोटा वरन जयपुर सहित राजस्थान में कराए गए विकास कार्य, आम जन के जीवन की उन्नति के लिए उसे उसकी जमीन – घर का मालिक बनाने, कोटा को वषों की बाढ़ की समस्या से निजात, जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किए गए उनके कार्य गिनाने की जरूरत नहीं वे लोगों की जुबान पर खुद बोल रहे हैं। आज पांच साल बाद कोई सख्श पुनः कोटा आए तो शहर का सारा भूगोल ही बदला नजर आएगा। कोटा को पर्यटन नगर बनाने का सपना साकार हो रहा है। विकास के लिए उनका विजन, सोच, जिद्द, कार्यप्रणाली, धनराशि की व्यवस्था आदि सभी कुछ सामने है। अपनों के लिए जी जान लगा देना हमने अपनी आंखों से देखा।
मेरा संपर्क उनसे उस समय से है जब वे कोटा के जिला प्रमुख रहे। इसके बाद वर्तमान समय तक वे जिस भी पद पर रहे उनकी एक अलग पहचान मुझे नजर आई। ब्यूरोक्रेट्स में उनके प्रति एक अलग ही सम्मान भाव देखने को मिला। राजनीति में भी चाहे कोई पार्टी हो उनका सभी से मैत्री रूप देखने को मिला। जन नेता की उनकी एक अलग छवी देखने को मिलती है। कोई भी समस्या केसे हल हो उनका यही चिंतन रहता है। हर एक के दुख दर्द में वे भागीदार रहते हैं। गरीब, मजलूम, कमजोर के प्रति संवेदनशील हैं।
धारीवाल ने 1964 में बीए किया और 1966 में राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। पहली बार 1998 में वह बने।
राजस्थान में जब कांग्रेस सत्ता में आती है तो धारीवाल भी विधायक बनते हैं और जब हारती है, वो भी चुनाव हार जाते हैं। वह दूसरी बार 2008 और तीसरी बार 2018 में विधायक बने। संयोग रहा कि तीनों बार अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री बने। धारीवाल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी की 404 सीट वाली आंधी में धारीवाल कोटा लोकसभा से ही सांसद भी चुने गए थे। वर्तमान में धारीवाल गहलोत सरकार में स्वायत शासन, नगरीय विकास, संसदीय कार्य मंत्री हैं और राजस्थान के विकास के साथ – साथ कोटा को पर्यटन नगर बनाने में जी जान से जुटे हैं।
धारीवाल जी को उनके जन्मदिन पर हजारों हजार बधाइयां और शुभकामनाएं।